Basant Panchami 2020 के दिन सरस्वती पूजा के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है
Basant Panchami 2020 date and time significance: मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती (Saraswati Puja) का जन्म हुआ था. ऋग्वेद में ऐसा वर्णन मिलता है कि ब्रह्मा जी अपनी सृष्टी के सृजन से संतुष्ट नहीं थे. उसके बाद मां सरस्वती अस्तित्व में आईं और कुछ ऐसा किया कि आज भी उनकी पूजा होती है.
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Basant Panchami 2020 date and time significance: जीवन में खुशियों का संचार करने वाला बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार साल 2020 में 30 जनवरी (Basant Panchami 2020 Date) को मनाया जाएगा. वसंत का नाम सुनकर ही मन मुस्कुराने लगता है. चेहरे से तनाव का भाव घटने लगता है. जिंदगी में कुछ नया करने की उमंग जगने लगती है. जैसे प्यासे को पानी और भूखे को खाना तृप्त करता है, उसी तरह क्या साल 2020 में वसंत जीवन में खुशहाली ला सकता है? ऐसे विचार लोगों के मन में उठ सकते हैं कि हिंदू परंपरा (Hindu Culture) के अनुसार माघ के महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल बसंत पंचमी का त्योहार (Basant Panchami Festival) मनाया जाता है. वसंत (Vasant) को ऋतुओं का राजा माना जाता है. हरे भरे पेड़ पौधे, पशु पक्षी सभी खुशी-खुशी वसंत का स्वागत करते हैं. चारों तरफ हरियाली छा जाती है. खिले हुए फूलों की सुंगंध को समेटे हवाएं मानो मानव मन को बहा ले जाना चाहती हैं.
मां सरस्वती से ही इस सृष्टि को आवाज मिली है, जिसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.
साल 2020 में हम सब भारत वासियों के लिए वसंत (Spring) का इंतजार उस दवाई वाले कि प्रतिक्षा की तरह है जो दुखते हुए घावों के लिए मरहम ले कर आ रहा है. जीवन की परेशानियों को दूर करने की दवा लेकर आ रहा है. जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने का टॉनिक लेकर आ रहा है. आप चाहे नौकरी कर रहे हों या व्यापार सब को एक जम्प चाहिए. क्या ये वसंत हमारे जीवन को नया मोड़ देगा? विचारों के कोहरे से घिरे लोगों को एयर लिफ्ट कराएगा? तरह-तरह की उम्मीदें सब को हैं. हर कोई कुछ नया करने के लिए आगे बढ़ना चाहता है. अपने सपनों को साकार करना चाहता है. क्या वसंत उनकी पुकार सुनेगा?
हमारे धर्मग्रंथों में बसंत पंचमी (Basant Panchami) को कई नामों से जाना जाता है. श्री पंचमी, सरस्वती पंचमी, ऋषि पंचमी इत्यादि. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था. ऋग्वेद में ऐसा वर्णन मिलता है कि ब्रह्मा जी अपनी सृष्टी के सृजन से संतुष्ट नहीं थे. चारों तरफ मौन छाया हुआ था. तब उन्होंने अपने कमण्डल से जल का छिड़काव किया, जिससे हाथ में वीणा लिए एक चतुर्भुजी स्त्री प्रकट हुईं. ब्रह्माजी के आदेश पर जैसे ही देवी ने वीणा पर मधुर सुर छेड़ा, संसार को ध्वनि मिली, वाणी मिली, ब्रह्मा जी ने देवी का नाम सरस्वती रखा, जिसे आप शारदा, वीणावादनी के नाम से भी जानते हैं. वसंत पंचमी के दिन पूरे भारत सहित दुनिया के कई देशों में लोग मां सरस्वती का पूजन (Saraswati Puja) करते हैं.
धर्म में आस्था और मन में विश्वास रखने वाले लोग वसंत पंचमी (Vasant Panchami ) से अपने जीवन की नई शुरुआत कर सकते हैं. निराशा की ऊंची-ऊंची दीवारों को पार करके आशा के लहलहाते मैदान में तेजी से दौड़ना शुरू कर सकते हैं, क्योंकि जो दौड़ेगा वही जीतेगा. उसी के सपने साकार होंगे. उसी के जीवन में नई उमंग आएगी. उसी के परिवार में खुशहाली बढ़ेगी. उसी की सोच सकारात्मक होगी. उसी को दिन का उजाला उत्साहित करेगा. वही आगे बढ़ेगा. हिंदू धर्म और ज्योतिष का सार भी यही है कि अपने संस्कार और संस्कृति पर भरोसा करो, खुद से उम्मीद करो, खुद पर भरोसा करो, सपने देखो, सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ो. मार्टिन लूथर किंग ने कहा था कि 'इस दुनिया में जो कुछ भी होता है, वह उम्मीद की वजह से ही संभव है.' ऋतुओं का राजा वसंत आपके लिए नई उम्मीद लेकर आया है.
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