क्या इस्लाम में भी है इंद्र, वरुण जैसे देवताओं की संकल्पना?
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार अल्लाह ने फरिश्तों को नूर या रौशनी से बनाया है. अगर हिंदू धर्म के अंदर देवताओं की संकल्पना को देखें तो यहां भी परम पुरुष परमेश्वर ने देवताओं को प्रकाश से ही बनाया है. देवता शब्द की व्युपत्ति दिव् धातु से हुई है जिसका अर्थ है प्रकाश. इस अर्थ में देवता प्रकाशमान ईश्वरीय सत्ता है ठीक उसी तरह जैसे फरिश्ते होते हैं.
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यूं तो इस्लाम के उदय का उद्देश्य एकेश्वरवाद की स्थापना और मूर्तिपूजा के विरोध के साथ शुरु हुआ था. लेकिन इस्लामिक परंपराओं में कई ऐसे तत्व हैं जो हिंदू बहुदेववाद की संकल्पना से बहुत कुछ मिलती जुलती हैं. इस्लाम अल्लाह के सिवा किसी को भी परमेश्वर नहीं मानता है और पवित्र कुरान शरीफ में ये उद्घोषणा भी है कि कोई ईश्वर नहीं है अल्लाह के सिवा और अल्लाह के साथ कोई भी दूसरा शरीक नहीं हो सकता है. इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान शरीफ और हदीसों के मुताबिक अल्लाह ने ही इस जहान को बनाया है और कयामत तक ये सृष्टि रहेगी. कयामत के रोज़ अल्लाह सबके कर्मों का हिसाब-किताब करेंगे और मुसलमानों के अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर उन्हें जन्नत या जहन्नुम भेंजेंगे. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार अल्लाह ने इंसानों के अलावा फरिश्तों को भी बनाया और उन्हें अलग- अलग कार्यों के लिए नियुक्त किया. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार अल्लाह ने फरिश्तों को नूर या रौशनी से बनाया है. अगर हिंदू धर्म के अंदर देवताओं की संकल्पना को देखें तो यहां भी परम पुरुष परमेश्वर ने देवताओं को प्रकाश से ही बनाया है. देवता शब्द की व्युपत्ति दिव् धातु से हुई है जिसका अर्थ है प्रकाश. इस अर्थ में देवता प्रकाशमान ईश्वरीय सत्ता है ठीक उसी तरह जैसे फरिश्ते होते हैं.
कई ऐसी चीजें हैं जो इस्लाम में हिंदू धर्म से मिलती जुलती हैं देवताओं का कांसेप्ट भी कुछ कुछ ऐसा ही है
देवताओं की तरह ही फरिश्ते भी आसमान में ही रहते हैं. कुछ फरिश्ते अल्लाह की सेवा में सातवें आसमान में रहते हैं तो कुछ फरिश्ते पृथ्वी पर भी अदृश्य रुप में रहते हैं. ठीक उसी तरह जैसे कुछ देवता स्वर्ग या कुछ दूसरे लोकों में रहते हैं तो अश्विन कुमार जैसे कई देवता पृथ्वी पर भी विचरते हैं. कुछ फरिश्ते हरेक जगह आ जा सकते हैं जैसे नारद और वायु देव हरेक जगह आ जा सकते हैं.
हिंदू धर्म के अनुसार देवताओं के जिम्में सृष्टि के संचालन से जुड़े कई कार्य होते हैं. जैसे इंद्र वर्षा के देवता है, वरुण जल के देवता है, यमराज मृत्यु के देवता है, बृहस्पति देवगुरु हैं, तो चित्रगुप्त जी हमारे कर्मों का हिसाब- किताब रखते हैं. तो क्या फरिश्तों के जिम्में भी कुछ ऐसे कार्य होते हैं? इस्लामिक परंपराओं में कई फरिश्ते देवताओं की तरह ही सृष्टि के संचालन में अल्लाह के आदेश के अनुसार कर्म करने वाले दिखाए गए हैं.
एक फरिश्ता हैं हज़रत मीकाईल अलैहिस्लाम. इनके बारे में कहा जाता है कि ये आसमान वालों के इमाम हैं. इमाम यानि धर्मगुरु. हिंदू परंपराओं में स्वर्ग में रहने वाले देवताओं, गंधर्वों, अप्सराओं और विद्याधरों आदि के धर्मगुरु बृहस्पति देवता हैं. दोनों के बीच कर्मों का एक साम्य देखा जा सकता है.
दूसरे एक फरिश्ता हैं हज़रत जिब्रील अलैहिस्लाम. इन्हें फरिश्तों में सबसे बुजुर्ग माना जाता है. इनका कार्य है अल्लाह का संदेश रसूल तक पहुंचाना और रसूल का संदेश अल्लाह तक पहुंचाना है. ऐसा ही कार्य हिंदू देवताओं में देवर्षि नारद जी का भी माना जाता है जो भगवान विष्णु का संदेश तीनों लोकों में ले जाते हैं और तीनों लोकों की खबर लेकर भगवान विष्णु के पास जाते हैं.
तीसरे, महत्वपूर्ण फरिश्ता हैं हज़रत इज़राइल. इन्हें मौत का फरिश्ता माना जाता है. इनकी साम्यता बहुत हद तक मृत्यु के देवता यमराज जी से की जा सकती है. हज़रत इज़राइल के अंदर बहुत सारे दूसरे फरिश्ते भी हैं जिन्हें सामूहिक रुप से मलकुल-मौत कहा जाता है. इनका कार्य यमदूतों से मिलता जुलता है.
चौथे फरिश्ता हैं हज़रत रिज़वान. ये जन्नत के दारोगा या निरीक्षक कहे जाते हैं. जबकि जहन्नुम पर तैनात किये गए फरिश्ते का नाम हज़रत मालिक है . इनकी तुलना यमराज और चित्रगुप्त महाराज से की जा सकती है. पांचवे फरिश्ता हैं, मकुल-क़तर अलैहिस्लाम जिनका काम बारिश करवाना है. ये हिंदू धर्म के देवता इंद्र से गज़ब की समानता रखते हैं.
छठे फरिश्ता का नाम है रअद अलैहिस्लाम. इन्हें बादलों का फरिश्ता माना जाता है. ये बादलों के बीच में अग्नि पैदा करते हैं यानि जो बादलों के बीच में बिजली चमकती है, ये इन्हीं के द्वारा की जाती है. वैदिक देवताओं में मरुत का कार्य यही रहा है.
एक फरिश्ता हैं जो हिंदू देवी अन्नपूर्णा की तरह अन्न प्रदान करते हैं तो एक दूसरे फरिश्ते को वरुण देव की तरह समंदर और नदियों का फरिश्ता माना गया है. बर्क नाम के एक फरिश्ता भी हैं जिनके ब्रह्मा जी की तरह चार मुख हैं. दीक नाम से एक फरिश्ता हैं जिनका काम हिंदू देवता अरुण की तरह लोगों को रोज सुबह जगाना है. हिंदू देवता मैनाक की तरह एक फरिश्ता हैं मलिकुल-जिबाल जो पहाड़ों के मालिक हैं.
एक फरिश्ता हैं जिनका नाम सुदाक है जो हनुमान जी की तरह अपना बदन विशाल कर सकते हैं. दो फरिश्ते हैं मुनकर और नकीर जो मरे हुए लोगों की रुहों से सवाल जवाब करेंगे. इनके तीन सहयोगी भी होंगे जिनके नाम हैं- अनजर, नाकुर और रुमान. कुछ फरिश्तें हैं जिन्हें पेड़ों से गिरते हुए पत्तों को गिनने के काम में लगाया गया है.
शराहिल नाम के फरिश्ते को रात की निगरानी का काम सौंपा गया है तो हराहील को दिन का कार्य सौंपा गया है. कुछ फरिश्तें है जिन्हें जन्नत में आने वाले लोगों के जेवर तैयार करने के काम में लगाया गया है तो इरतियाईल नामक फरिश्ते को मुसलमानों के दिलों के दुखों को दूर करने के लिए लगाया गया है. अक्सर ये कहा जाता है कि हिंदू 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा करते हैं.
अब इस्लाम की परंपराओं को देखें तो फरिश्तों की संख्या इससे भी ज्यादा होगी. एक हदीस के अनुसार हरेक इंसान के साथ बीस फरिश्ते लगे होते हैं और जो मुसलमान होंगे उन के साथ 360 फरिश्ते लगे होते हैं. अगर विश्व की आबादी आज 6 अरब है तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि फरिश्तों की संख्या कितनी होनी चाहिए. लेकिन फरिश्तों और देवताओं में एक बड़ा अंतर भी है.
ये अंतर हिंदू और मुस्लिम मान्यताओं की वजह से है. हिंदू अगर पत्थर और वृक्ष से भी कुछ प्राप्त करता है तो वो उस पत्थर और वृक्ष का भी सम्मान कर उन पर श्रद्धा प्रगट करता है और उसे पूजनीय मानता है. यही वजह है कि हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं . लेकिन इस्लाम की परंपरा के अनुसार बंदगी सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की हो सकती है फरिश्तों की नहीं.
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