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समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
मौलाना अरशद मदनी बनाम आचार्य लोकेश मुनि: सद्भावना सम्मेलन में एजेंडे को दिखाया आईना
अल्लाह और ओम एक हैं. जब कोई नहीं था, न श्री राम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे तो मनु ओम को पूजते थे. ओम कौन है? ओम ही अल्लाह है, जिन्हें आप ईश्वर कहते हैं. इस्लाम बाहर से आया हुआ मजहब है, यह कहना गलता है.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
जावेद अनीस
The Muslim Vanishes: एक जरूरी नाटक, जो काल्पनिक होते हुये भी सच्चाई के बहुत करीब है!
सईद नकवी की किताब 'द मुस्लिम वैनिशेस' किताब मूलतः एक काल्पनिक व्यंग्य नाटक है. जो भारत की मौजूदा राजनीति के परिप्रेक्ष्य में कई महत्वपूर्ण सवाल उठाती है. एक नाटक होने के बावजूद इसका मंचन मुश्किल लगता है. इसका कारण एक तो इसमें किरदारों की भरमार है और दूसरा विषय की जटिलता, इसके चलते इसका मंचन मुश्किल होगा.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
'मुस्लिम महिलाओं को टिकट देना इस्लाम विरोधी' कहने वाले मौलाना ने तो बस अपनी चाहत बताई है
अहमदाबाद की जामा मस्जिद के शाही इमाम साहब की टिप्पणी को जबरन महिला विरोधी साबित करने की कोशिश की जा रही है. जबकि, उन्होंने तो बस अपनी चाहत सबके सामने जाहिर की है. और, ये सिर्फ उनकी चाहत नहीं है. इस्लाम में महिलाओं को जो मकाम हासिल है. वो हिजाब से शुरू होकर तीन तलाक से भी आगे तक जाता है.
सोशल मीडिया
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
जाकिर नाइक, मौलाना युनूस जैसों की दिक्कत फुटबॉल-फीफा नहीं, 'कठमुल्लापन' है
पहले जाकिर नाइक अब मिस्र के मौलान युनूस माखियॉन... आखिरकार मुस्लिम कठमुल्लों की तरफ से फीफा वर्ल्ड कप 2022, फुटबॉल और कतर को लेकर वो बयान आ ही गया जिसका इंतजार बीते कई दिनों से हो रहा था.
स्पोर्ट्स
| 4-मिनट में पढ़ें
सुशोभित सक्तावत
@sushobhit.saktawat
क़तर के फीफा विश्व कप के दौरान सामने आया 'सभ्यताओं का टकराव'!
विश्व कप में फ़ुटबॉल के साथ ही 'क्लैश ऑफ़ सिविलाइज़ेशन' का भी जमकर मुज़ाहिरा हो रहा है. पश्चिमी जगत क़तर में इस्लामिक नियमों को थोपे जाने से नाराज़ है. वहीं ईरान के खिलाड़ी अपने देश के इस्लामिक शासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं तो जर्मन खिलाड़ी समलैंगिकों के पक्ष में आवाज न उठा पाने पर ऐतराज जताते नजर आए.
संस्कृति
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
कतर में FIFA World Cup के बहाने इस्लाम का प्रचार!
कतर (Qatar) में फीफा विश्वकप (FIFA World Cup) के आयोजन को लेकर फीफा का तर्क था कि 'दुनिया के अन्य हिस्सों को भी इसके आयोजन कराने का अधिकार है.' लेकिन, इतना तार्किक यानी Rational होकर सोचने के बाद भी फीफा को फुटबॉल विश्वकप में छोटी-छोटी सी सामान्य बातों के लिए भी कतर के सामने झुकना पड़ रहा है.
स्पोर्ट्स
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
FIFA 22 से पहले क़तर पहुंचे ज़ाकिर नाइक अपना एक अलग 'खेल' खेल रहे हैं जिसमें कप सीधा जन्नत है!
अपने विवादित भाषणों की वजह से सुर्ख़ियों में रहने वाले मुलिम धर्मगुरु जाकिर नाइक को क़तर ने फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए क़तर बुलाया गया है. जाकिर को ये जिम्मेदारी दी गयी है कि वो फीफा वर्ल्ड कप में जमकर इस्लाम धर्म का प्रचार और प्रसार करें. सवाल ये है कि जाकिर नाइक को क़तर बुलाकर क़तर करना क्या चाहता है?
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
मुस्लिम और ईसाई दलितों को नहीं दिया जा सकता एससी का दर्जा! जानिए केंद्र सरकार के तर्क
संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 के अनुसार, केवल हिंदू, सिख और बौद्ध दलितों को अनुसूचित जाति (Schedule Caste) का दर्जा दिया जा सकता है. संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में सिख दलितों को 1956 और बौद्ध दलितों को 1990 में अनुसूचित जाति का दर्जा दिया गया था. लेकिन, धर्म परिवर्तन कर इस्लाम और ईसाई बनने वाले दलितों को आरक्षण (Dalit Reservation) नहीं मिलता है.
सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
द कश्मीर फाइल्स की तरह The Kerala Story पर भी बैन लगाने की मांग होनी ही थी
सत्य घटनाओं पर आधारित फिल्म 'द केरल स्टोरी' (The Kerala Story) का विरोध कुछ उसी तरह से किया जा रहा है. जैसे विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) को निशाना बनाया था. वैसे, हाल ही में बैन किया गया इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पीएफआई (PFI) केरल में लव जिहाद के लिए पैसों से लेकर नौकरी तक उपलब्ध तक कराने के लिए मशहूर रहा है.