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Updated: 29 जनवरी, 2018 02:38 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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बजट पेश होने में अब बस कुछ दिन ही बाकी हैं. जीएसटी के लागू होने के बाद यह मोदी सरकार का पहला बजट होगा. अब जब मोदी सरकार जीएसटी लागू कर के अधिकतर अप्रत्यक्ष करों को खत्म कर चुकी है तो जनता इस बजट में जीएसटी को लेकर किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रही है. सरकार काफी समय से लगातार कह रही है कि वह डीजल-पेट्रोल को भी जीएसटी के दायरे में लाने की कोशिशें कर रही है. अगर मोदी सरकार इस बजट में डीजल-पेट्रोल को भी जीएसटी के दायरे में लाने की घोषणा कर दे, तो यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं होनी चाहिए.

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क्या रातों-रात इतना बड़ा फैसला ले सकती है मोदी सरकार?

मोदी सरकार के लिए रातों-रात बड़ा फैसला लेना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले नोटबंदी का फैसला भी पीएम मोदी ने रातों-रात ही लिया था. हालांकि, ऐसे फैसले लेने से पहले मोदी सरकार गुप्त तरीके से रणनीति जरूर बना लेती है. नरेंद्र मोदी यह पहले ही साफ कर चुके हैं उनकी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाने को तैयार है और नोटबंदी जैसे सख्त कदम भविष्य में भी उठाएगी. ऐसे में यह हो सकता है कि बजट में मोदी सरकार डीजल-पेट्रोल को भी जीएसटी में लाने की घोषणा कर दे. लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर डीजल-पेट्रोल को भी जीएसटी के दायरे में ले आया गया तो इससे उसकी कीमतों पर क्या असर पड़ेगा और सरकार की कमाई बढ़ेगी या घटेगी?

डीजल-पेट्रोल जीएसटी में आ गया तो...

मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमत करीब 70 डॉलर (लगभग 4450 रुपए) प्रति बैरल है. एक बैरल में 159 लीटर होते हैं. इस तरह एक लीटर कच्चे तेल की कीमत करीब 28 रुपए है. कच्चे तेल की रिफाइनिंग, एंट्री टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन आदि के बाद तेल की कीमत में प्रति लीटर करीब 7 रुपए और जुड़ जाते हैं, यानी इस तरह तेल की कीमत हो जाएगी 35 रुपए प्रति लीटर.

मौजूदा समय में इस कीमत पर एक्साइज ड्यूटी, वैट, डीलर कमीशन जैसी चीजें भी लगती हैं. अगर डीजल-पेट्रोल जीएसटी के दायरे में आ जाता है तो भी डीलर कमीशन तो लगेगा, लेकिन एक्साइज ड्यूटी और वैट जैसे टैक्स नहीं लगेंगे. आपको बता दें कि डीजल-पेट्रोल की कीमतों में वैट का एक बड़ा हिस्सा होता है, जिसकी वजह से कीमतें अलग-अलग राज्यों में कम-ज्यादा होती हैं.

ये हो सकता है कीमतों का गणित

35 रुपए प्रति लीटर पर 3-5 रुपए डीलर का कमीशन मान लेते हैं, यानी अब तेल की कीमत हो गई लगभग 40 रुपए. अगर इस पर 12 फीसदी जीएसटी लगा तो कीमत करीब 45 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी, 18 फीसदी के हिसाब से यह कीमत करीब 47 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी और अगर 28 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया तब भी पेट्रोल की कीमत 51 रुपए प्रति लीटर ही होगी. यह कीमत मौजूदा कीमत (दिल्ली) से करीब 20 रुपए कम है. अब मान लेते हैं कि इस पर सबसे अधिक 28 फीसदी सेस भी लगा दिया गया, तो इसकी कीमत लगभग 65 रुपए हो जाएगी. यही गणित डीजल के साथ भी काम करेगा. यानी जीएसटी की दर इस बात का निर्धारण करेगी कि कीमतें क्या होंगी.

जीएसटी से फायदा होगा या नुकसान?

जीएसटी से उन राज्यों में लोगों को फायदा होगा, जहां पर अभी वैट के नाम पर मोटी कमाई की जाती है, जैसे मुंबई. जहां एक ओर दिल्ली में पेट्रोल की कीमत करीब 72 रुपए है, वहीं मुंबई में यह 80 पार कर चुकी है. ऐसे में जीएसटी लगने से दिल्ली के लोगों को तो कम राहत मिलेगी या हो सकता है ना भी मिले, लेकिन मुंबई जैसे शहर के लोगों को राहत मिलना तय है. अगर ऊपर बताए गए गणित के हिसाब से सबसे अधिक जीएसटी (28 फीसदी) और उस पर 28 फीसदी सेस भी लगा दिया गया तो कीमत करीब 65-66 रुपए होगी यानी दिल्ली जैसी जगह में भी पेट्रोल की कीमत 5-7 रुपए प्रति लीटर कम हो सकती है. हालांकि, अगर रिफाइनिंग की लागत, जिसे 7 रुपए माना गया, वह बढ़ जाती है तो पेट्रोल की कीमत भी बढ़ जाएगी और उस स्थिति में हो सकता है कि दिल्ली जैसी जगह में ग्राहकों को कोई खास राहत न मिले.

सरकार को फायदा या नुकसान?

अगर बात महाराष्ट्र जैसे राज्य की करें तो जीएसटी से उनके राजस्व में बड़ी गिरावट आना तय है. लेकिन दिल्ली जैसे राज्यों पर इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. इसी तरह (पश्चिम बंगाल) कोलकाता और चेन्नई (तमिलनाडु) पर भी डीजल-पेट्रोल के जीएसटी में आने से काफी असर पड़ेगा. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जिस राज्य में डीजल-पेट्रोल की कीमतें अधिक हैं, वहां पर ग्राहकों को राहत मिलना तय है, लेकिन जहां पहले ही कीमतें कम हैं, वहां मामूली राहत ही मिलेगी.

यानी अगर गौर से देखा जाए तो डीजल-पेट्रोल के जीएसटी के दायरे में आने के बाद कुछ राज्यों को फायदा हो ना हो, लेकिन कुछ राज्यों को नुकसान होना तय है. ऐसे में यह भी हो सकता है कि सरकार डीजल-पेट्रोल के जीएसटी में आने की वजह से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कोई सख्त कदम उठाए. हो सकता है कि राज्यों को होने वाले नुकसान को बैलेंस करने के चक्कर में डीजल-पेट्रोल की कीमत भी कुछ राज्यों में अभी की तुलना में बढ़ जाए और कुछ में कम हो जाए.

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