BUDGET 2018: इन 16 शब्दों को जानकर आसानी से समझ जाएंगे जेटली का बजट भाषण
बजट सभी के लिए जितना जरूरी है, उसे समझना उतना आसान नहीं है. एक के बाद एक वित्त मंत्री के मुंह से ऐसे शब्द निकलते हैं जो बहुत से लोगों के लिए किसी बाउंसर से कम नहीं होते.
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किसी भी देश के लिए बजट पेश होने का दिन सबसे अहम होता है. भारत का वो अहम दिन बस कुछ ही दिनों में आने वाला है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली देश का बजट पेश करेंगे. पूरा देश इस बजट को सुनना भी चाहता है, लेकिन जैसे ही वित्त मंत्री बजट पेश करना शुरू करते हैं तो अधिकतर लोगों की भौंहें सिकुड़ जाती हैं. दरअसल, बजट सभी के लिए जितना जरूरी है, उसे समझना उतना आसान नहीं है. एक के बाद एक वित्त मंत्री के मुंह से ऐसे शब्द निकलते हैं जो बहुत से लोगों के लिए किसी बाउंसर से कम नहीं होते. अगर आपको भी बजट के भाषण के दौरान बोले गए शब्दों को मतलब समझने में दिक्कत होती है, तो एक बार नीचे दिए गए शब्दों के मतलब पढ़ लीजिए, बजट का भाषण समझने में आसानी होगी.
1- आर्थिक समीक्षा
इकोनॉमिक सर्वे यानी आर्थिक समीक्षा से इस बात का पता चलता है कि किसी सरकार के फैसलों का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा है. इससे यह पता चलता है कि किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ है और कृषि समेत अन्य सभी उद्योगों में कितना विकास हुआ है. इसे बजट से पहले पेश किया जाता है, जिसे बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है.
2- केंद्रीय बजट
आने वाले साल भर में होने वाले खर्च के अनुमान को बजट कहा जाता है. इसमें सरकार आय और व्यय का पूरा ब्योरा देती है. सरकार बताती है कि आने वाले साल में वह किस योजना पर कितना खर्च करेगी और उस खर्चे की व्यव्स्था कैसे की जाएगी.
3- रेल बजट
भारतीय रेलवे को कितना पैसा दिया जाना है, इसके लिए रेल बजट पेश किया जाता है. पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे, लेकिन 21 सितंबर 2016 को 92 सालों से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को खत्म करते हुए भारत सरकार ने यह फैसला किया कि अब रेल बजट और आम बजट एक में ही जोड़ दिया जाएगा.
4- GDP
जीडीपी यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद. एक खास अवधि के दौरान देश की सीमा के अंदर वस्तु और सेवाओं के उत्पादन की कुल कीमत को जीडीपी कहा जाता है. इसकी गणना साल में चार बार यानी हर तीन महीने पर की जाती है. भारत में कृषि, उद्योग और सेवाओं के उत्पादन के औसत के आधार पर जीडीपी दर तय होती है. जीडीपी किसी भी देश की तरक्की को दिखाता है. यानी अगर जीडीपी बढ़ता है तो मतलब देश तरक्की कर रहा है, लेकिन अगर जीडीपी घटता है तो मतलब देश की माली हालत में गिरावट आ रही है.
5- GNP
जीएनपी यानी ग्रॉस नेशनल प्रोडक्ट यानी सकल राष्ट्रीय उत्पाद. जहां एक ओर जीडीपी में सिर्फ देश में हुए उत्पादन को गिना जाता है वहीं दूसरी ओर जीएनपी में देश के बाहर भी भारतीयों द्वारा किए गए उत्पादन को गिना जाता है. कुल जीडीपी में से आयात की गई कीमत को जोड़ देते हैं, जबकि निर्यात की गई कीमत को घटा देते हैं. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि जीडीपी में उस कमाई को जोड़ दिया जाता है जो भारतीय नागरिकों ने देश के बाहर की है और उस कमाई को घटा दिया जाता है जो विदेशी नागरिकों ने देश में की है, तो हमें जीएनपी प्राप्त होता है.
6- GST
जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स यानी वस्तु एवं सेवा कर. जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है, जिसके तहत वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगाया जाता है. इस बार के बजट में पहली बार जीएसटी पर बात होगी, क्योंकि 1 जुलाई 2017 में ही जीएसटी लागू हुआ है.
7- राजकोषीय घाटा
Fiscal Deficit यानी राजकोषीय घाटा उस अंतर को कहते हैं जो सरकार को प्राप्त कुल राजस्व और सरकार के कुल व्यय के बीच होता है. अगर खर्च अधिक होता है तो यह घाटा होता है और अगर राजस्व अधिक होता है तो यह फायदा होता है. हालांकि, समान्यतया यह सिर्फ घाटा ही होता है.
8- आयकर
Income Tax यानी आयकर वह टैक्स होता है जो सरकार देश के नागरिकों की आय पर लगाती है. किसी भी शख्स की 2.5 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगता है, उसके बाद की कमाई पर आयकर लगता है. लोगों से मिले टैक्स का इस्तेमाल सरकारी खर्चों में और देश के विकास में किया जाता है.
9- प्रत्यक्ष कर
ये वो टैक्स होता है जो देश के लोगों से सीधे तौर पर वसूला जाता है. जैसे- आयकर, कॉरपोरेट टैक्स, शेयर या दूसरी संपत्तियों पर लगने वाला कर, प्रॉपर्टी टैक्स.
10- अप्रत्यक्ष कर
ये वो टैक्स होता है जो देश की जनता से अप्रत्यक्ष तरीके से वसूला जाता है. आए दिन खरीदने वाले सामान और इस्तेमाल की जाने वाली सेवाओं पर जो टैक्स दिया जाता है उसे अप्रत्यक्ष कर कहा जाता है. जीएसटी इसका ही एक उदाहरण है.
11- VAT
वैट यानी वैल्यू ऐडेड टैक्स वह टैक्स जो राज्यों द्वारा किसी सामान को खरीदने वाले पर लगाया जाता है. जो प्रोडक्ट जीएसटी के दायरे में आते हैं अब उन पर वैट नहीं लगता, क्योंकि उन पर जीएसटी लगता है. वहीं पेट्रोलियम पदार्थों जैसे डीजल-पेट्रोल पर अभी भी राज्यों द्वारा वैट लगाया जाता है, क्योंकि यह जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं.
12- वित्त विधेयक
नया टैक्स लगाने और टैक्स के प्रस्तावों में बदलाव करने को लेकर वित्त विधेयक (Finance Bill) पेश किया जाता है. इसे संसद की ओर से एक साल की मंजूरी मिलती है, जिसके बाद वह उस वित्त वर्ष के लिए वित्त अधिनियम बन जाता है.
13- उत्पाद शुल्क
Excise Duty यानी उत्पाद शुल्क वह शुल्क होता है जो देश में बनी और देश में ही बिकने वाली किसी वस्तु पर लगता है. उत्पाद शुल्क की जगह अब अधिकतर चीजों पर जीएसटी लगने लगा है, लेकिन अभी भी कुछ चीजें जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखा गया है, इसलिए इस पर उत्पाद शुल्क लगता है.
14- सीमा शुल्क
Custom Duty यानी सीमा शुल्क वह शुल्क होता है जो देश की सीमा से अंदर-बाहर जाने वाली वस्तु पर लगता है. निर्यात की जाने वाली वस्तु पर निर्यात शुल्क लगता है, जबकि आयात की जाने वाली वस्तु पर आयात शुल्क लगता है.
15- इनपुट क्रेडिट
कारोबारियों को डबल टैक्स से बचाने के लिए इनपुट क्रेडिट की सुविधा दी जाती है. इनपुट टैक्स क्रेडिट उसे कहते हैं, जब कच्चे माल के लिए दिए गए टैक्स को अंतिम उत्पाद पर लगने वाले टैक्स में से घटाने की सुविधा मिले. यानी अगर आपने कच्चे माल पर कोई टैक्स दिया है, तो अंतिम उत्पाद पर लगने वाले टैक्स में से आपको कच्चे माल पर लगने वाले टैक्स को घटाने की सुविधा मिलेगी और सिर्फ बचा हुआ टैक्स ही देना होगा.
16- कैपिटल गेन
किसी चल-अचल संपत्ति, शेयर या बॉन्ड को बेचने से जो फायदा होता है उसे कैपिटल गेन कहा जाता है. यह दो तरह का होता है- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन.
संपत्ति के मामले में अगर संपत्ति को 3 साल के बाद बेचा जाए तो उससे हुआ फायदा लॉन्ग टर्म गेन कहलाता है, जबकि उससे पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म गेन कहलाता है.
शेयर और बॉन्ड के मामले में 1 साल से कम की अवधि में शेयर या बॉन्ड बेचने पर शॉर्ट टर्म कहलाता है, जबकि इससे अधिक की अवधि में लॉन्ग टर्म कहलाता है.
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