Budget 2018: किसानों के लिए आ सकती है एक विशेष योजना
देश के किसान बजट 2018 से बड़ी उम्मीद लगाकर बैठे हैं. उन्हें आशा है कि 2019 लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार उनको आर्थिक सहायता अवश्य देगी. यह देखने वाली बात होगी की सरकार 'भावांतर भुगतान योजना' जैसी कोई सौगात बजट में लाती है या नहीं.
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हाल ही में भाजपा ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनावों में विजय प्राप्त की. हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने जहां कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया वहीं गुजरात में पार्टी किसी तरह अपनी सरकार बचाने में सफल हो पाई. भाजपा के गुजरात में खराब प्रदर्शन का मुख्य कारण पाटीदार आंदोलन न होकर, ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की खराब आर्थिक स्थिति और किसानों के रोष को पाया गया.
मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 में खरीफ की फसल के समय लागू की थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य फसल के पैदावार से लेकर फसल को मंडी में बेचने तक, किसी भी समय, किसी कारण से, फसल का नुकसान होने पर किसान को उचित भरपाई करना है. इस योजना को लागू कर सरकार का प्रयास था कि फसल के नुकसान होने की स्थिति में किसान आर्थिक संकट में न फंस जाएं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने फसल के नुकसान की स्थिति में किसान को सहयोग देने का प्रयास किया, परंतु कृषि उत्पाद का उचित मूल्य न मिलने की समस्या फिर भी बरकरार रही.
कृषि उत्पाद का उचित मूल्य न मिलने के कारण मंदसौर, मध्य प्रदेश में पिछले साल जून में किसानों ने उग्र प्रदर्शन किया. उस समय किसानों पर गोली चलने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना भी घटी. इस घटना ने किसानों में व्याप्त असंतोष को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया.
इस बजट में किसानों के लिए कोई सौगात लाएंगे मोदी जी
भरपूर कृषि उत्पाद की स्थिति में मुनाफ़ा तो दूर, किसानों को अपनी लागत के पैसे भी नहीं मिलते हैं. मंदसौर की घटना से सीख लेते हुए और इस समस्या से निपटने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 'भावांतर भुगतान' योजना शुरू की. इस योजना के अंतर्गत न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसान द्वारा कृषि मंडी में उत्पाद बेचने पर पाए जाने वाले घोषित मॉडल विक्रय दर के अंतर की राशि को मुआवज़े के रूप में सरकार द्वारा किसान को प्रदान किया जाता है.
इस योजना के कुछ अच्छे परिणाम आए हैं, तो कुछ सवाल भी खड़े हो गए हैं. मध्य प्रदेश के काफ़ी किसानों को इस योजना के तहत मुआवज़ा मिला है. दूसरी ओर किसानों का आरोप भी है कि मंडियों में खाद्य-पदार्थ के व्यापारियों ने इस योजना के चलते जानबूझकर खाद्य-पदार्थ की कीमतें कम कर दी है. साफ़ तौर पर अभी इस योजना की शुरूआत है और अभी इसके कई नियमों में सुधार की आवश्यकता है. बहरहाल इस योजना को एक अच्छी शुरूआत के रूप में देखा जा सकता है.
इस साल राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव हैं. और 2019 में लोक सभा के चुनाव आने वाले हैं. इन महत्वपूर्ण चुनावों से पहले मोदी सरकार किसानों की इस समस्या का हल निकालना चाहेगी. भाजपा को पता है कि जब किसान संतुष्ट होगा तभी उसे चुनावों में समर्थन मिलेगा. जानकार यह उम्मीद लगा रहे हैं कि आगामी बजट में केंद्र सरकार मध्य प्रदेश की 'भावांतर भुगतान योजना' से मिलती जुलती कोई योजना ला सकती है.
देश के किसान बजट 2018 से बड़ी उम्मीद लगाकर बैठे हैं. उन्हें आशा है कि 2019 लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार उनको आर्थिक सहायता अवश्य देगी. यह देखने वाली बात होगी की सरकार 'भावांतर भुगतान योजना' जैसी कोई सौगात बजट में लाती है या नहीं.
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