तो क्या मोदी हार जाएंगे 2019 का चुनाव?
2014 से लगातार मोदी जी जीत रहे हैं, लेकिन एक ऐसा कारण भी है जो उनकी जीत के इस सिलसिले को हार में बदल सकता है. क्या है वो कारण?
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2014 से लगातार जीत रहे मोदी 2019 के लिए तैयारी में जुटे हुए हैं, लेकिन चुनाव हों उससे पहले मोदी को एक उतारा जरूर करवा लेना चाहिए. दरअसल बात ही कुछ ऐसी है. एक अपशगुन है जो जीएसटी के मामले में तब से चला आ रहा है जब से फाइनेंस का जन्म हुआ है. अब विपक्षी दलों में भला इतनी कबिलियत कहां कि जो वह मोदी को चुनाव हरा सकें, लेकिन अगर कोई अपशगुन ही मोदी के पीछे लग जाए तो क्या होगा?
दरअसल, बात जीएसटी से जुड़ी हुई है. इतिहास गवाह है कि जहां-जहां भी जीएसटी अब तक लागू हुआ है वहां उसे लागू करने वाली सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आई है. तो जिस जिएसटी को लेकर मोदी और जेटली बहुत खुश हैं वही जीएसटी उनकी नइया डुबा भी सकता है और पार भी लगा सकता है.
जीएसटी को लेकर आपने कई बातें सुनी होंगी, लेकिन हम आपके सामने लेकर आ रहे हैं कुछ ऐसे फैक्ट्स जो शायद आपको ना पता हों!
- क्यों हो सकती है मोदी की हार? अभी तक जिन 165 देशों में जीएसटी लागू हुआ है. वहां पर जिस भी पार्टी की सरकार रही है उस पार्टी की अगले आम चुनाव में हार ही हुई है. यह एक सच्चाई है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है. - ऐसा कहने का दूसरा कारण...
अभी तक जितने देशों में भी जीएसटी लागू हुआ है. वहां शुरुआत के दो- तीन साल मंहगाई तेजी से बढ़ी ही है. अगर ऐसा होता है तो पहले सर्जिकल स्ट्राइक, फिर मोदी लहर और फिर नोटबंदी का सारा काम मटियामेट हो जाएगा. मंहगाई धीरे-धीरे कम होगी, लेकिन ऐसा यकीनन 2019 के आम चुनावों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है.
- ऐसा कहने का तीसरा कारण...
पांच देश आस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, मलेशिया और सिंगापुर में जब जीएसटी लागू किया गया. IMF (इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड- देशों की जीडीपी को रेटिंग देने वाली संस्था) के मुताबिक इन देशों जीडीपी में 5 फीसदी तक के आसपास की गिरावट दर्ज हुई और बाद में जीडीपी माइनस में चली गई. उसके बाद इन देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई.
जीएसटी को लागू करने वाले 5 अन्य देशों का लेखा-जोखा....
देश |
जीएसटी लागू करने वाले प्रधानमंत्री |
किस पार्टी के थे. |
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किस पार्टी के थे. |
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पाकिस्तान
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शौकत अजीज |
पाकिस्तान मुस्लिम लीग |
यूसुफ रजा गिलानी |
पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी |
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आस्ट्रेलिया |
जान हावर्ड |
लिबरल पार्टी |
केविन रुड |
लेबर पार्टी |
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कनाडा |
ब्रायन मुलरनी
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प्रोग्रेसिब कंज़र्वेटिव पार्टी
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जीन क्रेटीन
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लिबरल पार्टी |
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न्यूजीलैंड |
डेविड लेंज |
लेबर पार्टी |
जिम बोलगेर
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नेशनल पार्टी |
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फ्रांस |
पियरे मेंडेस फ्रांस
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रैडिकल पार्टी
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क्रिश्चियन पिनियू |
फ्रेंच सेंक्शन ऑफ द वार्कर इंटरनेशनल |
तो कुल मिलाकर जीएसटी मोदी के लिए मील का पत्थर तो साबित होगा, लेकिन ये पत्थर उन्हें मंजिल तक पहुंचाएगा या फिर रास्ते से भटका देगा ये तो वक्त ही बताएगा. बहरहाल, ऐतिहासिक तौर पर तो जीएसटी लागू करने वाली सरकार के 'अच्छे दिन' नहीं रह जाते.
(ये आर्टिकल आईचौक के साथ इंटर्नशिप कर रहे जयंत विक्रम सिंह की रिसर्च के आधार पर लिखा गया है.)
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