GST: दिवाली का तोहफा नहीं ये गलती सुधारने की कोशिश है...
इस बार काउंसिल ने लाखों लोगों को राहत देने की बात कही है. लेकिन क्या बदलाव वाकई सबको फायदा देने के लिए किए गए हैं या फिर सरकार अपनी गलती सुधार रही है.
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जीएसटी काउंसिल ने एक बार फिर से टैक्स में बदलाव किए हैं. इस बार काउंसिल ने लाखों लोगों को राहत देने की बात कही है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने भाषण में कह दिया की 3 महीने अध्ययन करने के बाद जहां-जहां दिक्कत हुई थी वहां बदलाव कर दिए गए हैं. पहले डालिए बदलावों पर एक नजर...
- करीब 27 वस्तुओं के टैक्स स्लैब को कम कर दिया गया है.
- 1.5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले बिजनेस के लिए अब तिमाही रिटर्न फाइलिंग की सुविधा दे दी गई है. कंपोजिशन स्कीम की सीमा 75 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दी गई है.
- जीएसटी में बदलाव के बाद अब 2 लाख रुपए तक की ज्वैलरी की खरीदारी पर पैन देना जरूरी नहीं होगा. पहले 50 हजार रुपए से ज्यादा की खरीदारी पर PAN देना अनिवार्य था.
- निर्यातकों को 10 अक्टूबर से टैक्स रिफंड किया जाएगा. वित्तमंत्री ने कहा कि निर्यात पर 0.1 प्रतिशत का जीएसटी लागू है.
- जेटली ने कहा कि आम, खाखरा और आयुर्वेदिक दवाओं पर जीएसटी की दर 12 से 5 फीसदी की गई है. स्टेशनरी के कई सामान पर जीएसटी 28 से 18 प्रतिशत कर दी गई है. हाथ से बने धागों पर जीएसटी 18 से 12 प्रतिशत कर दी गई है.
- प्लेन चपाती पर जीएसटी 12 से 5 प्रतिशत कर दी गई है. आईसीडीएस किड्स फूड पैकेट पर जीएसटी 18 से 5 प्रतिशत की गई है.
- अनब्रैंडेड नमकीन पर 5 प्रतिशत जीएसटी की दर लागू होगी. यही दर अनब्रैंडेड आयुर्वेदिक दवाओं पर भी लागू होगी.
- डीजल इंजन के पार्ट्स पर अब 18 फीसदी जीएसटी लगेगी. साथ ही दरी (कारपेट) पर जीएसटी की दर को 12 से 5 प्रतिशत कर दिया गया है.
ये तो थे बदलाव, लेकिन ये बदलाव आखिर किस हद तक समझ में आए आपके? अगर पूरी तरह से समझ गए हैं तो मुबारक हो.. और अगर नहीं समझे तो भी घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि आप उन लाखों भारतीयों जैसे हैं जिन्हें ये समझ नहीं आया है.
तीन महीने बीत गए हैं और अभी तक जीएसटी को लेकर कई बदलाव किए जा चुके हैं. एक तरह से ये ट्रायल एंड एरर केस ही बन गया है. मोदी सरकार ने इसे पूरे देश में लागू कर ट्रायल बेसिस पर छोड़ दिया और अब खुद ही कह रहे हैं कि जहां-जहां दिक्कत आ रही है उसे ठीक करने की कोशिश की जा रही है.
सबसे बड़ा यू-टर्न...
कम्पोजिशन स्कीम की लिमिट बढ़ाकर और मंथली रिटर्न को तिमाही रिटर्न करना सरकार का सबसे बड़ा यू टर्न है. इससे होगा ये कि 90 प्रतिशत बिजनेस मंथली फाइलिंग से बच जाएंगे और जीएसटी रिफॉर्म के अंतरगत सिर्फ 10% ही रह जाएंगे. इंडिया टुडे के एडिटर और जाने माने इकोनॉमिक कॉलमनिस्ट अनशुमन तिवारी के हिसाब से तिमाही रिटर्न के कारण रियल टाइम इनवॉइस मैच करना और टैक्स क्रेडिट डिलिवरी मुश्किल हो जाएगी और इसी कारण जीएसटी पहले वाले सिस्टम की तरह हो जाएगा बस फर्क इतना होगा कि टैक्स ज्यादा होगा.
With the return of Qtly returns,high exemption & politics driven tax cuts we are almost back to the square one in indirect tax set up. #GST
— anshuman tiwari (@anshuman1tiwari) October 6, 2017
With return of Quarterly returns we are back to good old days. no Real time invoice matching and delivery of input tax credit #GST https://t.co/UEyGfBk1aQ
— anshuman tiwari (@anshuman1tiwari) October 6, 2017
जिन समस्याओं के बल पर टैक्स सिस्टम को बदलने की बात की जा रही है क्या वो पहले नहीं देखी गई थीं. क्यों आखिर 1 जुलाई से लागू किया गया जब 15 सितंबर तक पूरी तैयारियों के साथ लॉन्च किया जा सकता था. सरकार द्वारा लोगों को हुई परेशानी और नुकसान का लेखा-जोखा कौन देगा और कौन इस नुकसान की भरपाई करेगा.
जहां पहले ही आबादी को डिजिटल होने में परेशानी हो रही है वहां क्यों आखिर GSTN जैसा सिस्टम लगाया गया. इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? फिर ये जीएसटी रिफॉर्म की जगह अपनी गलती सुधारने की कोशिश ही रह गई है.
कुछ ये भी तर्क...
1. पहले ही जीएसटी को समझने में मुश्किल हो रही थी. अब अगर हर महीने नए नियम आ रहे हैं तो कारोबारियों को कैसे समझाए जाएंगे. 2. एक देश एक टैक्स की जगह अब ये एक देश अनेक टैक्स ही हो गया है. 3. ड्यूटी, चार्ज, टैक्स सब मिला दिया जाए तो देश में इनडायरेक्ट टैक्स जैसी ही व्यवस्था लग रही है. 4. इतना कॉम्प्लेक्स सिस्टम बनाया गया है कि व्यापारियों को समझने में अभी भी काफी दिक्कत हो रही है.
आम नागरिकों ने कुछ इस तरह से ट्वीट की नई गाइडलाइन्स को लेकर. एक बात तो पक्की है. जीएसटी जो सरल बनाने की कोशिश की गई थी अब वही गले की हड्डी बनता दिखता है.
surat textile traders not celebrate #kalidiwali because of #GST #DeMonetisatio
— pradityasinh Zala (@chudva123) October 7, 2017
How could @thearvindswami make Fun of #Jaitly's Brave Move Of Reducing #GST on KhakhraHistory Will Remember Him For Such Brave Moves
— ShaanSid (@ShaanRealSid) October 7, 2017
#GST is d classic case of Govt. first injecting pain, then giving d painkiller, and then patting urself 4 relieving d pain. #GSTCouncilMeet
— Radio-Active Ranjan (@iranjandhar) October 7, 2017
Public : Yay #GST has arrived, it will be easy to do business now@askGST_GoI : https://t.co/hyeaX9SIRE
— Rahul Jain (@therahulj) October 7, 2017
@narendramodi :Turnaround Time (TAT) to take #GST decision = 3 months.. #Ridiculous ! .. why such exercise was not done pre-implementation ?
— Alka Adatia (@alka_adatia) October 7, 2017
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