सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में तेल का काम कर रही है हज-यात्रा
सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था का सबसे अहम हिस्सा है तेल. लेकिन तेल से अपनी निर्भरता को घटाने के लिए वहां के नए क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कमाई के लिए हज यात्रा पर फोकस किया है.
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जब कभी सऊदी अरब की बात होती है तो हमारे सामने दो तस्वीर उभरती है- पहला पेट्रोलियम की भरमार वाला देश. और दूसरा जहां मुसलमानों का तीर्थ मक्का और मदीना मौजूद है. सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था का सबसे अहम हिस्सा है तेल. लेकिन लगता है कि अब सऊदी अरब तेल पर से अपनी निर्भरता को घटाना चाहता है. यही वजह है कि वहां के नए क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अन्य तरीकों से भी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए विजन-2030 जारी किया है. इसके तहत हज-यात्रा और उमरा के लिए सऊदी जाने वाले लोग सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था के लिए नए ईंधन का काम करेंगे. आपको बता दें कि हर साल सऊदी में लाखों-करोड़ों लोग हज और उमरा के लिए पहुंचते हैं. इस साल भी दुनिया से करीब 20 लाख लोग हज करने सऊदी पहुंचे, जिनमें 1.28 लाख तो भारतीय ही हैं. तो चलिए जानते हैं हज को अर्थव्यवस्था का ईंधन बनाने के लिए क्या कर रहा है सऊदी अरब...
इस साल करीब 1.28 लाख भारतीय हज यात्री सऊदी पहुंच चुके हैं.
जिनके पास पैसा है उनके लिए लग्जरी हज
धार्मिक रूप से यह तय नहीं है कि हज के लिए एक मुस्लिम अधिकतम कितना पैसा खर्च कर सकता है. इसी बात का फायदा उठाकर सऊदी अरब सरकार ने तीर्थ यात्रियों के लिए लग्जरी सुविधाओं की झड़ी लगा दी है. बदले में मोटी कमाई जो हो रही है. मक्का में कई आलीशान होटल बनाए गए हैं, जहां से मक्का मस्जिद और पवित्र स्थल सीधे दिखाई देता है. यहां के सुईट में एक रात का किराया 4 लाख रुपए तक हो सकता है. The Guardian के अनुसार मक्का की मस्जिद के पास में ही दुनिया का सबसे बड़ा होटल भी बना हुआ है. 45 मंजिला इस होटल में 10,000 से भी अधिक बेडरूम हैं, 70 रेस्टोरेंट हैं और छत पर 5 हैलीपैड भी हैं. इसकी 5 मंजिलें तो सिर्फ सऊदी राज-परिवार के लिए रिजर्व हैं.
हज यात्रियों से कमाई के लिए पवित्र मक्का के आसपास आलीशान होटलें खड़ी कर दी गई हैं.
देखा जाए तो मक्का में आने वाले लोगों को अब यहां भव्यता दिखने लगी है. इस भव्यता की नींव इतिहास की कमर पर रखी गई है. The New York Times और Time के अनुसार कुछ इमारतें तो ऐसी हैं, जिन्हें ऐतिहासिक जगहों पर बनाया गया है. इस्लामिक इतिहास में दर्ज कई सम्मानित लोगों की कब्रों के ऊपर भी इमारतों को खड़ा कर दिया गया है. जहां एक ओर सऊदी भव्यता की ऊंचाइयां छू रहा है, वहीं लोगों की आलोचनाएं भी झेलनी पड़ रही हैं. पैसे वालों को भले ही अपने आलीशान पांच सितारा होटल के बेडरूम से लेटे-लेटे खिड़की से मक्का मस्जिद के दर्शन हो जाएंगे, लेकिन उन्हें इतिहास के वो पन्ने कभी नहीं दिखेंगे, जिन्हें इन बड़ी-बड़ी इमारतों की नींव में दबा दिया गया है.
लगातार बढ़ रहे हैं हज यात्री
हज यात्रा पर जाने वाले मुस्लिम लोगों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. 6 दिन चलने वाली यह हज यात्रा एक मुस्लिम के जीवन में बहुत अहम होती है. माना जानता है कि जो मुस्लिम हज का खर्च उठा सकते हैं उन्हें अपनी पूरी जिंदगी में कम से कम एक बार हज यात्रा जरूर करनी चाहिए. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सऊदी अरब को उम्मीद है कि 2030 तक हर साल करीब 3 करोड़ हज यात्री सऊदी अरब आने लगेंगे. यहां आपको बताते चलें कि पिछले करीब 25 सालों में लगभग 5 करोड़ 40 लाख मुस्लिम हज यात्रा पर जा चुके हैं.
अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका
सऊदी अरब में तीर्थाटन तेल और गैस के बाद दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है. हज साल में एक बार होता है, जबकि उमरा पूरे साल ही चलता रहता है. सऊदी अरब में हज और उमरा करने वालों से देश को हर साल करीब 84,000 करोड़ रुपए की आमदनी होती है. इसे अगर जीडीपी से जोड़कर देखा जाए तो यह सऊदी अरब की कुल जीडीपी का करीब 7 फीसदी है. अगर तेल और गैस को छोड़कर बाकी चीजों की कमाई से इसकी तुलना करें तो करीब 20 फीसदी कमाई सिर्फ हज से होती है. अब अगर सिर्फ हज की बात करें तो करीब 40,000 करोड़ रुपए यानी तकरीबन आधा हिस्सा हज से आता है. माना जा रहा है कि 2022 तक तीर्थाटन इंडस्ट्री 150 अरब डॉलर यानी करीब 10.53 लाख करोड़ रुपए हो जाएगी.
सऊदी अर्थव्यवस्था काफी बड़े स्तर पर तेल पर ही निर्भर करती है. वहां के बजट का 87 फीसदी, कुल जीडीपी का 47 फीसदी और कुल निर्यात का 97 फीसदी राजस्व सिर्फ तेल से आता है. ऐसे में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था पर काफी अधिक असर होता है. इसकी वजह से ही अब सऊदी अरब उन अन्य तरीकों को खोजने में जुटा है, जिससे अपने राजस्व को बढ़ा सके.
तो ये है असली प्लान
अपने विजन 2030 के तहत सऊदी अरब की योजना एक डेवलपमेंट कंपनी बनाने की है. यह कंपनी पहले चरण में 115 बिल्डिंग, 70,000 होटल के कमरे, 9 हजार फ्लैट और 3.6 लाख स्क्वायर मीटर का बाजार बनाएगी. इनसे तीर्थयात्रियों और अन्य आने वाले लोगों की खातिरदारी करने की क्षमता बढ़ेगी. साथ ही, इससे करीब 1.5 लाख रोजगार के मौके भी पैदा होंगे.
आपको बता दें कि हर साल करीब 20 लाख हज यात्री सऊदी अरब पहुंच रहे हैं. इनके लिए लगभग 14,000 इंटरनेशनल और घरेलू उड़ानों की जरूरत होती है. करीब 21,000 बसों के लिए इन यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाया जाता है. करीब 18,000 सिविल डिफेंस के कर्मचारी सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं और लगभग 80 लाख कुरान की कॉपियां बांटी जाती हैं. ऐसे में हज यात्री सऊदी अरब के लिए बेहद अहम हैं. इसे ध्यान में रखते हुए सऊदी अरब ने श्रद्धालुओं के लिए स्लीपिंग पॉड्स की भी व्यवस्था की है. 6 दिनों की इस यात्रा के दौरान यात्री इन पॉड्स में मुफ्त में आराम कर सकते हैं.
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