HRA का गणित जो बचा सकता है इनकम टैक्स की मार से...
क्या आप जानते हैं कि जो HRA हमारी बेसिक सैलरी के अलावा मिलता है वो पूरी तरह से टैक्सेबल होता है अगर सैलेरी लेने वाला कर्मचारी अपने खुद के घर में रहता है और रेंट नहीं देता. HRA के नियम जो जानना बहुत जरूरी है.
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हर रोज़ की तरह ऑफिस पहुंचने की जल्दी में रहने वाले लोगों के लिए एक बार फिर वो महीना आ गया है जिसके बाद टैक्स सेविंग और अपने इन्वेस्टमेंट प्रूफ देने की प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाएगी. एक बार फिर से टैक्स की बचत के लिए तरह-तरह के जतन किए जाएंगे.
टैक्स बचाने के लिए सबसे अहम चीज जिसका इस्तेमाल किया जाता है वो होती है रेंट की रसीदें. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो HRA हमारी बेसिक सैलरी के अलावा मिलता है वो पूरी तरह से टैक्सेबल होता है अगर सैलेरी लेने वाला कर्मचारी अपने खुद के घर में रहता है और रेंट नहीं देता.
कौन ले सकता है HRA का फायदा?
टैक्स बेनेफिट सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को मिल सकता है जिनके सैलरी स्ट्रक्चर में HRA पार्ट दिया गया है. साथ ही जो रेंट पर रहते हैं. जो लोग सेल्फ एम्प्लॉयड हैं उन्हें इसका फायदा नहीं मिल सकता.
कितना फायदा मिल सकता है?
जिन लोगों को रेंट रसीद से फायदा मिलता है उनके लिए भी HRA भी पूरी तरह से टैक्स स्लैब के बाहर नहीं होता उसके भी नियम हैं. HRA एक्जेम्पशन के नियम...
1. मेट्रो शहरों में 50% और नॉन मेट्रो शहरों में 40% का फायदा मिल सकता है. 2. अगर रेंट सालाना सैलरी के 10% से ज्यादा दिया जा रहा है. 3. सर्कुलेशन के लिए सैलरी का मतलब बेसिक सैलरी होता है. अगर डियरनेस अलाउंस और सेल्स टर्नओवर पर कोई कमीशन मिली है तो उसे भी जोड़कर कम से कम HRA एक्जेम्पशन तय किया जाएगा.
क्या डॉक्युमेंट्स लगेंगे...
अगर रेंट 1 लाख रुपए सालाना से ज्यादा दिया जा रहा है तो मकानमालिक का पैन कार्ड और रेंट एग्रिमेंट जरूरी है. अगर वो नहीं दिया जा रहा तो रेंट की रसीद से काम चल जाएगा.
क्या होगा HRA का गणित..
मसलन किसी की बेसिक सैलरी 19000 है और HRA 7500 रुपए मिलता है. अब रेंट उसका 8000 रुपए है और मेट्रो सिटी में रहता है. इस हिसाब से टैक्स रेट 20% का लगेगा.
तो असल में कितना रेंट टैक्सेबल होगा और कितना नहीं?
1. कितना HRA मिला = 90,0002. 50% सैलरी (12 महीने की बेसिक का 50%) = 114000 (228000 का 50%)3. कितना रेंट ज्यादा दिया जो 10% सालाना सैलरी से ज्यादा हुआ = 73,200 (96000 - 22800(सालाना रेंट- (सालाना बेसिक का 10%))
अब अगर देखा जाए तो यहां HRA की तुलना में सालाना बेसिक के 10% से ज्यादा जितना भी रेंट दिया जा रहा है वो सब एक्जेम्ट हो जाएगा. यानि
90,000-73,200= 16,800
टैक्स 16,800 पर लगेगा. यानि 20% टैक्स स्लैब के हिसाब से 3360 रुपए टैक्स HRA पर लगेगा.
जिन लोगों को HRA ज्यादा मिलता है और किसी वजह से उनका रेंट 1 लाख से ज्यादा नहीं हो पाता है उन्हें HRA पर ज्यादा टैक्स देना पड़ता है. ऐसा बिलकुल न सोचें कि अगर रेंट रसीद 1 लाख से ऊपर की लगाई है तो बिना मकान मालिक के पैन कार्ड के आपका क्लेम मान लिया जाएगा.
होम लोन और रेंट रसीद का झोल?
वैसे तो लोगों को लगता है कि वो रेंट रसीद अगर लगा रहे हैं तो होम लोन इंट्रेस्ट में टैक्स बेनेफिट नहीं ले सकते हैं, ऐसा है भी. या तो कोई टैक्स बचाने के लिए होम लोन के डॉक्युमेंट्स लगा सकता है या फिर सिर्फ रेंट रसीद, लेकिन छूट सिर्फ उन लोगों को मिलती है जिनका अपना घर तो है, लेकिन किसी दूसरे शहर में और नौकरी के लिए किसी दूसरे शहर में रह रहे हैं. ऐसे में कोई इंसान होम लोन और रेंट रसीद दोनों का फायदा ले सकता है.
अगर रेंट मिल रहा है...
अगर किसी के पास कोई घर है और उसे रेंट पर चढ़ा रखा है तो न तो रेंस रसीद काम आएगी और न ही कोई अपना होम लोन दिखाकर टैक्स बेनेफिट ले सकता है.
जिन्हें नहीं मिलता HRA ...
जिनके सैलरी स्ट्रक्चर में HRA नहीं है वो इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80 (GG) का फायदा उठा सकते हैं.
कितना मिलेगा फायदा?
1. सालाना सैलरी के 10% से अधिक रेंट दिया जा रहा है तो फायदा मिलेगा. इसका नियम भी HRA की तरह ही है. 2. 5000 रुपए प्रति माह.3. कुछ खास नियमों के अंतरगत सालाना इनकम का 25% (इसमें सैलरी की गणना अलग तरह से की जाती है.)
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