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Updated: 22 जून, 2016 03:03 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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कभी अपने जोरदार हमलों से कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं को हलकान कर देने वाले सुब्रमण्यम स्वामी ने लगता है कि अब अपनी ही पार्टी बीजेपी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. पहले आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की आलोचना करने के बाद अब स्वामी के निशाने पर हैं देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम हैं.

संयोग से राजन और अरविंद दोनों ग्रीन कार्ड होल्डर (अमेरिकी नागरिकता) हैं, दोनों ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में काम किया है, राजन आरबीआई गवर्नर बन चुके हैं तो अरविंद गवर्नर बनने की रेस में हैं और अब दोनों ही स्वामी के निशाने पर हैं.

रघुराम राजन को 'मानसिक तौर पर भारतीय' न होने की बात कहकर अपने निशाने पर ले चुके स्वामी ने अब अरविंद के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है. रघुराम राजन के उलट, अरविंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति मोदी सरकार द्वारा की गई थी और वह वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार हैं.

ऐसे में स्वामी का अरविंद के खिलाफ हमला ज्यादा हैरान करने वाला है क्योंकि कहीं न कहीं ये परोक्ष रूप से अपनी ही सरकार के कामकाज पर निशाना साधने जैसा है. तो आखिर अपनी ही सरकार के अधिकारी पर सवाल क्यों उठा रहे हैं स्वामी, क्या हैं मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पर हमले के मायने?

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राजन के बाद अब मुख्य आर्थिक सलाहकार क्यों हैं स्वामी के निशाने पर?

आरबीआई गवर्नर के तौर रघुराम राजन के बेहतरीन कामकाज और उनकी लोकप्रियता के बावजूद स्वामी ने उनके खिलाफ ताबड़तोड़ हमले किए और देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के आरोप तक स्वामी पर मढ़ दिए. अब जबकि रघुराम राजन ये स्पष्ट कर चुके हैं कि वह आरबीआई गर्वनर का दूसरा कार्यकाल नहीं संभालेंगे, ऐसा लगा जैसे स्वामी का एक मकसद पूरा हो गया. स्वामी ने ये सब राजन को दूसरी बार आईबीआई गवर्नर बनने से रोकने के लिए किया था और वे इसमें कामयाब भी हो गए.

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सुब्रमण्यम स्वामी ने आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के खिलाफ हाल में खूब हमले किए हैं

राजन के खिलाफ स्वामी के हमले के कहीं न कहीं राजनीतिक मायने भी थे और इसे मोदी सरकार और राजन के बीच कई मौकों पर दिखी दूरियों के तौर पर भी देखा गया. राजन कई बार मेक इन इंडिया सहित मोदी सरकार की कई योजनाओं की खुले आम आलोचना कर चुके हैं. एक वक्त ऐसा भी आया जब राजन और जेटली के बीच भी ठन गई थी. लेकिन बावजूद भी इसके मोदी सरकार ने राजन पर भरोसा जताए रखा तो इसकी वजह राजन की काबिलियत ही थी.

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मतभेदों के बावजूद पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक तौर पर राजन के काम की तारीफ भी की.लेकिन इस बात की चर्चा हमेशा बनी रही ही कि राजन की नियुक्ति कांग्रेस सरकार ने की थी और उन्हें आरबीआई गर्वनर मनमोहन सरकार ने बनाया था. इसलिए मोदी सरकार राजन को लेकर कभी पूरी तरह आशान्वित नहीं हो पाई.

शायद इसीलिए राजन पर स्वामी के हमले को कभी भी मोदी सरकार के खिलाफ हमले के तौर पर नहीं देखा गया. लेकिन अब जबकि स्वामी ने मोदी सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पर ही निशाना साधना शुरू कर दिया है तो राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई है, आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं स्वामी?

राजन, अरविंद के बहाने जेटली पर निशाना?

सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पर हमला बोलते हुए कई ट्वीट्स किए और लिखा कि अमेरिकी दवा कंपनियों के हितों की रक्षा के लिए भारत के खिलाफ कार्रवाई की सलाह अमेरिकी कांग्रेस को अरविंद सुब्रमण्यम ने ही दी थी, इसलिए उन्हें हटाया जाना चाहिए.

स्वामी ने अगले ट्वीट में लिखा कि जीएसटी बिल पर कांग्रेस के अपने रुख पर अड़े रहने के लिए भी अरविंद सुब्रमण्यम ने ही प्रोत्साहित किया है.

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पर हमले को वित्त मंत्री अरुण जेटली पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है. अरविंद वित्त मंत्रालय या यूं कहें कि अरुण जेटली के आर्थिक सलाहकार हैं. ऐसे में अरविंद की कोई भी आलोचना कहीं न कहीं जेटली के ऊपर भी हमला होगी. दरअसल मोदी के प्रिय अरुण जेटली और आरएसएस के करीबी स्वामी की प्रतिद्वंद्विंता राजनीति में हमेशा चर्चा का विषय रही है.

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सुब्रमण्यम स्वामी के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पर हमले को अरुण जेटली पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है!

स्वामी को लगता है कि जेटली ने ही बीजेपी में उनके प्रवेश को रोकने की कोशिश की और 2014 में दिल्ली की एक लोकसभा सीट से स्वामी का टिकट भी जेटली की वजह से ही कटा. चर्चा तो इस बात की भी है कि स्वामी वित्त मंत्री बनना चाहते थे लेकिन जेटली की वजह से उनका ये सपना भी पूरा नहीं हो पाया. पिछले साल दिसंबर में भी स्वामी ने जेटली पर हमला बोलते हुए कहा था कि अगर सरकार जेटली की कार्यप्रणाली के हिसाब से ही चलती रही तो काला धन कभी वापस नहीं आ पाएगा.

चर्चा तो ये भी है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी और अर्थशास्त्री स्वामी की इन आलोचनाओं के पीछे एक मकसद आरबीआई का अगला गर्वनर बनना है. इस रेस में राजन के बाद अरविंद सुब्रमण्यम का नाम ही सबसे आगे है और संयोग से अब वही अरविंद स्वामी के निशाने पर हैं. पहले राजन और अब अरविंद की आलोचना से इस संभावना को और बल मिलता है कि स्वामी शायद खुद को अगले आरबीआई गवर्नर के पद पर देखना चाहते हैं.

बढ़िया अर्थशास्त्री और आरएसएस के करीबी होने के बावजूद भी अगर स्वामी मोदी सरकार में किसी बड़े पद पर नहीं पहुंच पाए तो इसकी वजह है उनका विवादास्पद व्यक्तित्व, जिससे शायद सरकार बचना चाहती थी.

अब स्वामी फिर से अपने चिर-परिचित लड़ाकू वाले मोड में है, इससे उन्हें फायदा होगा या नुकसान ये तो वक्त ही बताएगा? लेकिन राजन और अरविंद पर स्वामी के हमले के मायने आर्थिक ही नहीं राजनीतिक भी हैं और इसका असर भविष्य में जरूर दिखेगा! 

लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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