Amazon-Flipkart पर मोदी सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक
इस सर्जिकल स्ट्राइक का नतीजा ये हुआ कि कल रात से ही Amazon और Flipkart जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट से बहुत सारे प्रोडक्ट गायब हो चुके हैं. तो आखिर क्या है ये नया नियम, जिसकी वजह से प्रोडक्ट गायब हो रहे हैं?
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एक ओर संसद में पीयूष गोयल अंतरिम बजट पेश कर रहे थे और पूरा देश उसी पर चर्चा करने में लगा हुआ था, वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने एक और सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है. ये सर्जिकल स्ट्राइक की गई है ई-कॉमर्स कंपनियों पर. लोग बजट की चर्चा में व्यस्त रहे और 1 फरवरी से ही ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर नए नियम लागू हो गए. नतीजा ये हुआ कि कल रात से ही Amazon और Flipkart जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट से बहुत सारे प्रोडक्ट गायब हो चुके हैं. तो आखिर क्या है ये नया नियम, जिसकी वजह से प्रोडक्ट गायब हो रहे हैं? देश में जबर्दस्त मुनाफा कमा रहींं इन कंपनियों ने ऐसा क्या िकिया था, जिस पर लगाम कसते ही इनकी अक्ल ठिकाने पर आ गई?
26 दिसबंर 2018 को मोदी सरकार ने ई-कॉमर्स सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर नियम कड़े कर दिए थे. इसके बाद से ही अमेजन और फ्लिपकार्ट काफी परेशान थे. वो तो ये भी चाहते थे कि सरकार नए नियम लागू करने की तारीख बढ़ा दे. सरकार ने नए नियमों को लागू करने की तारीफ 1 फरवरी तय की थी, लेकिन अमेजन चाहता था कि उसे 1 जून तक की मोहलत मिल जाए और फ्लिकार्ट चाहता था कि उसे कम से कम 6 महीने का समय दिया जाए ताकि नए नियमों को समझा जा सके. हालांकि, सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही और अब ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट से कुछ प्रोडक्ट गायब होने लगे हैं. लेकिन वो नियम है क्या, जिसके चलते इन कंपनियों को अपनी वेबसाइट से प्रोडक्ट हटाने पड़ रहे हैं?
लोग बजट की चर्चा में व्यस्त रहे और 1 फरवरी से ही ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर नए नियम लागू हो गए.
ये हैं नए नियम
सरकार ने दिसंबर में ई-कॉमर्स कंपनियों पर उन फर्मों के प्रोडक्ट्स बेचने पर रोक लगा दी थी, जिनमें इन ई-कॉमर्स कंपनियों की हिस्सेदारी हो. इतना ही नहीं, किसी भी उत्पाद की एक्सक्लूसिव बिक्री के लिए करार करने पर भी रोक लगा दी गई है. व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सरकार से आग्रह किया था कि इन बदलावों को लागू करने की समयसीमा न बढ़ाई जाए और ऐसा ही हुआ. तय तारीख यानी 1 फरवरी से नए नियम लागू हो गए.
कौन से प्रोडक्ट हट रहे हैं?
- इस नए नियम की वजह से अमेजन से ईको स्पीकर, बैटरी और फ्लोर क्लीनर जैसे प्रोडक्ट भी हट गए हैं.
- अमेजन के वेंडर Cloudtail नाम की कंपनी में अमेजन की अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी है, जो अब अमेजन की वेबसाइट पर नहीं दिख रहा है.
- कपड़ों में डील करने वाली कंपनी शॉपर्स स्टॉप भी अमेजन से गायब हो गई है, क्योंकि उसमें भी अमेजन की 5 फीसदी की हिस्सेदारी है.
कौन रहेगा फायदे में?
यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस नए नियम से कौन फायदे में रहेगा और किसे नुकसान झेलना पड़ेगा. इसका फायदा होगा व्यापारी वर्ग को. दरअसल, ये ई-कॉमर्स कंपनियां काफी अधिक डिस्काउंट और कैशबैक के लालच देकर ग्राहकों को अपनी ओर खींच रही थीं, जिसकी वजह से छोटे व्यापारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था.
सरकार का प्लान है कि कई चीज़ें जैसे एफडीआई, लोकल डेटा स्टोरेज, कंज्यूमर सर्विस आदि सब छोटे और मीडियम स्केल बिजनेस को मिल जाए. सरकारी पॉलिसी के अनुसार बड़े ई-कॉमर्स प्लेयर्स जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट बड़े डिस्काउंट देकर फायदा उठा लेते हैं और छोटी ई-कॉमर्स कंपनियां और रिटेल स्टोर्स कुछ नहीं कर पाते. ऐसे में अगर डिस्काउंट देने की एक तय रणनीति बना दी जाएगी तो यकीनन छोटे वेंडर्स का डिस्काउंट भी लोग देख पाएंगे.
नए नियमों से किसे होगा नुकसान?
जो नए नियम बनाए गए हैं, उनसे सबसे बड़ा नुकसान तो बेशक फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को हो ही रहा है, लेकिन ग्राहकों की जेब पर भी इसका असर पड़ना तय है. दरअसल, इस नए नियम के लागू हो जाने के बाद अब ये कंपनियां ग्राहकों को भारी-भरकम ऑफर और डिस्काउंट नहीं दे सकेंगी, ना ही आपको ढेर सारा कैशबैक मिलेगा. यानी अब आपको सामान खरीदने के लिए पहले की तुलना में अधिक पैसे चुकाने पड़ सकते हैं.
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