500 और 1000 के पुराने नोट को लेकर मिल सकती है गुड न्यूज
जो समय रहते 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट नहीं बदलवा सके. यह खबर ऐसे ही लोगों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आई है.
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लोगों के लिए अभी भी सबसे बड़ी टेंशन है... जो 500 और हजार के पुराने नोट जो घर की तिजोरी में रखें हैं उनका क्या करें. वैसे तो नोटबंदी लागू हुए काफी समय गुजर गया है. अब तो सभी जगह हालात पूरी तरह सामान्य नजर आ रहे हैं, लेकिन फिर भी ऐसे लोगों के बारे में सुनने में आ ही जाता है, जो समय रहते 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट नहीं बदलवा सके. यह खबर ऐसे ही लोगों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आई है.
गर्मी की छुट्टियों के बाद मिल सकती है गुड न्यूज
अगर आपके पास अब भी 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बचे हैं तो इसे कम-से-कम जुलाई के आखिर तक सुरक्षित रखिए. क्योंकि इस बार सुप्रीम कोर्ट आपको गुड न्यूज दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट से संकेत मिले हैं कि सभी को नोट बदलने का एक और मौका मिल सकता है.
सुप्रीम कोर्ट गर्मियों की छुट्टियों के बाद यानी जुलाई में यह तय करेगा कि जो लोग उचित कारणों से या 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते वक्त प्रधानमंत्री के वादे पर ऐतबार कर 30 दिसंबर 2016 तक पुराने नोट बंद नहीं कर सके, क्या उनके लिए सरकार को एक और मौका दिए जाने को कहा जाना चाहिए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बंद किए नोट को बदलने की मियाद में यदि वह कोई राहत देने का फैसला करता है तो वह सबके लिए होगा, न कि कुछ खास मामलों में.
30 दिसंबर से पहले नोट जमा नहीं कराने के मामले में दर्जनभर से अधिक याचिकाएं कोर्ट के सामने आई. एक याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपनी 66.80 लाख रुपए की रकम बैंक में केवाईसी नहीं होने से जमा नहीं करा सका.
याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस मामले में केन्द्र का पक्ष रखा और कहा कि नोटबंदी को लेकर जो अध्यादेश लाया गया उसमें नोट जमा कराने के मामले में मियाद बढ़ाने का प्रेशर नहीं है. चलन से जो नोट बाहर उसे अध्यादेश में अपराध माना गया. अब दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा.
हालांकि चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल ने व्यक्तिगत मामलों में रुचि लेने से इंकार कर दिया. फिर भी यह कहा कि इस मामले में फैसला लिया जाएगा कि क्या एक ओर मौका मिले या नहीं. यदि मिलता है तो सभी को फायदा होगा.
वहीं अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामल में फैसला देता है तो फिर भी तय तो सरकार को ही करना है कि तय अवधि तक नोट जमा नहीं कराने का कारण कितना उचित है या अनुचित. लेकिन एक बात तो साफ है जिनके पास पुराने नोट अभी भी तिजोरी में धूल खा रहे होंगे उनके लिए ये खबर कोई गुड न्यूज से कम नहीं है.
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