ये रिपोर्ट देखिए और बताइए, कहां है अच्छे दिन...
भारत की पहली सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना की रिपोर्ट आ गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में हर तीन में से एक घर गरीबी रेखा से नीचे है. इनकी आय का कोई स्थाई स्रोत भी नहीं है.
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तीन महीने पहले नाइट फ्रेंक वेल्थ रिपोर्ट आई, जिसमें बताया गया कि दुनिया में बिलियनेयरों (6200 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति वाले) की आबादी दस साल में दोगुनी हो जाएगी. इस मान से भारत दुनिया में अभी सातवें पायदान पर है और फिर चौथे पायदान पर आ जाएगा.
यह रिपोर्ट जितनी उत्साहजनक है, उतनी ही निराशाजनक है भारत की पहली सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (India's first Socio Economic Caste Census) रिपोर्ट, जिसके मुताबिक-
- ग्रामीण क्षेत्रों में हर तीन में से एक घर गरीबी रेखा से नीचे है.
- ग्रामीण क्षेत्र के हर तीन में से एक घर (एक कमरे का कच्चा मकान) में आय का स्थाई स्रोत नहीं.
- 17.91 करोड़ ग्रामीण घरों में से 31.26 प्रतिशत घर गरीबी रेखा से नीचे (5.60 करोड़ गरीबी रेखा से नीचे)
- 17.91 करोड़ ग्रामीण घरों में से 21.53 प्रतिशत घर SC/ST के.
- BPL का पैमाना : एक कमरे का कच्चा मकान, मुख्य कमाऊ आदमी की आय का स्थाई स्रोत नहीं (महीने में 5000 रुपये से कम)
- राज्यवार : मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा ग्रामीण गरीबी (24%), दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ (21%) और तीसरे स्थान पर बिहार (19%)
- ली गई सूचना : व्यवसाय, शिक्षा, विकलांगता, धर्म, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, जाति/जनजाति का नाम, रोजगार, आय और आय का स्रोत, संपत्ति, आवास, टिकाऊ और गैर टिकाऊ उपभोग के सामान का स्वामित्व और मालिकाना भूमि
- जो गरीबी से रेखा से बाहर किए गए : जिनके घर में निम्न में से कुछ भी हो - मोटर चालित वाहन, मशीन वाले कृषि उपकरण, 50000 रुपये या इससे अधिक की क्रेडिट सीमा के साथ किसान क्रेडिट कार्ड, सरकारी नौकरी, 10000 से ऊपर की नौकरी, इनकम टैक्स देने वाले, तीन से ज्यादा कमरे वाले पक्का मकान, फ्रिज, लैंडलाइन फोन, सिंचाई की सुविधा वाली खेती लायक जमीन.
अब ये रिपोर्ट देखने के बाद भी आप कहेंगे कि अच्छे दिन आ गए हैं! या अच्छे दिन आने के हम करीब हैं!
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