महंगे प्याज के लिए फरवरी तक तैयार रहिए, क्योंकि...
देश भर में प्याज की कीमतें एक बार फिर आसमान छूती हुई दिखाई दे रही हैं. सरकार अभी लाख प्रयास कर ले मगर जो सुगबुगाहट मंडी में है माना यही जा रहा है कि फ़रवरी से पहले किसी भी सूरत में प्याज के दाम कम नहीं हो सकते.
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प्याज (Onion Price Rise) एक बार फिर जनता के आंसू निकालने को तैयार है. बात अगर कीमत की हो तो दिल्ली एनसीआर (Onion Price Rise In Delhi and NCR) में प्याज 80 से 100 रुपए किलो के बीच बिक रहा है. जिस हिसाब से प्याज की कीमत बढ़ी है कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में प्याज 100 का आंकड़ा पार कर जाएगा. बात अगर सरकार की हो तो सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों को नजरंदाज सा कर दिया है. प्याज के दाम पर सरकार भी सुस्त है ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि शायद ही आने वाले दिनों में कारोबारियों को कुछ राहत मिले. ये तय है कि आने वाले समय में प्याज मंडी और खुदरा दुकानों पर महंगी मिलेगी. देश में प्याज़ का संकट का स्वरुप लगातार बड़ा हो रहा है. कहा यहां तक जा रहा है कि इस साल प्याज़ के उत्पादन में करीब 40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जाएगी. दामों के तहत हालात बेकाबू हुए हैं तो सरकार की नींद खुली है और उसने ईरान, तुर्की, अफगानिस्तान और इजिप्ट से प्याज़ ख़रीदने की सुविधा मुहैया कराने का फैसला किया है. विषय क्योंकि आसमान छूती प्याज की कीमतें हैं तो बता दें कि थोक बाजारों में पिछले तीन महीनों में प्याज की कीमतों ने 4 गुना की वृद्धि की है. जो प्याज अगस्त में थोक बाजारों में 13 रुपए किलो के आस पास बिकी वो अब 55 रुपए किलो में मिल रही है.
माना जा रहा है कि अभी फरवरी तक प्याज के दाम यूं ही जनता की आंखों में आंसू लाते रहेंगे
प्याज क्यों इतनी महंगी है ? इसके कारणों पर तर्क देते हुए व्यापारियों का कहना है कि देश भर में बेमौसम बारिश ने फसल बर्बाद की साथ ही सरकार की नीतियां भी प्रतिकूल रही हैं जिस कारण उत्पादन कम हुआ है और जिसका असर अब हम बाजारों में देख रहे हैं. ध्यान रहे कि इस साल अक्टूबर और नवंबर तक में कई जगहों पर बारिश देखने को मिली है जिसने खरीफ की खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया.
बारिश का सीधा असर दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बोई गई प्याज पर भी हुआ, जिसे अक्टूबर तक मंडी में आ जाना था. बारिश के चलते प्याज या तो हुई नहीं या फिर जहां हुई वहां पूरी फसल सड़ गई. बाजार से जुड़े लोगों का मानना है कि ये प्याज के दाम बढ़ने की एक बड़ी वजह है. धयान रहे कि भारी मांग के चलते सरकार प्याज का निर्यात पहले ही बंद कर चुकी है इसलिए बड़ा सवाल जो हमारे सामने बाहें फैलाए खड़ा है वो ये है कि आखिर लोगों को कब मिलेगी रहत ? कब जाकर लोग राहत की सांस लेंगे और प्याज के आसमान छूते दाम वापस जमीन पर आएंगे?
बात प्याज की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव मंडी की हो इस बार मंडी में भी सिर्फ 180 टन ही प्याज गिरी जो पिछले कई सालों में सबसे कम है. वही जब मंडी के पिछले तीन महीने के कारोबार पर नजर डालें तो तब के हालात कुछ और थे. तीन महिना पहले यानी अगस्त में इसी मंडी में 2,356 टन प्याज आई थी. ये कमी क्यों हुई इसकी वजह अक्टूबर की वो बारिश है जिसने खरीफ की पूरी फसल को चौपट कर दिया.
अब जबकि मौसम कुछ ठीक हुआ है तो किसानों ने भारी मांग को देखते हुए दोबारा प्याज की फसल लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. प्याज की इस फसल के साथ दिक्कत ये है कि अगर मौसम ने साथ दिया तो प्याज की ये फसल फरवरी में तैयार होगी और बाजार का रुख करेगी. जिस तरह की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं ये अपने आप में स्पष्ट है कि मध्य फरवरी तक ही नई प्याज बाजार में होगी.
प्याज अभी लंबे समय तक लोगों को रुलाएगी. नासिक सब्जी मंडी से जुड़े व्यापारियों का मानना है कि अभी आगे कुछ महीने और आम लोगों को प्याज के आसमान छूते दामों का दंश सहना है. सब्जी मंडी से जुड़े व्यापारियों के मुताबिक चूंकि पिछले सीजन की फसल की बहुत कम मात्रा किसानों और स्टॉकिस्टों के पास बची है, इसलिए प्याज के दामों में और बढ़ोतरी होना तय है.
फ़रवरी आने में अभी वक़्त है. इसलिए सरकार, जो अब तक प्याज के बढ़ते दाम इग्नोर कर रही है या फिर ये कि इतने अहम मुद्दे जो अब तक खामोश है उसे इसके प्रति गंभीर हो जाना चाहिए और इस गंभीर समस्या के निवारण के प्रति कोई ठोस कदम उठाने चाहिए.
देश की सरकार को याद रखना होगा कि पूर्व में इंदिरा गांधी से लेकर शीला दीक्षित तक ऐसे तमाम मुद्दे आए हैं जब प्याज ने राजा को रंक बनाया है और उन्हें गर्त के अंधेरों में धकेला है. बहरहाल बात बाजार की चल रही है तो अभी फरवरी तक जब जब देश की जनता प्याज काटेगी तब तक उसके आंसू निकलेंगे और दोगुनी रफ़्तार में निकलेंगे.
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