'भिखारी' इमरान खान का गरीबी हटाओ प्लान!
पाकिस्तानी सरकार गरीबी हटाओ स्कीम चालू करने जा रही है. लेकिन अगर पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की बात करें तो ये इमरान खान के कोरे वादे की तरह ही लगेगा.
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पाकिस्तान में अब एक नई बयार बह रही है. इमरान खान जहां एक ओर नए पाकिस्तान का राग अलाप रहे हैं वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी रुपए की कीमत दिन प्रति दिन गिर रही है. दुनिया से छुपा हुआ नहीं है कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के क्या हाल हैं. इमरान खान ने हाल ही में एक गरीबी हटाओ प्लान की घोषणा की है जिसमें उनका कहना है कि वो पाकिस्तान के सबसे गरीब तबके की मदद करेगा.
गरीबों को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार की सुविधाएं देना तो सही लगता है, लेकिन इमरान खान के इस गरीबी हटाओ प्लान में एक बहुत बड़ी खामी है वो ये कि गरीबी हटाने के लिए जो पाकिस्तान को आर्थिक मदद चाहिए वो उसके पास नहीं है और IMF (इंटरनेशनल मॉनिटेरी फंड) से पाकिस्तान 13वीं बार फंड मांग रहा है, लेकिन इस बार पाकिस्तान के लिए ये नाकों चने चबाने जैसा हो गया है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि 'एहसास' (गरीबी हटाओ प्लान) के लिए 80 बिलियन पाकिस्तानी रुपए (3936 करोड़ भारतीय रुपए) की स्कीम लगाई जाएगी और इसे 2021 तक 120 बिलियन कर दिया जाएगा.
पाकिस्तान की जनसंख्या 207.2 मिलियन है और इसमें से चौथाई लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं.
पर इमरान खान का ये सपना साकार हो पाएगा?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय वेंटिलेटर पर है और इसे सुधारने के लिए इमरान खान ने 2018 में गाड़ियां यहां तक कि भैसों का काफिला भी बेच दिया था. ताकि विदेशों में रहने वाले अमीर पाकिस्तानियों से दान लिया जा सके. 1980 से लेकर अब तक पाकिस्तान 13वीं बार IMF से पैसे मांग चुका है, लेकिन IMF के अनुसार पाकिस्तान का रुपया और गिरेगा. पाकिस्तान के पास 7 बिलियन डॉलर विदेशी रिजर्व में हैं और इससे बेहतर बंगलादेश है जिसके पास 33 बिलियन का रिजर्व है. पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग B- है और पाकिस्तान को कर्ज देने वाले सऊदी अरब, यूएई, चीन के पैकेज भी पाकिस्तान के लिए पूरे नहीं पड़ रहे हैं. वो पैसा तो इसलिए इस्तेमाल हुआ ताकि पाकिस्तान को विनाशकारी आर्थिक मंदी से बचाया जा सके.
पाकिस्तान को अपना कोई भी प्लान पूरा करने के लिए IMF की मदद की जरूरत है.
IMF का कहना है कि अब पाकिस्तान को खाने और तेल में दी जाने वाली सब्सिडी खत्म कर देनी चाहिए ताकि पाकिस्तान के पास पैसा आए, लेकिन अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान भयानक महंगाई के दौर में चला जाएगा और इन्फ्लेशन रेट बहुत बढ़ जाएगा. IMF के हिसाब से पाकिस्तान को उसके मार्केट के हिसाब से पैसा दिया जाएगा. यानी सब्सिडी खत्म होगी और साथ ही साथ पाकिस्तानी रुपए की कीमत और घटेगी.
इमरान खान अपने चुनावी वादे को पूरा नहीं कर पाएंगे!
इमरान खान ने अपनी चुनावी कैंपेन इसी आधार पर बनाया था कि वो गरीबी हटाएंगे और यही उनकी जीत का कारण भी बना. इमरान खान ने चुनाव कैंपेन के समय कंटेनर पॉलिटिक्स भी बहुत जोरों पर की थी जब पाकिस्तान की सड़कों पर नवाज़ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शिपिंग कंटेनरों के ऊपर चढ़कर किया जा रहा था उसी तरह से अब इमरान खान के खिलाफ उनके विरोधी ट्रेन पॉलिटिक्स कर रहे हैं.
बिलावल भुट्टे का ट्रेन मार्च बताता है कि पाकिस्तानी सरकार अपने शुरुआती दिनों में ही नाकाम हो गई.
बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्रेन मार्च शुरू कर दिया है जिसे 'कारवाने भुट्टो' कहा जा रहा है. ये आंदोलन ही पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई को लेकर है और इसलिए है क्योंकि देश की आर्थिक हालात खराब हो गई है. बिलावल भुट्टो का ये ट्रेन मार्च जिस-जिस स्टेशन पर जा रहा है वहां उन्हें काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. अभी भी बिलावल भुट्टो यही कह रहे हैं कि इमरान खान सरकार गरीबी नहीं मिटा सकती. अभी इस सरकार को बने हुए कुछ ही वक्त बीता है और ऐसे हालात इमरान खान के गरीबी हटाओ प्लान की असलियत बताते हैं.
पाकिस्तान में टैक्स रिफॉर्म हो रहे हैं. बैंकिंग सेक्टर से लेकर तंबाखू तक पर टैक्स रेट को घटाया-बढ़ाया जा रहा है. पर गरीबी है कि जाती नहीं.
कितने खराब हैं पाकिस्तान के हालात?
पाकिस्तान में हालात की बात करें तो पाएंगे कि ये देश एक नहीं कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है. IMF ने साफ कहा है कि पाकिस्तान के पास कम अंतरराष्ट्रीय रिजर्व हैं और बहुत ज्यादा फिस्कल डेफिसिट. इसके बाद भी इमरान खान ने कहा है कि पाकिस्तान का ये गरीबी हटाओ प्लान ठीक है और इसे शुरू होना चाहिए.
पाकिस्तान की सालाना महंगाई फरवरी 2019 में 7.19% से बढ़कर 8.21% हो गई. जून 2014 से लेकर अभी तक में पाकिस्तान में महंगाई सिर्फ बढ़ी ही है. खाने और नॉन एल्कोहॉलिक ड्रिंग के दाम जनवरी में 1.58% थे तो अब वो 4.52% हो गए हैं. शिक्षा, घर, खाना-पीना, स्वास्थ्य सेवाएं, कम्युनिकेशन, कपड़े आदि के दाम ऐसे बढ़े हैं कि समझ नहीं आता कि पाकिस्तान किस ओर जा रहा है.
पाकिस्तानी रुपया जो सिर्फ गिरा है-
पाकिस्तानी रुपया पिछले एक साल में सिर्फ गिरा है. अगर डॉलर के मुकाबले उसकी कीमत देखी जाए तो डॉलर लगातार महंगा ही हुआ है.
पाकिस्तानी रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर ने पिछले एक साल में बहुत तरक्की की है.
चलिए ये तो अमेरिका की बात है जहां पाकिस्तान के लिए बहुत सारे सैंक्शन लगाए गए हैं, लेकिन पाकिस्तानी रुपए की कीमत तो चीनी युआन के मुकाबले भी काफी कम हो रही है जो पिछले एक साल में लगातार पाकिस्तानी रुपए के लिए महंगा हुआ है. यानी पाकिस्तान ने चीन से जो कर्ज लिया है वो चुकाने के लिए भी पाकिस्तानी रुपए की कीमत कम हो जाएगी.
पाकिस्तानी रुपए के मुकाबले चीनी युआन पिछले साल में काफी महंगा हुआ है.
पाकिस्तान के हालात ऐसे हैं कि न तो उनका रुपया बढ़ रहा है न ही उनका एक्सपोर्ट बढ़ रहा है और ये हालत एक बहुत बुरे भविष्य की ओर इशारा कर रहे हैं.
हर रोज़ पाकिस्तान देता है 6 अरब रुपए का इंट्रेस्ट-
पाकिस्तान की हालत ऐसी हो गई है कि पिछले साल खुद इमरान खान ने ये बात सार्वजनिक की थी कि ये देश हर रोज़ 6 अरब रुपए सिर्फ विदेशों से लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाता है. इमरान खान के मुताबिक ये लोग पूर्व की सरकारों ने लिया है और यही कर्ज देश को दिन प्रतिदिन गरीब बनाता जा रहा है. हर पाकिस्तानी को 1 लाख 27 हज़ार रुपए कर्ज चुकाना होगा और सालाना कर्ज 27% बढ़ेगा. पाकिस्तान पर अभी कुल कर्ज 26,452 बिलियन पाकिस्तानी रुपए है. यानी 190 बिलियन डॉलर.
वेनेजुएला जैसे हो सकते हैं पाकिस्तान के हालात-
कुछ सालों पहले तक अपने तेल के व्यापार पर फलने-फूलने वाला वेनेजुएला अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें गिरते ही कंगाल हो गया. फॉरेन रिजर्व न होने के कारण वेनेजुएला को भी कर्ज की ओर बढ़ना पड़ा. वहां भी China Development Bank के जरिए वेनेजुएला को काफी कर्ज मिला. अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वेनेजुएला ने क्रिप्टो करंसी की तरफ रुख किया. फिर वेनेजुएला के बिटक्वाइन बिजनेस में लोकल करंसी की बढ़त के कारण वेनेजुएला को दूसरे तरीके खोजने पड़े और ज्यादा पैसा प्रिंट करना पड़ा नतीजा? वेनेजुएला में 83000% महंगाई बढ़ी और अब आलम ये है कि 1 अंडे की कीमत भी वेनेजुएला में लाखों वेनेजुएलन बोलिवर है. खाने-पीने की चीजों के दाम हर 26 दिन में दुगने हो रहे हैं. वेनेजुएला में जब ये सब कुछ हो रहा था तब सरकार बहुत ज्यादा करंसी खर्च कर रही थी. प्रेसिडेंट ह्यूगो शाविस जो 1999 से 2013 तक देश के कर्ता-धर्ता थे वो सोशल रिफॉर्म चलाते रहे जो देश के लिए बहुत महंगे थे और वेनेजुएला की मौजूदा सरकार भी यही कर रही है. ऐसे में कर्ज बढ़ता गया और उसे देने के लिए सरकार ने ज्यादा पैसा प्रिंट करना शुरू कर दिया.
पाकिस्तान भी उसी राह चल पड़ा है. पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. फॉरेन रिजर्व नहीं हैं और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को विदेशी कर्ज की जरूरत पड़ रही है. पाकिस्तानी रुपए की कीमत तेज़ी से गिर रही है. वेनेजुएला की तरह पाकिस्तानी लोग भी क्रिप्टो करंसी की ओर बढ़ चुके हैं. और पाकिस्तान अभी भी कर्ज लेकर गरीबी हटाओ अभियान में जुटा है जो असल में अर्थव्यवस्था को और चरमरा सकता है. पाकिस्तान अगर आर्थिक सुधार के कार्यक्रम बनाए तो गरीबों को अपने आप मदद मिलेगी, लेकिन जिस प्रकार के हालात हैं उससे लगता है कि पाकिस्तान वो गलती दोहरा रहा है जो वेनेजुएला और जिमबाब्बे ने दोहराई थी. पीएम खान चीन का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि किसी भी देश ने 700 मिलियन लोगों को 30 सालों में गरीबी रेखा के बाहर नहीं किया और ऐसा हो सकता है इसलिए पाकिस्तान भी करेगा, लेकिन वो ये भूल रहे हैं कि चीन के आर्थिक हालात उस समय ऐसे नहीं थे.
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