मसूद अजहर के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का यही रास्ता बचा था...
यूं तो अब तक चीन 4 बार मसूद अजहर पर बैन लगाने की कोशिश को नाकाम कर चुका है, लेकिन इस बार के प्रस्ताव के खिलाफ जाना चीन के लिए थोड़ा मुश्किल है.
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पाकिस्तान में पनाह लिए बैठा मसूद अजहर लगातार आतंक फैला रहा है और चीन है कि उसे बचाने पर लगा हुआ है. चीन की ये हरकत पूरी दुनिया को दिख रही है कि वह एक आतंकी को बचा रहा है. यही वजह है कि मसूद अजहर पर रोक लगाने के फैसले पर चीन द्वारा रोक लगाने के महज कुछ दिनों बाद ही अमेरिका ने एक नया प्रस्ताव बनाया है, जिसके तहत मसूद अजहर पर बैन लगाने की कोशिश की जा रही है.
अमेरिका के इस कदम से चीन बौखला गया है. उसने तो गुरुवार को अमेरिका को चेतावनी तक दे डाली कि इस तरह से अमेरिका इस मामले को और उलझा रहा है. जबरदस्ती प्रस्ताव पारित कराकर इसका कोई हल नहीं निकलेगा. लेकिन सवाल यहां ये है कि एक आंतकी को चीन का साथ मिला हुआ है. वो आतंकी, जिसने खुलेआम कबूल किया कि उसने पुलवामा में हमला कराया, जिसमें सीआरपीएफ के 46 जवान शहीद हो गए. इन सबके बावजूद चीन अपनी वीटो पावर का गलत इस्तेमाल कर के उसे बचा लेता है. ऐसे में मसूद अजहर जैसे आतंकी के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का बस यही रास्ता बचा है.
मसूद अजहर को बचाने वाले चीन का दोहरा अब पूरी दुनिया समझ चुकी है.
चीन बौखलाया हुआ क्यों है?
यूं तो अब तक चीन 4 बार मसूद अजहर पर बैन लगाने की कोशिश को नाकाम कर चुका है, लेकिन इस बार के प्रस्ताव के खिलाफ जाना चीन के लिए थोड़ा मुश्किल है. हालांकि, नामुमकिन नहीं है. इस बार भी वह अपनी वीटो पावर इस्तेमाल कर सकता है. दरअसल, अभी तक मसूद अजहर पर बैन लगाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी इकाई '1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति' के पास जाता था. इस बार अमेरिका ने इस प्रस्ताव को अन्य देशों की मदद से सीधे 15 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र के समक्ष रखा है. इन 15 में से किसी ने भी खिलाफ वोट किया तो बैन नहीं लगेगा. पिछली बार 14 देश पक्ष में थे, लेकिन चीन ने खिलाफ में वोट करते हुए मसूद को बचा लिया था.
'1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति' को भेजे प्रस्ताव का विरोध करने का निश्चित समय होता था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के सामने रखे प्रस्ताव का विरोध करने की कोई समय सीमा भी नहीं है. सभी देश मिलकर इस पर किसी भी दिन वोटिंग करेंगे, अभी दिन का निर्धारण नहीं हुआ है. अमेरिका ने पहले ही कहा था कि मसूद पर बैन लगाने के विकल्पों की तलाश करेगा, जो शायद उसने कर ली है, जिसका ड्राफ्ट संयुक्त राष्ट्र के समझ पेश किया गया है.
चीन का दोहरा चरित्र दुनिया को खटक रहा है
एक आतंकी मसूद अजहर जिस चीन का चहेता बना हुआ है, वही चीन अपने देश में मुस्लिमों का शोषण करता है. ये बात किसी से छुपी नहीं है, जिसे अमेरिका ने भी उठाया है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने एक बयान देते हुए कहा है कि 'दुनिया चीन की ओर से मुस्लिमों के प्रति पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती है. एक ओर वह लाखों मुस्लिमों का शोषण कर रहा है और दूसरी तरफ वह एक इस्लामिक आतंकी संगठन के मुखिया को यूएन के प्रतिबंध से बचा रहा है.'
The world cannot afford China’s shameful hypocrisy toward Muslims. On one hand, China abuses more than a million Muslims at home, but on the other it protects violent Islamic terrorist groups from sanctions at the UN.
— Secretary Pompeo (@SecPompeo) March 27, 2019
मसूद अजहर जैसे आतंकी को बचाने के पीछे चीन का अपना स्वार्थ है. जिन इलाकों से चीन और पाकिस्तान के बीच बन रहा है इकोनॉमिक कोरिडोर गुजर रहा है, वहां मसूद जैसे आतंकियों का दबदबा है. इतना ही नहीं, इस कोरिडोर का विरोध करने वालों से निपटने में भी मसूद चीन की मदद करता है. तानाशाह देश चीन का वैश्विक स्तर पर रवैया भी तानाशाह वाला ही है, यही वजह है कि आज दुनिया भर के अधिकतर देश उसके खिलाफ खड़े दिख रहे हैं. जिस तरह पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देने की वजह से दुनिया भर में अलग-थलग होता जा रहा है, कुछ वैसा ही हाल चीन का भी होने के आसार लग रहे हैं. खैर, हर बार मसूद को बचाने की जिद पर अड़ा रहने वाला चीन इस बार क्या तर्क देकर उस आतंकी को बचाएगा, ये देखना वाकई दिलचस्प होगा.
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