PNB Scam: क्यों हमें नीरव मोदी का शुक्रिया अदा करना चाहिए...
यह घोटाला हर्षद मेहता की याद दिलाता है, जिसने कुछ ऐसा ही खेल खेलकर करोड़ों का घोटाला किया था. यानी पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी आज के समय के 'हर्षद मेहता' हैं?
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पंजाब नेशनल बैंक में देश का अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला हुआ है. यह घोटाला करीब 11,500 करोड़ रुपए का है. जब इस घोटाले की तह तक पहुंचा गया तो पता चला कि नीरव मोदी ने बैंकिंग सिस्टम के ही एक loop hole यानी कमजोरी का फायदा उठाते हुए इस घोटाले को अंजाम दिया है. यह घोटाला हर्षद मेहता की याद दिलाता है, जिसने बैंक वालों से मिलकर बैंकों की प्रतिभूति का फायदा उठाते हुए करोड़ों का घोटाला किया था. उस समय भी घोटाला करने में बैंक अधिकारियों ने ही हर्षद मेहता की मदद की थी. और इस तरह प्रतिभूति घोटाले ने बैंकों की कमजोरी उजागर की थी. यानी पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी आज के समय के 'हर्षद मेहता' हैं? अपनी गलती की सजा तो नीरव मोदी भुगतेंगे ही, लेकिन बैंकिंग सिस्टम की एक बड़ी कमजोरी को उजागर करने के लिए हमें उनका धन्यवाद भी करना चाहिए.
इस घोटाले को लेकर दर्ज की गई एफआईआर में नीरव मोदी के अलावा ज्वैलरी कंपनी गीतांजलि के मालिक मेहुल चौकसी का भी नाम है. इस मामले में दो बैंक अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है और मुंबई ब्रांच के 10 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. आपको बता दें कि हाल में ही सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक को रीकैपिटलाइजेशन में 5,500 करोड़ रुपए दिए थे और करीब 5000 करोड़ रुपए बैंक बाजार से उठाने वाला था. यानी जितना पैसा पीएनबी के रीकैपिटलाइजेशन में खर्च होना था, उससे भी अधिक बड़ा है ये घोटाला. आइए आपको समझाते हैं कि कैसे दिया गया इस घोटाले को अंजाम.
पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी आज के समय के 'हर्षद मेहता' हैं.
एलओयू ( LoU) से हुआ घोटाला
पीएनबी घोटाले को अंजाम देने के लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू (LoU) का इस्तेमाल किया गया, जिसे आसान भाषा में बैंक गारंटी पत्र कह सकते हैं. यह पत्र एक बैंक द्वारा दूसरे बैंकों की ब्रांच के लिए जारी की जाती हैं, जिसके तहत कोई शख्स उस बैंक से कर्ज लेता है. कर्ज की गारंटी पीएनबी की होती है, ऐसे में अगर कर्जदाता अपना कर्ज नहीं चुका पाता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी गारंटी देने वाले बैंक पर आ जाती है. इसी के तहत अब तक पंजाब नेशनल बैंक को करीब 11,300 करोड़ रुपए का घोटाला हो चुका है. बैंक गारंटी पत्र के दम पर नीरव मोदी ने उतनी गारंटी उपलब्ध करा ली, जितने के हीरे उनके पास नहीं थे.
स्विफ्ट (SWIFT) ने की मदद
अब सबसे पहले सवाल यह उठता है कि डिजिटल इंडिया के जमाने में आखिर इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया कैसे गया? दरअसल, इस घोटाले को अंजाम देने में बैंक के ही एक सिस्टम स्विफ्ट (SWIFT) की मदद ली गई. एलओयू को स्विफ्ट (SWIFT) के जरिए ही भेजा गया, जिसकी वजह से वह कोर बैंकिंग सिस्टम यानी सीबीएस के दायरे में नहीं आई और उसका पता नहीं चल सका. बैंक अधिकारियों के मुताबिक स्विफ्ट वह सिस्टम है, जिसमें कर्जदाता का एलओयू तुरंत ही सभी संबंधित लोगों (कर्जदाता) तक पहुंच जाता है. यह सिस्टम सीबीएस से जुड़ा हुआ नहीं है. ऐसे में इसका दुरुपयोग करते हुए बैंक के कुछ अधिकारियों ने एलओयू दूसरे बैंकों को भेजे. चूंकि यह सब सीबीएस के दायरे में नहीं था, इसलिए इसका पता भी नहीं चल पा रहा था. अधिकारियों के मुताबिक इस तकनीक का इस्तेमाल बैंक आपात स्थिति में करते हैं, लेकिन बैंक के कुछ अधिकारियों ने इसका गलत इस्तेमाल किया, जिसका फायदा नीरव मोदी ने उठाया.
सीबीएस (CBS) को समझें
सीबीएस (CBS) एक ऐसी सर्विस है, जिसके तहत सभी बैंक, एटीएम, मोबाइल, इंटरनेट और पीओएस मशीनें आपस में जुड़े रहते हैं. जब भी किसी बैंक में कोई लेन-देन होता है, तो वह इसमें दर्ज हो जाता है. आप किसी भी बैंक के एटीएम से पैसे इसी के तहत निकाल पाते हैं. देखा जाए तो सीबीएस ने मानवीय भूल और कई बार जानबूझ कर की गई गलतियों को काफी हद तक कम करने में अहम भूमिका निभाई है. ऐसे में पीएनबी के मामले में घोटाले को अंजाम देने के लिए उस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो सीबीएस के दायरे में नहीं आती है.
पीएनबी ने इस घोटाले की लिखित शिकायत भी की है और करीब 30 बैंकों को आगाह किया है.
हर्षद मेहता घोटाले में भी हुआ था ऐसा ही
जिस तरह नीरव मोदी ने बैंकों से एलओयू के तहत कर्ज लेकर 11,300 करोड़ रुपए का घोटाला किया है, वैसा ही कुछ हर्षद मेहता ने 90 के दशक में किया था. यही वो समय था जब देश में एलपीजी पॉलिसी (लिब्रलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन) लागू हुई थी. देश आर्थिक प्रगति कर रहा था. शेयर बाजार तेजी से ऊपर भाग रहा था, जिसके लिए जिम्मेदार था हर्षद मेहता, जो लगातार शेयर बाजार में निवेश करते जा रहा था, जिसकी वजह से शेयर बाजार में तेजी जारी थी. कोई नहीं समझ पा रहा था कि आखिर ये पैसे उसके पास आ कहां से रहे हैं. दरअसल, उस समय एलओयू जैसी ही बैंक रसीद होती थी, जिसके दम पर वह बैंकों से कर्ज लेकर उनका सारा पैसा शेयर बाजार में डाल रहा था. आपको बता दें कि बैंक रसीद के जरिए एक बैंक दूसरे बैंक से छोटी अवधि (15 दिन) के लिए कर्ज लेता था. हर्षद मेहता ने बैंक की इसी कमजोरी का फायदा उठाया और शेयर बाजार को अपनी उंगलियों पर नचाया.
90 के दशक में हर्षद मेहता ने ऐसा ही घोटाला करके शेयर बाजार को अपनी उंगलियों पर नचाया था.
बड़े सवाल तो अब खड़े होंगे
हर्षद मेहता का इतना बड़ा घोटाला होने के बावजूद अब करीब 25 सालों बाद फिर से वही काम दोहराया गया है. क्या इतने दिनों में भी बैंकों की आंखें नहीं खुल पाई थीं? शायद हां, तभी तो इतिहास फिर से दोहराया गया. आपको बता दें कि 2017 में पीएनबी को कुल 1320 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी, जबकि इससे 8 गुना अधिक यानी 11,300 करोड़ रुपए बैंक गंवा चुका है. अभी तो यह सिर्फ पीएनबी के आंकड़े हैं, जो सामने आए हैं. स्विफ्ट सिस्टम तो देश के लगभग हर बैंक की हर ब्रांच इस्तेमाल करती होगी, जिससे हुए लेन-देन सीबीएस में दर्ज भी नहीं होते होंगे.
-तो क्या दूसरे बैंकों में भी पीएनबी जैसा कोई घोटाला सामने आ सकता है?
-क्या अन्य बैंकों में जांच करने पर और भी नीरव मोदी सामने आ सकते हैं?
-अगर सिर्फ पीएनबी में 11,300 करोड़ का घोटाला हुआ है, तो सभी बैंकों में कुल मिलाकर कितना घोटाला हुआ होगा?
अगर ऐसा ही कोई और घोटाला आने वाले दिनों में सामने आ जाए तो अब कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए.
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