सैलेरी वालों के लिए किराए के मकान में रहना क्यों फायदेमंद
आप अगर नौकरीपेशा हैं और देश के आठ बड़े शहरों में रहते हैं तो मौजूदा समय में घर खरीदना आपके लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है. वहीं प्रॉपर्टी खरीदने की जगह किराए का घर आपको सुकून के साथ-साथ बड़ी बचत भी गारंटी करेगा.
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रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में कहा था कि देश के 8 बड़े शहरों में घर खरीदने में देश का वेतनभोगी क्लास सक्षम नहीं है. ऐसा नहीं है कि देश में रियल स्टेट डेवलपर्स के पास प्रॉपर्टी नहीं है और सप्लाई कमजोर है. रियल एस्टेट रिसर्च से जुड़ी संस्था नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े प्रॉपर्टी बाजार मुंबई और दिल्ली एनसीआर में डेवलपर्स की इनवेंट्री इतनी बड़ी है कि उन्हें इन शहरों में अपनी मौजूदा प्रॉपर्टी को बेचने में पांच से तीन साल का समय लगेगा.
इन आठ बड़े शहरों में ही देश के वेतनभोगी क्लास का सबसे बड़ा तबका रहता है. लिहाजा, अपने घर का सपना इस शहरों में एक बड़ी डिमांड तो तैयार कर रहा है, हालांकि वह एक अफोर्डेबल हाउसिंग की डिमांड है. वहीं, इन शहरों में डेवलपर्स का ध्येय ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने का है इसलिए वे इस तबके के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग को छोड़ प्रीमियम और लग्जरी घरों का निर्माण कर रहा है. इन लग्जरी घरों का खरीदार या तो निवेशक है या सेल्फ एम्प्लॉएड कारोबारी है.
नाइट फ्रैंक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में होम सेल्स मार्केट घर खरीद कर रहने वाले ऐसे ही लोगों से संचालित होता है वहीं भारत में इस मार्केट पर निवेशकों का अधिपत्य है. इसलिए पिछले कुछ साल में रियल एस्टेट सेक्टर में छाई मंदी के बावजूद प्रॉपर्टी की कीमतें बाजार के मुताबिक कम नहीं हो रही है. यह भी सच्चाई है कि इस मंदी में डेवलपर्स और निवेशक दोनों फंसे हैं और इस स्थिति को ही कुछ जानकार रियल एस्टेट बबल का नाम दे रहे हैं.
इस स्थिति में अगर कोई वेतनभोगी मकान खरीदने की सोचता है, तो इतना जाहिर है कि वह इस बबल के खेल में दोनों सूरत में फंसेगा. पहला, वह अपनी सैलेरी के आधार पर 20 साल का लोन लेकर कर मकान खरीदे और उसमें रहने की योजना बनाए. दूसरा, वह निवेश के लिए मकान खरीदे और प्रॉपर्टी से रेंटल अर्निंग कर अपनी वार्षिक आय में जोड़ने की कोशिश करे.
निवास के लिए मकान खरीदने की स्थिति
नाइट फ्रैंक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच साल में इन आठ शहरों में प्रॉपर्टी की कीमत लगभग दोगुनी हो चुकी है. मौजूदा दरों पर 2 बीएचके 1000 स्क्वायर फीट क्षेत्रफल का मकान मुंबई जैसे शहर में 1.25 से 1.50 करोड़ रुपये और दिल्ली एनसीआर में 75 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है. वहीं बैंगलुरू में यह 1 करोड़ से 1.25 करोड़ के बीच मिलेगा. इन तीनों शहरों में औसत सैलरी 4.98 लाख, 4.82 लाख और 5.85 लाख रुपये है. लिहाजा, इस दर पर बेंगलुरु में यह मकान खरीदने के लिए एक सैलेरीड आदमी को लोन पर ब्याज दर जोड़ कर लगभग 20 साल की सैलरी खर्च करनी पड़ेगी. लिहाजा, कोई वेतनभोगी अगर 40 साल तक नौकरी करता है तो उसे आधी से ज्यादा नौकरी की आय का भुगतान इस मकान के लिए करना पड़ेगा. इस गणना में नौकरी में निहित अन्य रिस्क को नहीं जोड़ा गया है.
निवेश के लिए प्रॉपर्टी खरीदने की स्थिति
वेतनभोगी यदि इस मकान को रेंट पर देकर अपनी आय बढ़ाने या जमा पूंजी बढ़ाने के लिए निवेश मानकर खरीदता है तब भी उसे होने वाले फायदे में बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ेगा. नाइट फ्रैंक रिपोर्ट के मुताबिक, इन शहरों में प्रॉपर्टी की कीमत मार्केट रेट से 25 से 30 फीसदी अधिक आंकी गई है लिहाजा भविष्य में इस करेक्शन का खतरा लगातार बना रहेगा. वहीं केन्द्र सरकार के नए नियमों के मुताबिक, भविष्य में इस मकान को बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स का भी भुगतान करना पड़ेगा. इसके साथ ही वार्षिक रेंटल आय में से लगभग 20 से 30 फीसदी का खर्च उसे मेंटेनेंस के लिए करना होगा.
किराए के घर में रहने की स्थिति
नौकरीपेशा लोग यदि अपने घर में रहने का सपना छोड़ किराए के घर में रहते हैं तो सबसे पहली बचत घर के लोन पर दिए जाने वाले ब्याज की होती है. लिहाजा, उपरोक्त 1 करोड़ का मकान खरीदने के लिए यदि वह 70 लाख का लोन लेता है तो बैंक इस पर न्यूनतम 10 फीसदी की दर से 10 लाख रुपये ब्याज वसूलेगी. लिहाजा, यह 10 लाख रुपये आपकी बचत में हमेशा रहेगा. वहीं बंगलुरू जैसे शहर में 1000 स्क्वायर फीट का अपार्टमेंट आपको 20 से 30 हजार रुपये की मासिक रेंट पर मिल जाएगा. लिहाजा, आप अपनी बेसिक सैलरी के 40 फीसदी के एचआरए कंपोनेंट पर आराम से इन शहरों में निवास कर सकते हैं और अपनी सेविंग को बढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही एचआरए पर आपको प्रति वर्ष टैक्स में छूट भी मिलती रहेगी जिसे आप बतौर सेविंग एकत्र कर सकते हैं. रियल स्टेट जानकारों के मुताबिक, इस स्थिति में आप अपनी सेविंग को मार्केट में मौजूद अन्य स्कीम जैसे म्यूचुअल फंड, शेयर मार्केट या फिर बैंक के कैपिटल लिंक प्लान में निवेश कर बढ़ा सकते हैं. वहीं रिटायरमेंट या फिर नौकरी छोड़ते वक्त आपके पास अपने मूल शहर में मकान खरीदने के लिए पर्याप्त कैपिटल मौजूद रहेगा.
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