प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों की सैलरी के बारे में सुप्रीम कोर्ट के दो ऑर्डर बेहद खास हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों की भविष्य निधि और पेंशन स्कीम से जुड़े नियमों में बदलाव के ऑर्डर दिए हैं. इसके बाद कर्मचारियों के वेतन पर काफी असर पड़ने वाला है.
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नौकरीपेशा कर्मचारियों के लिए कुछ खास फैसले लिए हैं. ये फैसले फरवरी और अप्रैल 2019 में लिए गए हैं और इनके कारण पेंशन और पीएफ खातों में बदलाव के साथ-साथ भविष्य में मिलने वाली रकम भी बदल जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला लिया है उसके बाद नौकरी पेशा कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद फायदा ही होगा.
फरवरी 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य निधि पर सुनवाई की थी तो ये फैसला सुनाया था कि कर्मचारियों को मिलने वाला भत्ता जैसे ट्रैवल, खाना, कूपन, मनोरंजन, खास भत्ता आदि सब कुछ जो कर्मचारियों की कॉस्ट टू कंपनी (CTC) में दिया जाता है वो अब कर्मचारियों के मूल वेतन का हिस्सा माना जाएगा और भविष्य निधि की गणना उसके आधार पर ही होगी.
सैलरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर:
आसान भाषा में समझें तो ईपीएफ में किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12% और महंगाई भत्ता जोड़कर भविष्य निधि में जमा किया जाता है और आम तौर पर कंपनियां भी इतना ही अमाउंट जमा करवाती हैं.
ऐसे में कोर्ट का कहना है कि सिर्फ महंगाई भत्ता नहीं बल्कि बाकी भत्ते भी सैलरी का हिस्सा होते हैं और इसे भी बेसिक सैलरी का हिस्सा बनाना चाहिए क्योंकि पहले ऐसा माना जाता था कि बेसिक का कुछ हिस्सा भी अन्य भत्तों में जोड़कर कटौती को कम किया जाता है.
हालांकि, कुछ भत्ते जैसे ओवरटाइम, परफॉर्मेंस बोनस, किराए का भत्ता आदि इस फैसला का हिस्सा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न सिर्फ पीएफ की रकम ज्यादा कटेगी बल्कि मासिक पेंशन भी बढ़ जाएगी
इस फैसले का असर ये होगा कि फिलहाल 12% बेसिक सैलरी के हिसाब से कटता है जो 15000 रुपए से कम होती है. इसकी गणना ऐसे होती है कि मूल वेतन और महंगाई भत्ता जोड़ लिया जाता है और अन्य सभी भत्ते नजरअंदाज कर दिए जाते हैं. ऐसे में अगर अन्य भत्ते भी ईपीएफ में जोड़ दिए जाएंगे तो आपकी हर महीने की सैलरी पर इसका असर पड़ेगा और वो थोड़ी कम हो जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में EPFO की उस याचिका को खारिज कर दिया, जो उसने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दी थी. केरल हाईकोर्ट ने रिटायर हुए सभी कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया था. जबकि, फिलहाल EPFO 15,000 रुपए सैलरी सीमा के साथ गणना करता है. तो अगर किसी की सैलरी 15000 से ज्यादा है अब उसके पास दो विकल्प हैं. या तो उसकी कंपनी 12% गणना करे और भले ही कितनी भी सैलरी हो, लेकिन 15000 रुपए की ही लिमिट तय रखे. या फिर 12% पूरी बेसिक सैलरी का हिस्सा ले. ऐसे में हर महीने मिलने वाली सैलरी कम हो जाएगी, लेकिन इसी के साथ पीएफ का पैसा भी बढ़ जाएगा. हालांकि, इस फैसले के कुछ और भी परिणाम हो सकते हैं, जैसे कंपनियों को अपना हिस्सा देने के बदले में सीटीसी बढ़ानी होगी ऐसे में हो सकता है कि अप्रेजल कम कर दिया जाए या फिर सैलरी को ही पहले वाली सैलरी के हिसाब से कर दिया जाए ताकि कंपनी पर भार ज्यादा न पड़े.
कंपनी चाहें जो भी फैसला ले उससे एक बात तो पक्की है कि इससे पीएफ की राशी जरूर बढ़ जाएगी. इतना ही नहीं कुछ बदलाव पेंशन स्कीम में भी किया गया है.
पेंशन स्कीम में हो रहा है ये बदलाव-
जैसा कि पहले से नियम था कि जो भी राशी कंपनी अपने कर्मचारी की भविष्य निधि के लिए देती है उसका 8.33% पेंशन स्कीम में चला जाता है. यानी 12% का 8.33% पेंशन स्कीम का हिस्सा है. पेंशन स्कीम के तहत पेंशन ऐसे मिलती है कि किसी कमर्चारी ने कितने साल काम किया है. (पेंशन= कितने साल काम किया है* आखिरी वेतन/70) (अगर 20 साल का समय है तो 2 साल का ग्रेस भी मिलता है.). पर कर्मचारियों की तकलीफ ये थी कि अभी तक जितनी भी पेंशन मिलती थी वो बहुत कम थी क्योंकि कर्मचारियों को 15000 रुपए मासिक वेतन के आधार पर ही पीएफ जमा करना होता था.
अब अप्रैल में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जो बदलाव ईपीएफ में किए गए हैं वो पेंशन में भी लागू होंगे. यानी पेंशन पर भी सैलरी के आधार पर असर पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दो बातें अहम थीं और वो थीं-
1. 15000 रुपए प्रति माह का कैप हटा लिया जाए.
2. एवरेज पेंशन सैलरी की गणना आखिरी 60 महीनों की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के आधार पर नहीं बल्कि कर्मचारियों के रिटायरमेंट के पहले की आखिरी साल की सैलरी के आधार पर होगी.
ये फैसला इस आधार पर लिया गया क्योंकि पहले के नियमों के हिसाब से जो पेंशन मिलती थी वो बहुत कम होती थी. पुरानी स्कीम के मुताबिक मसलन किसी XYZ व्यक्ति की सैलरी 20 हज़ार है और वो पिछले 15 साल के नौकरी कर रहे हैं तो उसके हिसाब से (15*15000/70) 3,214 रुपए मासिक पेंशन मिलती जो किसी भी हालत से बहुत कम है. भले ही XYZ की तनख्वाह बहुत बढ़ गई हो, लेकिन फिर भी 15000 रुपए के आधार पर ही गणना होती. अब जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला है उसके आधार पर (15*20000/70) 4285 रुपए पेंशन मिलेगी यानी लगभग 100% का उछाल.
ऐसे ही जिन लोगों की सैलरी बढ़ी हुई है उनकी पेंशन में जमीन आसमान का अंतर आ जाएगा. उदाहरण के तौर पर अगर किसी कर्मचारी ने 30 साल तक नौकरी की है और उसकी अंतिम सैलरी 50 हजार रुपए थी तो उसे अभी तक 4525 रुपए की पेंशन मिल रही थी. अब उसकी पेंशन 405 गुना बढ़कर 22857 रुपए प्रतिमाह हो जाएगी.
जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट को EPFO की तरफ से तर्क दिया गया था कि उनके पास ऐसे पेंशन देने के लिए राशी नहीं होगी वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीधा सा लॉजिक ये होगा कि जो रकम पहले EPF खाते में जा रही थी वो अब EPS खाते में जाएगी. यकीनन हर माह मिलने वाली सैलरी में कुछ अंतर आएगा और वो थोड़ी कम हो जाएगी, लेकिन इससे रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन बहुत बढ़ जाएगी.
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