Budget 2018: तो क्या पेट्रोल और डीजल को लेकर ये बड़ा फैसला हो ही जाएगा?
2019 में चुनाव होने हैं और ये आखिरी मौका है मोदी सरकार के पास जनता को लुभाने का. अब ऐसे में अगर मोदी सरकार सिर्फ एक स्ट्रोक में लोगों को लुभा सकती है कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों के लिए कुछ किया जाए.
-
Total Shares
बजट 2018 आने में सिर्फ कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं और कयासों का दौर भी शुरू हो गया है. एक के बाद एक लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि बजट में अनेकों तरह की घोषणाएं हो सकती हैं. इसी बीच नरेंद्र मोदी का बयान भी आ गया है कि ये बजट लोकलुभावन नहीं होगा.
2019 में चुनाव होने हैं और ये आखिरी मौका है मोदी सरकार के पास जनता को लुभाने का. अब ऐसे में अगर मोदी सरकार सिर्फ एक स्ट्रोक में लोगों को लुभा सकती है कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों के लिए कुछ किया जाए.
सरकार के लिए ये है मौका...
भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों को देखते हुए सरकार इसके लिए कुछ कर सकती है. भारत में सभी एशियाई देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा महंगा पेट्रोल और डीजल मिलता है. कारण.. 40-50 प्रतिशत के बीच यहां टैक्स और ड्यूटी लगती है.
भारत में एक लीटर पेट्रोल लगभग 72.23 रुपए और डीजल 63.01 रुपए का मिलता है.
फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक तेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस बजट एक्साइज ड्यूटी कम करने की बात कही है. ये सिर्फ अभी एक सुझाव है और अंतिम फैसला तो वित्त मंत्रालय ही लेगा.
इससे सरकार को हो सकता है नुकसान...
एक्साइज ड्यूटी कम करना सरकार के लिए किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं होगा क्योंकि सरकार अभी भी ज्यादा फिस्कल गैप को कम करने की कोशिश में है और टैक्स रेवेन्यु गिर रहा है. ये असर जीएसटी की वजह से है.
पेट्रोल से कितना फायदा?
2016/17 की बात करें तो पेट्रोलियम सेक्टर ने 5.2 ट्रिलियन रुपए (81 बिलियन डॉलर), यानि लगभग कुल आय का एक तिहाई हिस्सा, राज्य और केंद्र सरकार को दिया है.
2014 के बाद से 9 बार बढ़ी है एक्साइज ड्यूटी...
नवंबर 2014 के बाद से एक्साइज ड्यूटी 9 बार बढ़ाई गई है. इस बीच ग्लोबल तेल की कीमतों में कमी आई, लेकिन भारत में कटौती अक्टूबर, 2017 में 2 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से हुई.
कच्चे तेल का एक बैरल 2014 में $106.85 का था और तब भी पेट्रोल की कीमत 71.41 रुपए (मई 2014) थी. 2016 में कच्चे तेल का बैरल $29.80 का हो गया और तब भी पेट्रोल की कीमतें उतनी ही थीं.
2014 में जो एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर 9.48 रुपए लीटर थी वो 2016 आते-आते 21.48 लीटर हो गई थी. 2017 अक्टूबर में इसे 2 रुपए घटाया गया था. अब कच्चे तेल के दाम फिर बढ़ गए हैं. इस हिसाब से भी देखा जाए तो भी एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए तक कम करने की लिबर्टी ली जा सकती है.
अगर जीएसटी में आ गया तो?
अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतरगत ला दिया जाए तो निश्चित तौर पर कीमतें गिरेंगी. साथ ही तेल कंपनियां टैक्स क्रेडिट भी ले सकेंगी. अगर पेट्रोल को 28% टैक्स स्लैब में भी डाला जाता है तो भी दाम काफी कम हो जाएंगे.
भारत में सबसे ज्यादा है पेट्रोल के दाम...
अगर सभी एशियाई देशों को देखा जाए तो भारत में पेट्रोल के दाम सबसे ज्यादा हैं. मलेशिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और भूटान सभी भारत के मुकाबले सस्ता पेट्रोल बेचते हैं. मलेकिशन में लगभग 32.19 रुपए लीटर पेट्रोल मिलता है जो भारत के मुकाबले आधे से भी कम है.
पाकिस्तान में ये लगभग 42-45 रुपए के बीच मिलता है. यानि भारत के मुकाबले लगभग 40% कम दाम में. इंडोनेशिया में 40.58 रुपए के आस-पास मिलता है. बंगलादेश ही एक ऐसा देश है जहां कभी-कभी पेट्रोल भारत की तुलना में ज्यादा महंगा हो जाता है. ये भी 69-72 रुपए के बीच रहता है.
श्रीलंका की बात करें तो यहां पेट्रोल 53-55 रुपए के बीच रहता है. नेपाल और भूटान में ये 60-65 रुपए के बीच रहता है.
अगर पेट्रोल और डीजल जीएसटी के अंतरगत आ जाता है या इसपर से एक्साइज ड्यूटी कम हो जाती है तो यकीनन ये मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक हो सकता है, लेकिन फिर भी ये सरकार के लिए उतना ही मुश्किल है जितना पद्मावत को बिना विरोध रिलीज करवाना हो रहा है. कारण सीधा सा है. रेवेन्यु का एक तिहाई हिस्सा कम हो जाएगा. अब देखना ये है कि जेटली जी इतनी लोकलुभावन सूचना बजट में देते हैं या नहीं.
ये भी पढ़ें-
BUDGET 2018: इन 16 शब्दों को जानकर आसानी से समझ जाएंगे जेटली का बजट भाषण
इस बार बजट में जेटली जी लेंगे घर और रेल से जुड़ा ये अहम फैसला !
आपकी राय