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Updated: 04 दिसम्बर, 2016 05:44 PM
महेश तिवारी
महेश तिवारी
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गरीबों की झोली तक पैसे पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने जन-धन योजना के अंतर्गत जमा होने वाले पैसों को लेकर उत्तर प्रदेश की एक रैली में कहा कि वह ऐसे कानून पर विचार कर रहे हैं कि जन-धन योजना में जमा होने वाले पैसे पर खाताधारक का ही वर्चस्व हो सके. अगर इस दिशा में कोई सकरात्मक निर्णय सरकार करने में सफल होती है, तो जो काली कमाई वाले अपने धन को गलत तरीके से सफेद करवाने की जुगाड़ में दिख रहे थे, उनके लिए दुर्भाग्य की बात होगी. क्योंकि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में खुले जन-धन खातों में नोटबंदी के बाद से बहार आ गई है. इस निर्णय के लागू होने के बाद देश के गरीबों और निचले तबके के लोगों का भी भला हो सकेगा जिन्हें डरा धमकाकर उनके खाते में अपनी कलाई कमाई जमा करवाई जा रही है.

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 सांकेतिक फोटो

मोदी सरकार जिस तरीके से काली कमाई और भ्रष्टाचार पर धीरे-धीरे प्रहार कर रही है उससे लगता यही है कि सरकार स्वच्छ राजनीति और सामाजिक व्यवस्था को कायम करने के सही रास्ते पर विचरण कर रही है.

केंद्र सरकार विपक्ष के पुरजोर विरोध और सदन की कार्रवाई न चलने देने के बावजूद गरीबों और धनवानों के बीच समानता और पारस्पारिक एकता लाने के लिए जिस तरीके से सर्जिकल स्ट्राइक कर रही है वह काबिले तारीफ है. पहले सरकार ने जाली करेंसी और काले धन को समाप्त करने के लिए हजार और पांच सौ के नोट बंद किए, उसके बाद जिस तरीके से सोने रखने की सीमा तय की वह सरकार की गरीबी और अमीरी की खाई को पाटने की दिशा में एक कारगर नतीजा देने वाला हो सकता है. देश की जनता कुछ बुनियादी समस्याओं के बावजूद जिस तरीके से सरकार के साथ खड़ी दिख रही है, वह सरकार को एक दिशा देने का काम कर रही है.

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विपक्षी दलों के विरोधों की परवाह न करते हुए सरकार देशहित में फैसले लेने में हिचक नहीं रही है. वह भी यह दर्शाता है कि सरकार सही रास्ते पर चल रही है. किसी भी देश की तरक्की का रास्ता उसके यहां पर मौजूद धन संपदा से ही होता है, लेकिन कुछ समय से जिस तरीके से भारतीय मुद्रा की गति धीमी पड़ गई थी, उससे रुपये की कीमत भी विदेशों की तुलना में कमतर होती जा रही थी. इसीलिए सरकार का कोई कदम उठाना जरूरी हो गया था.

कैसे होगा फायदेमंद...

देश में रिजर्व बैंक में जितना सोना जमा होता है, उसी हिसाब में रुपये को छापता है. उसकी तुलना में अधिक रुपये छापने की वजह से देश के पैसे की कीमत विदेशी पैसे के सामने घट जाती है. इस तथ्य को अगर ध्यान दें तो सरकार ने सोने को रखने संबंधी जो नियमावली इजाद की है उससे रुपया तो मजबूत होगा ही उसके साथ-साथ इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.

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 सांकेतिक फोटो

पुराने नोटों को बंद करने के बाद सोने को रखने के संबंध में नियमावली तय करना सरकार के लिए भी जरूरी हो गया था, क्योंकि लोगों ने अपने पैसे को बैंक में जमा करवाने की जगह बैकडेट बिल में सोने-चांदी में निवेश करना शुरू कर दिया था. सरकार ने जो नियमावली बनाई है उससे गरीब और आम जनता को कोई नुकसान नहीं होने वाला है, क्योंकि गरीब और सच्चाई के पैसे से आम लोग इतना पैसा इकट्ठा ही नहीं कर सकता, जिससे वो 500 ग्राम सोना घर में खरीदकर रख सके.

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पुश्तैनी गहने पर छूट देकर सरकार ने अच्छा काम किया है, क्योंकि किसी के पास अगर उनके पूर्वजों के दिए हुए गहने हैं, तो उसपर कानून थोपना किसी भी तरीके से सही नहीं कहा जा सकता. नियमों के मुताबिक विवाहित महिला पांच सौ ग्राम और अविवाहित महिला 250 ग्राम सोना रख सकती है, जिसे वाजिब ठहराया जा सकता है. जब देश में काला बाजारी से कमाये पैसे से खरीदा सोना बाहर आएगा तब रिजर्व बैंक उसके एवज में नोटों की छपाई कर सकती है. इससे कहीं ना कहीं रुपये को मजबूती मिल सकती है.

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लेखक

महेश तिवारी महेश तिवारी @mahesh1197

लेखक पत्रकार हैं

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