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समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
2000 के नोटों की वापसी का फरमान: हकीकत कुछ और है!
रिज़र्व बैंक ने क्लीन नोट पॉलिसी की बिना पर जो लॉजिक दिया है, हास्यास्पद है. आरबीआई के मुताबिक़ दो हजार रुपए के नब्बे फीसदी नोट मार्च 2017 से पहले ही जारी हो गए थे और चूंकि ये नोट चार पांच साल तक अस्तित्व में रहने की अपनी सीमा पार कर चुके हैं या पार करने वाले है, इन्हें हटाया जाना बनता है.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
Sudeep Lavania
महानगरों में दिखते हैं भारत की नव-उदारवाद नीति के दो चेहरे
30 वर्षों से ज्यादा बीतने के बाद अगर हम आज एक नजर में देखें तो, भारत दुनिया की 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर से ज्यादा है, आज 8 करोड़ से ज्यादा भारतीय आयकर देते हैं. 1991 में जहां भारत की प्रति व्यक्ति आय महज 303 डॉलर थी.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
नोट पर लक्ष्मी-गणेश की फोटो से बात उठी है, तो दावेदार और भी हैं...
केजरीवाल को नोटों को लेकर आध्यात्मिक बयान क्यों देना पड़ा वजह किसी से छिपी नहीं है. लेकिन यदि उनकी बातों में दम है तो फिर मामले को सिर्फ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर तक ही क्यों सीमित रखा जाए.शिवाजी, भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस, पेरियार, महाराणा प्रताप. ध्यानचंद, लता मंगेशकर जैसे लोगों में क्या ही बुराई है?
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Time Table फॉलो करने के बदले बच्चे को पैसे देने वाली मां बड़ी गलती कर रही है
किसी भी बच्चे के लिए उसका पहला स्कूल उसका अपना घर है. तो सवाल ये है कि क्या बच्चे रिश्वत लेने और देने का गुण घर पर ही सीखते हैं? सवाल इसलिए क्योंकि एक टाइम टेबल इंटरनेट पर वायरल हुआ है जो कुछ ऐसी ही बातें बता रहा है.
इकोनॉमी
| 4-मिनट में पढ़ें
अभय श्रीवास्तव
@abhai.srivastava.12
तो क्या अब क्रिप्टो करंसी का टाइम आ गया है?
दक्षिण अमेरिका के छोटे से देश एल साल्वाडोर ने डिजिटल करंसी बिट कॉइन को कानूनी मान्यता देकर पहला कदम बढ़ा दिया है. एल साल्वाडोर जिसकी अपनी कोई करंसी नहीं है, जहां अमेरिकी डॉलर का चलन है, वहां का ये फैसला सीधे तौर पर भारत जैसे देशों को प्रभावित भले ना करे, लेकिन इतना तय है कि इससे कोई देश अछूता नहीं रह सकता.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
अनु रॉय
@anu.roy.31
Bihar में फिर घोटाला पैदा हुआ... एक ही महिला के नाम 18 महीने में 13 बच्चों का जन्म
बिहार में जल्द ही चुनाव (Bihar Elections) होने हैं. ऐसे में इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी के नाम पर जो घोटाला (Institutional Delivery Scam) आशा-वर्कर (Asha Workers) और उनके एजेंट कर रहे हैं. वो ये बताने के लिए काफी है कि बिहार शायद ही कभी विकास के मार्ग पर कंधे से कंधा मिलाकर चल पाए.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
जय हो कोरोना, जहां जेब से सौ रु गायब हो जाते थे, वहां सड़क पर बीस हजार पड़े मिलना क्या है?
जिन्हें अब भी कोरोना वायरस (Coronavirus ) बीमारी की गंभीरता का अंदाजा नहीं है वो बिहार (Bihar ) में हुई उस घटना से सड़क लें जहां एक ऑटो वाले को सिर्फ इसलिए उसके 20,000 रुपए मिल गए क्योंकि संक्रमण (Infection ) के डर से किसी ने उसे उठाया नहीं वरना हम उस देश के लोग हैं जहां आदमी पड़ी हुई चवन्नी नहीं छोड़ता
इकोनॉमी
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
चलो, स्वामी की बात मानकर नोटों पर लक्ष्मी जी की फोटो लगाके देखते हैं!
एक ऐसे वक़्त में जब Indian Currency की हालत पस्त हो पीएम मोदी को Subramanian Swamy की नोट पर लक्ष्मी वाली बात इसलिए भी मान लेनी चाहिए क्योंकि इसमें सकारात्मक है और अगर अर्थव्यवस्था सकारात्मक हुई तो वापस पटरी पर आ जाएगी.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
हिमांशु सिंह
@100000682426551
चाय-पकौड़ी कच्चा वोट, दारू-मुर्गा पक्का वोट!
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं ख़बरें आनी शुरू हो जाती हैं कि फलां जगह से कैश बरबाद हुआ या फिर कहीं से पुलिस ने शराब जब्त की. कह सकते हैं कि नेता और प्रजा दोनों ही एक दूसरे की साइकोलॉजी समझते हैं. नेता जानते हैं कि वोट पिलाने खिलाने और खर्चा करने से ही मिलते हैं.