'गुलाम' को 'आजाद' होने से नहीं रोक पाए राहुल गांधी, पीएम बन क्या खाक संभालेंगे देश!
कांग्रेस से मुहब्बत या हमदर्दी रखने वाले राहुल गांधी को देश की आन, बान, शान बताते हैं. उनमें वो देश के अगले प्रधानमंत्री की झलक देखते हैं.जैसे राहुल गांधी हैं, वो गुलाम को 'आज़ाद' होने से नहीं रोक पाए. जनता अपनी चॉइस पर पुनर्विचार करे.
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मैं जा रहा हूं – गुलाम ने कहा
जाओ – राहुल गांधी ने उत्तर दिया
यह जानते हुए कि जाना
मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे खौफनाक क्रिया है.
उपरोक्त 4 पंक्तियों के लिए हम केदारनाथ सिंह से माफ़ी मांगेंगे. उम्मीद है हमें माफ़ी मिलेगी लेकिन वो गुलाम जो आज आज़ाद होकर राइट विंग कई लोगों और भाजपा के नबी बन गए हों उन्हें नेहरू, गांधी, राजीव, इंदिरा कभी माफ़ करें ये एक मुश्किल प्रश्न है. गुलाम नबी कांग्रेस पार्टी से आजाद हो गए हैं. सवालों के घेरे में राहुल गांधी हैं. जिक्र राहुल गांधी का हुआ है तो फेसबुक की फ्रेंड लिस्ट से लेकर रियल लाइफ और उसमें भी दोस्तों और रिश्तेदारों तक. तमाम लोग ऐसे हैं, जिन्हें कांग्रेस से ज्यादा राहुल गांधी से लगाव है. ऐसे लोगों की चाहे बातें हों या फिर सोशल मीडिया पोस्ट अमूमन दिख ही जाता है कि ये लोग राहुल गांधी के लिए अपने-अपने दिलों में सॉफ्ट कार्नर रखते हैं. ऐसे लोगों का मानना है कि, मीडिया बदनाम करना और विरोधी खेमा मशीन में आलू डालकर सोना निकालने जैसे जोक बनाना छोड़ दे तो राहुल गांधी से अच्छा पीएम मटेरियल इस देश को शायद ही मिले.
ऐसे लोग मानते हैं कि भले ही राहुल गांधी राजनीति के बड़े बड़े पुरोधाओं के सामने नन्हें मुन्ने राही हों. लेकिन राहुल ही देश के सच्चे सिपाही हैं, जो न केवल 'जय हिंद' की अवधारणा पर फिट बैठते हैं. बल्कि उन्हें उसकी कीमत अच्छे से पता है.
Ghulam Nabi Azad sahib has resigned from all positions including primary membership of Congress Party! pic.twitter.com/LBsqtzwjlD
— Salman Nizami (@SalmanNizami_) August 26, 2022
समर्थकों का जैसा मोह राहुल गांधी के प्रति है उन्हें राहुल गांधी में कोई बुराई नजर ही नहीं आती. ये लोग राहुल के एरोगेंस को उनका एटीट्यूड मानते हैं और तर्क देते हैं कि जैसे बैकग्राउंड से राहुल आते हैं उनपर वो फबता है. राहुल के चेहरे के पिंपल को डिंपल मानने वाले ये लोग भले ही मुहब्बत या हमदर्दी के नाते राहुल गांधी में देश का अगला प्रधानमंत्री देखें लेकिन आज जैसे हालात हैं, हमारा सुझाव बस इतना है कि इन्हें अपनी चॉइस पर पुनर्विचार करने की बहुत ज्यादा जरूरत है.
Never give up @RahulGandhi sir Gulam Nabi Azad did quiet #Congress not the youths of country, India's youths is stand with you are inspiration of all us pic.twitter.com/fOIl310lt8
— Mohd Raziullah Khan (@MohdRaziullahkh) August 26, 2022
क्यों? अरे भइया जो आदमी बरसों बरस से पार्टी में रहने वाले 'गुलाम' को आजाद होने से नहीं रोक पाया वो इतना बड़ा देश संभाल ले डाउट की एक पतली सी रेखा तो है. गुलाम आज़ाद होकर भले ही जा चुके हैं. लेकिन ये जाना राहुल के साथ साथ कांग्रेस पार्टी को खलेगा.
As per Rahul Gandhi those who are leaving #congress even after serving substantial portion of their life are RSS man.A clear message to all congress worker that either lick boot of Gandhi Family or you are RSS men.#GhulamNabiAzad #gulamnabiazad pic.twitter.com/FC3LwfcbYZ
— CA Ashutosh Soni (@CA_AshutoshSoni) August 26, 2022
ऐसा इसलिए होगा क्योंकि युवराज की ऐसी बेइज्जती तो खुद पीएम मोदी ने भी कभी नहीं की. याद करिये उन पलों को चाहे वो सदन हो या फिर रैलियां अगर पीएम मोदी ने राहुल गांधी की रेल बनाई तो पल कभी 5 या 7 मिनट से ज्यादा नहीं हुए. वहीं जब हम राहुल गांधी पर तमाम गंभीर आरोप लगाकर कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले गुलाम नबी की आज़ादी को देखते हैं तो उन्होंने 5 पेज का खत लिखा है.
Gulam Nabi Azad ji is #gulamnabiazad in CongressU became Gulam to BJP/RSSCongress gave u everything,when party is not in Power u r quitting from Party as a CowardBecause u are never a Leader,u are the one who gained this by showing the photos of My Leader's pic.twitter.com/Lm1mloxLWa
— AKHILESH REDDY (@akhilesh_reddie) August 26, 2022
कल्पना कीजिये उन शब्दों की संख्या की. उन भावों की जो गुलाम नबी के मन में तब आए होंगे जब वो राहुल गांधी को बेनकाब कर रहे थे. बहुत पहले किसी ने इस बात को कहा था कि यूं ही कोई बेवफा नहीं होता. ऐसे में अगर गुलाब नबी आज़ाद ने बेवफा बनकर राहुल गांधी से अपना पिंड छुड़ाया है तो ये कोई हल्की बात नहीं है.
#BREAKING: Senior Congress leader Gulam Nabi Azad resigns from primary membership of Congress. Blames Rahul Gandhi in his letter. pic.twitter.com/Pd3j0uWOJu
— Suraj Suresh (@Suraj_Suresh16) August 26, 2022
खैर पार्टी के प्रति और पार्टी में भी राहुल गांधी के प्रति हमदर्दी रखने वाले अजीबो गरीब लॉजिक दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि जैसे जैसे गुलाम नबी आजाद जैसे लोग पार्टी से जाएंगे वैसे वैसे पार्टी मजबूत बनेगी. क्या वाक़ई ऐसा है? इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर मजाक घिनौना हो सकता है तो सिर्फ ये कथन ओछेपन की पराकाष्ठा है.
The more Gulam Nabi Azad types leaders will left party, the more party will strong in coming days.I don't feel sad about this stunt.Sad they left after sucking and finishing the party for many years.
— Samim (@rexrohann) August 26, 2022
बहरहाल अब जबकि गुलाम नबी 'आज़ाद' हो चुके हैं. हम भी राहुल गांधी से बस ये कहते हुए अपनी बातों को विराम देंगे कि, किसी दिन वो अकेले में बैठे और अपना आत्मसात करें. यदि वो ऐसा कर ले गए तो उन्हें मिलेगा कि उनकी राजनीती में बड़ा टेक्निकल डिफ़ॉल्ट है. जो और कुछ नहीं बस पार्टी को खोखला कर रहा है. बाद बाकी ये है कि जिस तरह करीबी उन्हें प्रधानमंत्री पद के नाम पर चने के झाड़ पर चढ़ा रहे हैं. वो दिन दूर नहीं जब राहुल गांधी को न तो खुदा मिलेगा और न ही विसाल ए यार.
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