अंग्रेजी में तेज लेकिन इमला में बेहद कमज़ोर निकले प्यारे कांग्रेसी शशि थरूर!
तो जनाब शशि थरूर जी ने बजट सेशन में निर्मला सीतारमण जी के भाषण के दौरान रामनाथ आठवले जी के भाव पर कसा तंज़ ! वैसे ट्वीट था बड़ा मज़ेदार रामनाथ आठवले जी के भाव वाकई ऐसे थे मानो दिन में भूत देखे हो.विकास का भूत. लेकिन लिखने में कर दिए गलती. शशि जी, इमला नहीं लिखे हैं का बचपन में ?
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अंग्रेज गए तो जाते जाते हम सबमे हीन भावना कूट कूट कर डाल गए. भाषा से लेकर पहनावे, खानपान से लेकर शिक्षा तक सबको निल बटे सन्नाटा बता कर गए. और हम आज़ाद हो कर भी थोड़ा सहमे थोड़े दुखी से लोग उनका मुंह ताकते रहे, जैसे अपने बेटे की बड़ी प्राइवेट नौकरी के बाद भी पड़ोसी के बेटे की क्लास 4 सरकारी नौकरी का गम. और उस पर अंग्रेजी! अई दद्दा जबान लबड़िया जाए. हम लोग जितना अंग्रेजो से डरे उत्ते से भी ज्यादा अंग्रेजी से डरते हैं. आजो दिन अंग्रेजी सुन कर पुरबिहा प्रदेस के बड़का बाबू लोग भी एक बार सकपका जाते हैं.
ऐसे में तारणहार सा आया बिलकुल इस्मार्ट पढ़ा लिखा एक नेता - शशि थरूर जी. उन की अंग्रेजी इत्ती अच्छी इत्ती अच्छी की नजर बट्टू लगावे का मन करे है. घर के सबसे होनहार लड़के की तरह उनसे हम लोगन की उम्मीदें बहुत ऊंची हो गयी और पूरी भी हुई पर... पर बिलकुल बेपरवाह लफंडर किस्म का कांड किये हैं ये - ट्वीट में गलती. वर्तनी मल्ल्ब स्पेलिंग मिस्टेक?
ट्विटर पर रामदास आठवले और शशि थरूर के बीच दिलचस्प वार्तालाप देखने को मिल रहा है
तो जनाब शशि थरूर जी ने बजट सेशन में निर्मला सीतारमण जी के भाषण के दौरान रामनाथ आठवले जी के भाव पर कसा तंज़! वैसे ट्वीट था बड़ा मज़ेदार रामनाथ आठवले जी के भाव वाकई ऐसे थे मानो दिन में भूत देखे हों. विकास का भूत! लेकिन लिखने में कर दिए गलती. शशि जी, इमला नहीं लिखे हैं का बचपन में
Dear Shashi Tharoor ji, they say one is bound to make mistakes while making unnecessary claims and statements. It’s not “Bydget” but BUDGET. Also, not rely but “reply”! Well, we understand! https://t.co/sG9aNtbykT
— Dr.Ramdas Athawale (@RamdasAthawale) February 10, 2022
जानते हैं न ट्विटर पर सबसे गजब बेइज्जती होती है? और आप इ बचवन वाला गलती कर दिए rely! bydget ! तीसरी जमात का बच्चा भी लिखता है ये सही सही. यही दो काम तो होता है है हमरे यहां - जवाब पर जवाब. उन सवालों के जो पूछे ही नहीं हमने ! और बुडगेट यानि बजट अरे वही आपकी हमारी जेब झाड़ झाड़ के बचा खुचा पैसा निकालना.
कैसे किये आप ये? एक अकेले कोंग्रेसी हैं आप जो हमको भाता है, कहे का मतलब है न आप कुछ काम करते हो न ही गलती होती है. ट्वीट ट्वीट खेला करते हो और बिलकुल गोल्ड मेडल वाले ट्वीट. सच्ची, बहुत मजा आता है पढ़े में और नया नया शब्द सीख कर पड़ोस में भौकाल बनावे में मदद मिल जाती है.
माना की सवाल जवाब से आपका कोई खास वास्ता नहीं क्योंकि कांग्रेस आप छोड़ नहीं सकते और भाजपा को अपनाना आपके बस की नहीं ! तो हे शशि जी सुना न ई ट्वीटवा में गलती न करा हो.
अरे जब जब अंग्रेज कुछ बोलत हैं हम एक से एक बढ़कर शब्द याद करत है. एक एक शब्द एक एक बमन बराबर - बमन ईरानी नहीं बम बम ! भड़ाम फूटे वाला बम. अच्छा सोचो ससुर अंग्रेज का खा के समझेगा की, 'दिस गवर्मेंट इज़ ए केकिस्तोक्रसी" या फिर ये Exasperating farrago of distortions, misrepresentations & outright lies being broadcast by an unprincipled showman masquerading as a journalist.
हांफा छूट जाए बोले वाले के! अर्णब गोस्वामी की वैल्यू बढ़ गई थी इसके बाद! हम भी खुश हो गए कि ये है हमरा अंग्रेजी का ब्रह्मोस मिजाइल. और फिर ये गलती. और गलती की सफाई में आप क्या लिखे? 'blame it on my fat tweeting thumb!'
Not to digress Mr. Tharoor, but in light humour... Do I need to look up the meanings of "rely" and "Budget"?!???
— Indya (@IndranilRoy) February 10, 2022
एक तो गलती किये उसपे ,अंगूठा दिखने की जुर्रत किये? मतलब कमाल ही हैं आप. ईगो मत हर्ट करिये किसी का. ED की रेड आजकल यूं हीं कभी भी कहीं भी पड़ जाती है! अंगूठे को चुनाव तक ठीक कर लीजिये कहीं अपना वोट का बटन ही - हाथ की जगह कमल दब गया तो?
अंग्रेजी से दिक्क्त नहीं!
अंग्रेज़ों को हमने उन्ही के खेल में हराया था. भुवन भैया लगान माफ़ी के लिए चुनौती दिए और पूरी टीम जाति धर्म किनारे कर कचरा ,लाखा , देवा सिंह के साथ अंग्रेज को हराये रहे. गोला फेंक बल्ला घुमा. और घुमा घुमा के कप्तान एंड्रयू रसल को बाहर का रस्ता दिखा दिए याद हैं न? उनको तो बाहर कर दिया लेकिन जब अँगरेज़ गए तब थरूर छोड़ गए मेरा मतलब है अंग्रेज़ीदां लोग छोड़ गए.
ज्ञान में तो यूं हम सर्वोपरि हैं. विश्व गणित को शून्य देने से ले कर भविष्य को शून्य तक ले जाने का दम रखते हैं हम. और भाषा से भी कोई गुरेज़ नहीं. बहुत कमाल की भाषा है लेकिन इससे जुड़े सुपेरियरिटी यानि जो श्रेष्ठता की भावना है न उससे तनिक बस तनिक सी दिक्क्त है.
हमको ही नहीं सभी को है और क्या हैं कि नौकरी चलने भर को ,इत्ती उत्ती आती है.बाकी 121 भाषाएँ और 270 मातृ भाषाओँ में से 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं न हमारी. वो बात अलग है की अंग्रेजी बोलने वाले को शिक्षित समझने की गुलामी में हम आज भी जी रहे हैं. देखो ये मानसिक गुलामी से कब निकलेंगे.
लेकिन इन सब सेंटी बातों में न शशि जी इमला का पिरैटिस को नजरअंदाज मत कीजियेगा. बिलकुल मन लगा के, फ़िलटर कॉफी के साथ और हां अंगूठा का ध्यान रखियेगा - कहीं बटन दबावे में गलती हुई तो !
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