छोटा शकील... धमकी नहीं, डायरेक्ट हमला करो
याकूब की फांसी पर खून के आंसू रोने वाले इधर भी हैं, उधर भी हैं. जो इधर हैं, वो सिर्फ लिख भर सकते हैं, बतिया सकते हैं... जो उधर हैं, वो 'शेर-दिल' हैं, न सिर्फ धमकाते हैं, कर भी सकते हैं.
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याकूब की फांसी पर खून के आंसू रोने वाले इधर भी हैं, उधर भी हैं. जो इधर हैं, वो सिर्फ लिख भर सकते हैं, बतिया सकते हैं... जो उधर हैं, वो 'शेर-दिल' हैं, धमकाते हैं. उनमें क्षमता भी है, कर भी सकते हैं. छोटा शकील भी 'शेर-दिल' है. धमकी दे डाली है. मैं भी 'शेर-दिल' हूं, धमकी स्वीकार रहा हूं, बस एक ही विनती है - कर डालो, हमें तुम्हारा इंतजार है.
देश को तुम्हारी जरूरत है
उम्मीद है, भरोसा है कि मेरी विनती छोटा शकील तक पहुंच जाएगी. यह ठीक उसी तरह है जैसे शकील अपनी धमकी मीडिया के जरिये हम भारतीयों तक पहुंचा पाता है और मुझे छोड़ बाकी सब कांपने लगते हैं. मैं क्यों नहीं? मैं शेर-दिल हूं भाई, बताया तो ऊपर! तो मैं शकील, दाऊद, टाइगर सभी से हाथ जोड़ विनती करता हूं कि आ जाओ, देश को तुम्हारी जरूरत है.
स्पिरिट की कमी नहीं
तुम जब आओगे, 'दिवाली' सा माहौल होगा. कुछ महिलाएं विधवा हो जाएंगी, कुछ बच्चे पूरी जिंदगी कभी न कह पाएंगे कि पापा चॉकलेट दिला दो; ममा, स्कूल नहीं जाना. हंसते-खेलते कुछ बच्चों की जवानी शायद विकलांगता के साये में कटेगी तो कुछ बच्चे अगली सुबह नहीं देख पाएंगे. इससे ज्यादा और क्या होगा! अगली सुबह हम 'मुंबई स्पिरिट' या 'दिलेर दिल्ली' जैसे कुछ आर्टिकल पढ़ेंगे और नेताओं के 'हाथों में चूड़ियां नहीं पहनीं हैं' जैसे शब्दों को सुन काम पर निकल पड़ेंगे.
बड़े सपने देखो
बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है. किसी क्रांतिकारी ने कहा था, तब शायद धमाका बड़ी चीज रही होगी. अब यह आम है - दिवाली के पटाकों की तरह - आज यहां, कल वहां. कोई ध्यान नहीं देता. ध्यान देना भी नहीं चाहिए. 125 करोड़ के देश में 10-20-50-100 लोग मार डालोगे तो हमारे वोटर नामक 'मानव संसाधन' पर कोई फर्क पड़ जाएगा, ऐसा नहीं है. इसलिए राज की बात बता रहा हूं - याकूब की 'शहादत' का बदला लेना चाहते हो, सत्ता को हिलाना चाहते हो, तो अपने सपने को बड़ा करो. मुझे पता है तुम कर सकते हो, सक्षम हो. तुम शेर हो.
भारत बनेगा नंबर-1
हमारी न्याय व्यवस्था पर उंगली उठाना सब के बस की बात नहीं. मेरे शेर, मेरे चीते! तुमने ऐसा कर दिखाया. इससे जाहिर होता है कि तुम देश के प्रति कितने जिम्मेदार हो. न्यायालय की अवमानना से डरे बिना तुमने सिस्टम में सुधार की बात की. ऐसा ही एक सुधार अर्थव्यवस्था में भी चाहिए. तुम भारत को टॉप पर ले जा सकते हो. बस तुम्हें कुछ बड़ा करना होगा. तब शायद नेताओं की स्पिरिट जाग जाए. आर-पार की लड़ाई हो. भारत अपने हथियारों का प्रदर्शन करेगा, DRDO विश्व में सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन जाएगा. तुम्हीं इस देश के एकमात्र 'लाल' हो, देश को खुशहाल कर दो.
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