दीपिका-रणवीर की शादी में जितने लोग गए हैं उतने तो हमारे यहां मुंह फुलाए घूमते हैं!
खबर है कि दीपिका और रणवीर की शादी में 30 - 40 गेस्ट थे, बात अगर हमारी हो तो इतने गेस्ट तो हमारे यहां इसलिए नाराज हो जाते हैं क्योंकि या तो उन्हें दही बड़ा नहीं मिला या गोल गप्पे वाले काउंटर पर लाइन लम्बी थी.
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हां तो फाइनली वो घड़ी आ ही गई जिसका सभी को इंतजार था. तमाम दिलों को तोड़ते हुए दीपका पादुकोण ने रणवीर सिंह के साथ इटली में सात फेरे ले लिए हैं. कल तक की मिस दीपिका अब मिसेज दीपिका रणवीर सिंह हैं. शादी हाई प्रोफाइल है और विदेश में हुई है. विदेश में होने वाली शादी में यूं ही कम लोगों को बुलाया जाता है. खबर है कि दीपका-रणवीर की शादी में लिमिटेड गेस्ट थे. बात अगर संख्या की हो तो बस इतना ही पता चला है कि शादी में कुल जमा 30 - 40 लोग आए थे जिन्होंने वर और वधू को दूधों नहाने और फलने फूलने का आशीर्वाद दिया.
खबर है कि दीपका और रणवीर ने अपनी शादी में लिमिटेड गेस्ट को आमंत्रित किया है
एक बड़ी और हाई प्रोफाइल शादी में इतने लोगों का होना अपने आप में कई सवाल खड़े करते है. अच्छा चूंकि शादी का मंगलमय अवसर है तो हम न तो ज्यादा सवाल करेंगे और न ही कोई जवाब देंगे. हां दीपिका-रणवीर की शादी को एक साइड में रखकर अपने घरों का रुख किया जा सकता है. दीपिका रणवीर का तो वही जानें. मगर जब हम शादी को अपने घरों में देखते हैं तो मिलता है कि हमारे यहां इसकी तैयारी लड़की या लड़के के जन्म के समय से ही शुरू हो जाती है. जैसे -जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है तिनका तिनका जोड़कर उनका घर बना दिया जाता है.
दीपिका और रणवीर की शादी में 30 - 40 लोग थे. बात अगर हमारी हो तो हमारे यहां इससे दोगुने - तीन गुने लोग तो सिर्फ तिलक में लड़के को मिलने वाली मोटर साइकिल देखने या फिर हल्दी और मेहंदी की रस्म के बाद छोले भटूरे खाने के लिए आ जाते हैं. इतिहास में जाइए. दिमाग पर जोर डालिये.
याद करिए अपने घरों की शादियों को, कुछ याद आया. अरे इससे ज्यादा लोग तो हमारे यहां शादियों के दौरान नाराज होकर इधर उधर टहलते हैं. फूफा जी हों, जीजा जी हों, मामा जी हों, पापा के दोस्त हों, मम्मी की किट्टी वाली आंटियां हों, बहन की सहेलियां हों, भाई के बैचमेट हों कुछ न हो तो शादी वाले घर में बर्तन धोने और मसाला पीसने वाली बाईयां ही सही नाराज होने वाले लोगों की लिस्ट लम्बी, बहुत ज्यादा लम्बी है.
विश्वास करिए इस बात पर कि, हमारी वो शादियां अधूरी हैं जिनमें नाराजगी और मान मनव्वल न हो. हमारे समाज में शादी के दौरान नाराजगी किसी शगुन की तरह है और बिन शगुन के तो शादी की कल्पना धोखा या, छलावा है, इल्यूजन है.
बात अगर हमारी शादियों में नाराजगी की बड़ी वजहों की हो तो, दही बड़े में से दही खत्म हो जाने से लेकर गोल गप्पे वाले काउंटर पर लाइन लम्बी होने तक. तवा सब्जी के ठंडे होने से लेकर चाउमीन में नूडल के मुकाबले पत्ता गोभी ज्यादा होने तक ऐसे तमाम कारण हैं जिनके चलते लोग मुंह फुला लेते हैं और हमें उनके आगे भइया बाबू करना पड़ता है.
अंत में बस इतना ही कि ये नाराजगियां जहां एक तरफ बड़ी प्यारी होती हैं तो वहीं सालों तक याद भी की जाती हैं. रणवीर-दीपिका बड़े लोग भले ही हों, मगर ये सुख ईश्वर ने केवल हमारे ही भाग्य में लिखा है. बड़े लोग शायद ही कभी इस सुख की अनुभूति कर पाएं.
ऐसा इसलिए क्योंकि जहां 30 - 40 लोग होते हैं वहां मामला अपने आप में ही सॉफिस्टिकेटेड रहता है और बात एक हद तक अधूरी रहती हैं. लोग आते हैं, गले मिलते और हाय हेलो करते हैं खाना खाकर अपने अपने घरों को वापस लौट जाते हैं और इंस्टाग्राम या फेसबुक पर उस शादी में ली गयी सेल्फी पोस्ट करते हैं.
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