Adidas-Nike जैसी कंपनियों के असली शुभचिंतक तो इनके नकली जूते बनाने वाले ही हैं!
Adidas और Nike के नकली जूते बेचने वालों पर यूपी के मेरठ में एक्शन हुआ है. लेकिन इन कंपनियों को भारत और हम भारतीयों का एहसान मंद रहना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके महंगे विज्ञापनों से ज्यादा जलवा उनके नाम पर नकली माल बनाने वाले उन लोगों का है जिन्होंने इनके ब्रांड को घर घर पहुंचाया.
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उत्तर प्रदेश की मेरठ पुलिस ने गुड वर्क किया है. ताली बजाने या वाह वाह सीएम योगी की पुलिस करने से पहले जान लीजिये कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि पुलिस ने रंगदारी मांगने वाले किसी छुटभैये बदमाश को गिरफ्तार किया है या फिर कट्टे के दमपर हाईवे पर ट्रक लूटने वाला कोई शातिर मेरठ पुलिस की गिरफ्त में आया है. पुलिस ने 'जूते' पकडे हैं. एक या दो नहीं बल्कि पूरे 11 लाख रुपए के नकली जूते. असल में अभी बीत दिन ही मेरठ में पुलिस ने Nike, Reebok, Puma, Adidas जैसे ब्रांड्स की आड़ में नकली जूते बेचने वालों के ठिकानों पर की. इस कार्रवाई में पुलिस ने करीब 11 लाख रुपये के जूते बरामद किए.
मामले में दिलचस्प ये है कि, ये शिकायत पुलिस को किसी और से नहीं बल्कि कंपनी के एडवाइजर से मिली. मेरठ की मार्केट में नकली जूते बिकते देख एडवाइजर इस हद तक आहत हो गया कि उसने पुलिस के पास जाना और अपना दुखड़ा रोना ही बेहतर समझा. मामला बड़े ब्रांड्स से जुड़ा था तो पुलिस भी तत्काल प्रभाव में हरकत में आई और उसने एडवाइजर की निशानदेही पर रेड को अंजाम दिया और ये ऐतिहासिक गुड वर्क किया.
मेरठ में पुलिस ने बड़े ब्रांड्स के नकली जूते बेचने वालों पर नकेल कसी है और दो लोगों को गिरफ्तार किया है
अच्छा हां पुलिस खुद उस वक़्त आश्चर्य में पड़ गयी जब उसने पाया कि अलग अलग ब्रांड्स के डिजाइन और लोगो कॉपी करके न केवल नकली जूते तैयार किये गए बल्कि उन्हें धड़ल्ले से बेचा भी जा रहा है. मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया. जो पूछताछ हुई है उसमें ये बात निकल कर सामने आई है कि ये लोग दिल्ली की गफ्फार मार्केट से माल लाते थे और मेरठ में अपनी अपनी दुकानों पर बेचते थे.
This people Religion is Duplicate/First Copy be likeNike - nikki, HikeReebok - rebookAdidas - adidada abidasPuma - PamaColgate - coolgate
— R Patel (@acumen_patel) July 22, 2021
भले ही मेरठ के एसएसपी के दिशा निर्देशों के बाद ये कार्रवाई हुई हो. दुकानदारों पर मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया हो. लेकिन जो कुछ भी हुआ है वो ठीक नहीं हुआ है. मेरठ पुलिस के इस एक्शन से भले ही कंपनियां खुश हों मगर स्पष्ट तौर पर हम आम आदमियों की भावना को गहरा झटका लगा है.
Original-Duplicate Adidas-Abibas Puma-Poma Reebok-Reebak Nike-Mike Hurry up guys nly limited available :P:P
— Harish Saladi (@DamnCooool) October 8, 2012
क्योंकि दुःख के ये बादल हमपर मंडरा ही चुके हैं इसलिए इसपर चर्चा होनी ही चाहिए. लेकिन उससे पहले हम कंपनी से कुछ बातों को ज़रूर शेयर करना चाहेंगे. सबसे पहले तो चाहे वो Nike, Reebok, Puma, Adidas हो या फिर कोई और कंपनी उन्हें हम भारतीयों का एहसानमंद रहना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि जो काम इन कंपनियों के बड़े बड़े विज्ञापन नहीं कर पाए, वो काम फर्स्ट कॉपी, सेकंड कॉपी, थर्ड कॉपी के नाम पर वो लोग कर गए जिनकी बाजार में गहरी पकड़ है.
अगर आज ये बड़े बड़े और महंगे ब्रांड्स हम भारतीयों के घरों में पहुंचे हैं तो इसका पूरा क्रेडिट उन्हीं लोगों को जाता है जो चाहे दिल्ली का गफ्फार मार्केट हो या फिर लखनऊ का लवलेन वहां अपनी अपनी दुकानें डाले बैठे हैं. ब्रांड कोई भी हो. क्या वो इस बात को नहीं जानता कि जैसी उनके जूतों की कीमत है उतनी छोटे शहरों में काम कर रहे लड़कों की सैलरी नहीं है.
वो चाहे Nike, Reebok हों या फिर Puma, Adidas इन तमाम ब्रांड्स को यूपी. बिहार, ओड़िसा, राजस्थान जैसे राज्यों की यात्रा करनी चाहिए और देखना चाहिए कि वहां क्या लोगों में इतना सामर्थ्य है कि वो इतने भारी भरकम एमआरपी वाले जूते खरीद लें? अब क्योंकि शौक बड़ी चीज है ऐसे में यदि ये बेचारे नकली जूते पहन कर अपने शौक पूरे कर रहे हैं तो इसमें क्या बुराई है? क्या इनको अधिकार नहीं है चंद पलों के लिए ही सही खुश होने का?
This is how @Flipkart offering big discount on #bigbilliondays Faculty Duplicate products@adidas @AdidasIND @adidasfootball @adidasoriginals They even offer on @Nike @PUMA & @Reebok ??? pic.twitter.com/mtDs67TrUI
— Real India???? (@real___India) October 18, 2019
वो यूपी पुलिस जिसने मेरठ में दुकानदारों को नकली जूते बेचने के लिए गिरफ्तार किया क्या वो पुलिस ऑनलाइन साइट्स पर चल रही नकली प्रोडक्ट्स की जालसाजी का संज्ञान लेगी? क्या कभी कंपनी का कोई एडवाइजर उसके प्रति भी मेरठ मामले की तरह आहात होगा.
बहरहाल अब जबकि मेरठ में गिरफ़्तारी हो ही गयी है इंसानियत से हमारा भरोसा उठ चुका. चाहे वो ब्रांड्स और एड वाइजर हों, या फिर पुलिस. किसी को भी देश के उस युवा का बिलकुल भी ख्याल नहीं है. जिसे आज भी पॉकेट मनी के नाम पर हफ्ते के 500 रुपए मिलते हैं. जोकि देखते ही देखते खर्च हो जाते हैं और फिर वो युवा ठगा सा महसूस करती है.
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