कैप्टन अमरिंदर 16 मार्च को कांग्रेस के नहीं बीजेपी CM के तौर पर शपथ लेंगे
कैप्टन ने कांग्रेस के 60 विधायकों के साथ रातों रात पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया है. इस तरह पंजाब के इतिहास में पहली बार बीजेपी की सरकार बनने जा रही है.
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पांच राज्यों में चुनाव नतीजे आने के बाद सबसे बड़ा धमाका पंजाब में हुआ है. कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर 16 मार्च को शपथ लेने जा रहे हैं लेकिन कांग्रेस के मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि बतौर बीजेपी के मुख्यमंत्री.
कैप्टन ने कांग्रेस के 60 विधायकों के साथ रातों रात पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया है. इस तरह पंजाब के इतिहास में पहली बार बीजेपी की सरकार बनने जा रही है.
बीजेपी के 3 विधायक भी चुन कर आए हैं. इस तरह बीजेपी के पास पंजाब विधानसभा में 63 विधायकों का बहुमत हो गया है. 117 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 59 विधायकों की आवश्यकता थी. कैप्टन को बीजेपी में लाने में मुख्य भूमिका नवजोत सिंह सिद्धू ने निभाई है. सूत्रों से पता चला है कि सिद्धू को इसी खास मिशन के लिए बीजेपी से कांग्रेस में भेजा गया था. एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत किसी पार्टी में दलबदल के लिए दो तिहाई विधायकों की जरूरत होती है. पंजाब से कांग्रेस के 77 विधायक जीत कर आए हैं, इसलिए कम से कम 52 विधायकों की आवश्यकता थी. कैप्टन अपने साथ 60 विधायकों को लाने में कामयाब रहे. सिर्फ 17 विधायकों ने ही कांग्रेस में अपनी आस्था बरकरार रखी.
कैप्टन पहले हिचकिचा रहे थे, लेकिन सिद्धू ने उन्हें समझाया. उन्हें 1980 में हरियाणा में भजनलाल ने जो किया था, उसका हवाला दिया गया. तब हरियाणा में जनता पार्टी की सरकार थी और भजनलाल मुख्यमंत्री थे. केंद्र में इंदिरा गांधी ने सत्ता में वापसी की तो भजनलाल का भी हृदय परिवर्तन हो गया. भजनलाल हरियाणा में जनता पार्टी के तमाम विधायकों को लेकर कांग्रेस में शामिल हो गए.
कैप्टन की हिचकिचाहट देखकर उनकी बात दिल्ली में बीजेपी आलाकमान से कराई गई. वहां से आश्वासन मिला कि कैप्टन की पत्नी प्रणीत कौर और बेटे रनिंदर सिंह को केंद्र में मंत्री पद की शपथ भी दिलाई जाएगी. इसके साथ ही बीजेपी आलाकमान की ओर से गोवा और मणिपुर में सरकार के मिशन को अंजाम देने के साथ ही पूरी ताकत पंजाब की ओर मोड़ दी गई. पंजाब में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले विधायकों को गोवा ले जाकर रिसॉर्ट में ठहरा गया है. वहां मनोहर पर्रिकर को इन विधायकों पर भी नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है.
ये सब चल ही रहा था कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का सपना टूट गया...
(बुरा न मानो होली है !)
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