असम मामले के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग को 'केचुआ' बोलना सच में बहुत गलत बात है!
ईवीएम असम में दूसरे चरण के मतदान के दौरान जिस कार में ईवीएम मिली वो भाजपा प्रत्याशी कृष्णेंदु पॉल की निकली. घटना का वीडियो साझा करते हुए, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है. देखना दिलचस्प रहेगा कि चुनाव आयोग इसपर क्या करता है.
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असम में चुनावों के बीच ही करीमगंज जिले से एक बीजेपी उम्मीदवार कृष्णेन्दु पाल की निजी गाड़ी से कुछ ईवीएम मशीनें बरामद हुई हैं. कृष्णेन्दु पाल पाथरकांडी विधानसभा से भाजपा के उम्मीदवार हैं. बाकायदा हड़कंप मच गया है. मशीनें बरामद होने का वीडियो प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट भी कर दिया है. लोग इस घटना पर तरह--तरह से चुटकी ली रहे हैं. 'चुनाव आयोग ने भाजपा जॉइन कर ली है', 'चुनाव आयोग ने कहा है कि वो भाजपा को बाहर से समर्थन देगा' या 'EVM हैक हो रही हैं'. ये वो बातें हैं जो मैंने सोशल मीडिया पर पढ़ीं और सुनीं. कुछ लोग केंद्रीय चुनाव आयोग के संक्षिप्त रूप केचुआ को ही उसका असल रूप बता रहे हैं. हां ये हो सकता है कि अपना चुनाव आयोग इस बार पहले की माफ़िक कड़क नहीं रहा हो, लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग को 'केंचुआ' बोलना भोत गल्त बात है. उतना ही गल्त जितना देह-व्यापार को अंग-व्यापर बोलना. भला ये भी कोई बात होती है? माना अपना केंचुआ सॉरी केंद्रीय चुनाव आयोग इस बार थोड़ा कम प्रभावी रहा, और जो नकेल उसे राजनीतिक पार्टियों पर कसनी थी, उसी पर कस दी गयी, पर इसका मतलब ये तो नहीं कि हम उसकी खिल्ली उड़ाएं.
गाड़ी जिसमे ईवीएम को इधर से उधर ले जाया गया भाजपा प्रत्याशी की निकली
अभी दो बरस पहले ही 25 जनवरी को अपना केंचुआ 69 सालों का हुआ. मैं पूछता हूं क्या केंचुआ 69 सालों में बूढ़ा नहीं हो सकता? पर इस देश की आलसी जनता क्या जाने sixty nine का महत्त्व!
मुझसे कोई पूछ रहा था कि 2014 में सिर्फ 31% लोगों ने बहुमत की सरकार बना दी, बाकी 69% लोग क्या कर रहे थे? मैं उनके सवालों से ऊबा हुआ था. जवाब दिया- sixty nine. वो मेरी ओर देखकर भुनभुनाते हुए चले गए. मुझे पूरा भरोसा था कि वे देश की बाकी 69% आबादी में से थे.
खैर, इस बार मेरा मूड EVM पर हो रही बकैती पर खराब है. ये क्या तरीका है कि EVM को 'Every Vote to Modi' बोला जाए! अरे हां भाई! यही सुन रहा हूं कब से. EVM का मतलब Every Vote to Modi ही क्यों?
EVM का मतलब 'Every Vote to Mulayam, Mayavati, Momta' क्यों नहीं हो सकता? लेकिन नहीं, अब चूंकि EVM बेजुबान है, अपनी बात कह नहीं सकती, तो कर दो बदनाम! कल को अगर अपना केंचुआ लोगों की बातों में आ गया, और EVM की पवित्रता पर मोदी से गुप्त संबंधों का आरोप लगाकर EVM से रिश्ता तोड़ गया, तो क्या होगा इस मासूम का? बोलो! किसी सरकारी गोदाम में धूल खाती रहेगी उम्रभर, और बदनामी के घूंट पीती रहेगी! पर तुम लोगों को इससे क्या मतलब! बस बदनाम कर दो बेचारी को.
ये आर्टिकल लिख ही रहा हूं कि बगल में बैठे sixty nine ग्रुप के भाई साहब बोल रहे हैं, 'सब EVM उठवा ली गयी हैं. उन्हें लाद लिया गया है'. मैं प्रमाण मांग रहा हूं तो वो दबी जुबान में असम, पाथरकांडी और कृष्णेन्दु जैसा कुछ-कुछ बोल रहे हैं.
खैर, 'कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना' गुनगुनाते हुए मैं सोच रहा हूं कि सरकार चाहे जिसकी बने, बनेगी उसी की, जिसकी सरकार ये जनता डिज़र्व करती है. क्योंकि वॉलटेयर बाबा पहले ही कह गए हैं कि, 'A SOCIETY GETS THE CRIMINAL IT DESERVES' और मैं भी कहे देता हूं कि 'A COUNTRY GETS THE GOVERNMENT IT DESERVES'. है कि नहीं.
बाकी EVM निर्दोष है या नहीं, ठीक-ठीक मुझे भी नहीं पता. कहने वाले तो कह रहे हैं कि उसे छेड़ा भी नहीं जा सकता, लेकिन दूसरा पक्ष है कि उसके बलात्कार की पुष्टि किये दे रहा है. अरे थोड़ा पेशेंस रखो यार. शाम तक कि बात है. शाम को रिज़ल्ट आ जायेगा, फिर नए सिरे से बहस करना.
इस मामले में केरल सबसे सही है. सीधी बात नो बकवास. न इलेक्शन कमीशन की बात होती है न बेचारी EVM को घसीटा जाता है, और हारने-जीतने वाले चुपचाप अपनी जगह ले लेते हैं. बाकी पास न होने पर परीक्षक को दोष देना ठीक बात तो नहीं ही है.
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