डिअर सलेम! जेल है, तुम्हारे मामा का घर नहीं...
जेल में रहकर सजा काट रहे और खाने में चिकन की डिमांड करने वाले अबू सलेम को सोचना चाहिए कि वो जेल में हैं, न कि अपने मामा के घर छुट्टियां मना रहे हैं जो उन्हें उनकी पसंद का खाना मिलेगा.
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इंसान चाहे कुंवारा हो या फिर शादी शुदा शिकायतें सबको हैं. किसी को ये शिकायत कि उसकी पत्नी बिना पूछे उसका मोबाइल छूती है तो किसी को ये शिकायत कि 5 साल एक कंपनी में काम करने के बाद सैलरी उतनी बढ़ी जितना दाल में नमक. कहीं ये शिकायत कि चिंटू के पापा चिंटू की मम्मी को शॉपिंग नहीं ले जाते तो कहीं ये कि बाहर डिनर तो करा दिया आइस क्रीम नहीं खिलाई. कहना गलत नहीं है कि जीवन के हर मोड़ पे शिकायतों का पहाड़ है और जो इसे पार कर ले गया वहीं इस कलयुग में संत है.
शिकायत तो अबू सालेम को भी है. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले अबू सलेम अंडरवर्ल्ड डॉन और आतंकवादी हैं और फ़िलहाल नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद हैं. सलेम पर 1993 में हुए बम धमाकों, फिल्म निर्माता गुलशन कुमार की हत्या जैसे गंभीर आरोप हैं. हुआ कुछ यूं कि पुर्तगाल के अधिकारी इनका हालचाल जानने जेल आए, और इन्होंने उनके आगे शिकायतों का पुलिंदा खोल दिया.
सलेम ने एक ऐसी शिकायत रखी है जिसे सुनकर कोई भी हैरत में आ जाएगा
बाक़ी सब तो ठीक था मगर सलेम को सबसे ज्यादा शिकायत इस बात की थी कि इन्हें जेल में खाने को चिकन नहीं दिया जा रहा. अब सलेम ने ये डिमांड किस मुंह से रखी इसे वो खुद जानें. मगर उनकी बात सुनकर सभी सकते में आ गए. स्वाभाव से बेहद शातिर सलेम ने किसी गुस्साए बच्चे की तरह जेल में जांच करने पहुंचे दूतावास के अधिकारियों से कहा कि जेल अधिकारी उसे शाकाहार खाने के लिए मजबूर करते हैं.
इतना जानकार कोई जड़ बुद्धि इंसान भी ये सोचने पर विवश हो जाएगा कि आखिर पुर्तगाल के अधिकारियों को क्या पड़ी थी जेल आने की ? तो इसका जवाब बस इतना है कि सलेम की जान को खतरा होने की उसकी शिकायत के बाद पुर्तगााल के अधिकारी उससे मिलने तलोजा जेल पहुंचे थे. ध्यान रहे कि एक करार के तहत पुर्तगाल ने सालेम को भारत के हवाले किया था. इस मुलाकात के समय आईजी जेल के अलावा सलेम के डॉक्टर, एसपी तलोजा जेल और सलेम की वकील सबा कुरैशी भी थी.
'मासूम' सलेम की फरियाद सुनकर उनकी वकील सबा टेंशन में आ गयीं और दूतावास अधिकारियों को कहा कि सलेम ने उन्हें बताया था कि जेल में मिलने वाला खाना बहुत ही घटिया होता है. और उसे शाकाहारी भोजन ही करना पड़ता है. इसी के साथ उन्होंने कहा कि जिस बैरक में सलेम रहता है वहां पर्याप्त सूर्य की रोशनी भी नहीं पहुंचती है. इसके अलावा सलेम ने अपनी वकील से ये भी कहा था कि शौचालय भी काफी छोटा और गंदा है, जिसके कारण वह बार-बार बीमार पड़ जाते हैं. साथ ही जेल अधिकारीयों द्वारा उन्हें उनके रिश्तेदारों से मिलने की भी इजाजत नहीं दी जाती.
सलेम की डिमांड सुनक्र लग रहा है कि वो जेल में नहीं बल्कि अपने मामा के घर में हैं
सालेम की वकील सबा का आरोप है कि भारत ने पुर्तगाल के साथ हुई संधी को तोड़ा है, क्योंकी संधी के मुताबिक भारत उसे 25 साल से ज्यादा सजा नहीं दे सकता था. लेकिन उसे उम्रकैद की सजा दी गई है. पुलिस ने भी साफ कह दिया है कि सलेम के आरोप बेबुनियाद हैं. तलोजा जेल के एसपीसदानंद गायकवाड़ ने सलेम के आरोप का काउंटर करते हुए कहा कि 'हम उन्हें चिकन नहीं दे सकते. अगर डॉक्टर उन्हें अंडे देने को कहेगा तो हम उपलब्ध करा सकते हैं. वह कैंटीन से अंडे खरीद सकते हैं.' इसके अलावा एसपी साहेब ने ये भी कहा है कि सलेम अपने स्वास्थ्य को लेकर बार-बार कहता रहता है. जबकि उसके डॉक्टर कहते हैं कि वह पूरी तरह स्वस्थ्य है.
बहरहाल यहां सालेम को भी समझना चाहिए कि यही क्या गनिमत है कि ऐसी ओछी करतूतों के बावजूद उन्हें जेल में खाना मिल रहा है. सलेम को ऊपर वाले का धन्यवाद देना चाहिए कि उनका जेलर अंग्रेजों के जमाने का जेलर नहीं है वरना चिकन क्या उन्हें वो पानी वाली टिंडे, लौकी और गोभी की सब्जी तक न देता खाने को.
बाक़ी जाते-जाते बस इतना ही कि सलेम याद रखें कि वो जेल में सजा काट रहे हैं न कि अपने मामा के घर पर गर्मी की छुट्टियां एन्जॉय कर रहे हैं जहां उन्हें एक आवाज़ पर चिकन के साथ पनीर, मशरूम, मंचूरियन और कबाब दिया जाएगा.
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