‘कुत्ते-कमीने’ बोलना छोड़ दें... चले जाएंगे जेल!
जन्म के आधार पर हो या न हो, कुत्ते का भी सामाजिक वर्गीकरण उसके मालिक की हैसियत के हिसाब से तय कर दी जाती है. और कभी-कभी तो कुत्ते की हैसियत जीते-जागते इंसान से ज्यादा हो जाती है!!!
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धर्मेंद्र याद हैं - बॉलीवुड के ऑरिजिनल ही-मैन! वही जिन्होंने कुत्तों-कमीनों मैं तुम्हारा... हां वही... खुन पीने की नरपिशाची घटना को मर्दानगी में बदल कर रख देने वाले! हालांकि धर्मेंद्र सिर्फ ही-मैन ही नहीं थे, दूरदृष्टा भी थे. तभी कुत्तों-कमीनों वाला उनका डायलॉग इंसानों के लिए था, न कि कुत्तों के लिए. काश, धर्मेंद्र जैसा दिमाग थानकोर्न सिरिपाइबून के पास भी होता... तो एक कुत्ते पर कमेंट करने के लिए उन्हें 37 साल जेल की सजा काटने का डर न सता रहा होता. कुत्ता इंसान पर भारी पड़ गया!
कुत्ता-पुराण
कुत्ता तो कुत्ता होता है - यह शायद आपकी सोच होगी, लेकिन ऐसा है नहीं. जन्म के आधार पर हो या न हो, लेकिन कुत्ते का भी सामाजिक वर्गीकरण उसके मालिक की हैसियत के हिसाब से तय कर दी जाती है. अगर ऐसा नहीं होता तो कमिश्नर साहब के कुत्ते के नाम प्राइम टाइम खबरें न बनतीं. और अगर ऐसा नहीं होता तो थाइलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज के स्ट्रीट डॉग पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए एक जीते-जागते इंसान को 37 साल तक जेल भेजने की कानूनी प्रक्रिया न शुरू होती.
'जानवराधिकार'
थाइलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज के पास एक कुत्ता (स्त्रीलिंग) है. नाम है थोंग डायेंग उर्फ कूपर. यह एक स्ट्रीट डॉग है. थानकोर्न सिरिपाइबून एक फैक्ट्री मजदूर थे. मजे-मजे में उन्होंने राजा के कुत्ते पर कॉमेंट कर दिया. उस बेचारे मजदूर को शायद यह तो पता था कि थाइलैंड के राजशाही परिवार के लिए वहां एक स्पेशल कानून है - लेसे मैजेस्टे (lèse majesté). अफसोस उसे यह नहीं पता था कि इस कानून के तहत न सिर्फ राजा और उनका पूरा परिवार बल्कि उनके पालतू जानवरों के 'जानवराधिकार' की भी रक्षा की जाती है.
मीडिया पर कुत्ता भारी
भारत में जब आपातकाल लगा था तो सबसे पहले मीडिया पर पाबंदी लगाई गई थी. कारण था - विपक्षी नेताओं और उनके प्रोपैगेंडा से सरकार को डर. तब कुछ अखबारों ने अपने संपादकीय पन्नों को सरकार के विरोध में ब्लैंक छापना शुरू कर दिया था. थाइलैंड में अभी आपातकाल जैसा कुछ भी नहीं है. लेकिन मजाल कि वहां स्थित देशी या विदेशी मीडिया राजा के कुत्ते वाले इस प्रक्ररण पर कुछ छाप दे. जिस जगह पर यह समाचार छपने वाली थी, उसे पब्लिशिंग हाउस ने ब्लैंक जाने दिया. और तो और, राजाजी के कुत्ते पर थानकोर्न सिरिपाइबून ने क्या कॉमेंट किया, सरकार ने उसे भी सार्वजनिक नहीं किया है. तर्क दिया है - कुत्ते पर कॉमेंट की रिपोर्टिंग एक बार फिर से राजाशाही घराने पर कॉमेंट माना जाएगा.
न्यू यॉर्क टाइम्स के थाइलैंड एडिशन का ब्लैंक स्पेश |
इंसान के रूप में पैदा होने वाला मैं आज यह सोचने पर मजबूर हूं कि ओह... काश मैं वो कुत्ता होता... क्या थानकोर्न सिरिपाइबून भी यही सोच रहे होंगे???
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