'अबकी बार, खुले में शौच पर वार'
8 नवंबर 2016 की तरह ही प्रधानमंत्री एक बार फिर राष्ट्र के नाम संदेश दे सकते हैं. लेकिन इस बार सरकार का जो मिशन है उसकी कुछ जानकारियां लीक हो गई हैं.
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सर्जिकल स्ट्राइक... और प्यारे देशवासियों... सुनकर ही खौफ पसर जाता है. पहले पाकिस्तान के खिलाफ सरकार का सरहद पर धमाका. उसके बाद कालेधन वालों पर हंटर. सरकार के स्वच्छता अभियान के दो बड़े मिशन तो पूरे हो गये, लेकिन सूत्रों से पता चला है कि सरकार की जो तीसरी सर्जिल स्ट्राइक होने वाली है वो और भी भयंकर है. 8 नवंबर 2016 की तरह ही प्रधानमंत्री एक बार फिर राष्ट्र के नाम संदेश देने वाले हैं, लेकिन इस बार सरकार का जो मिशन है उसकी कुछ जानकारियां लीक हो गई हैं. खबर है कि सरकार के मिशन क्लीन से जुड़े इस ड्रीम प्रोजेक्ट की गाज से बड़े-बड़े अच्छों को नानी याद आ जाएगी. पड़ोसी देशों और पड़ोसियों की बढ़ती नापाक हरकतों की वजह से देश में इस कड़े फैसले की लंबे वक्त से जरूरत महसूस की जा रही थी.
सुना ये है कि अबकी बार खुले में शौच करने वालों पर सरकार का डंडा पड़ने वाला है. सरकार का कहना है कि हम 2014 से शौचालय बना रहे हैं लेकिन बार-बार समझाने के बाद भी सोच नहीं बदल रही है. जिसकी वजह से दुनिया भर में बड़ी बेइज्जती का सामना करना पड़ रहा है. ब्रिटेन की एक एनजीओ 'वॉटरएड' ने इज़्ज़त का फलूदा कर दिया है. अपनी रिपोर्ट में उसने बताया है कि खुले में शौच करने वालों में हम नंबर वन हैं. मतलब ना हमारी सोच बदली और ना शौच करने का तरीका.
वैसे देश में खुले में शौच करने वालों के आंकड़े शर्मनाक हैं. यूएन के मुताबिक अपने देश में करीब 60 करोड़ लोग खुले में लोटा लेकर जाते हैं, जिनमें 30 करोड़ के करीब महिलाएं हैं. शहर की सड़कों पर सुबह-सुबह हम जो अपनी सोच त्याग कर आते हैं उससे तो हर रोज 8 स्वीमिंग पूल भर सकते हैं. अब भई इत्ते जबर आंकड़े हैं, तो सरकार की तो मजबूरी है. लाख समझाओ लोगों को लेकिन खेत में जाने की आदत बंद ही नहीं होती. इसलिए जल्दी ही खुले में शौच को एक दम तत्काल प्रभाव से बंद किया जा सकता है. मतलब खुले में शौच करना अब ''लीगल टेंडर'' नहीं माना जाएगा.
'अबकी बार, खुले में शौच पर वार'. सरकार का ये नया नारा उन लोगों पर और भारी पड़ने वाला है, जो घर में टॉयलट बनवाने के बाद भी दूसरे के खेतों को गंदा करके आते हैं. खुले में शौच करने वालों पर नजर रखने के लिए सरकार की तरफ से कुछ कड़े निर्देश जारी किये गये हैं. जैसे खुले में शौच करने वालों पर ड्रोन से नजर रखी जाएगी. इसरो से भी बात चल रही है और यह काम सैटेलाइट से भी करवाया जा सकता है. रंगे हाथ पकड़े जाने पर उनकी फोटो खींचकर अखबार में छपवाई जाएगी. साथ ही उनका लोटा और डिब्बा ज़ब्त कर लिया जाएगा. अगर इसके बाद भी वो खुले में शौच करता हुआ पकड़ा गया, तो अगली बार उसे जेल की टॉयलेट में भेजने का पूरा इंतज़ाम होगा.
खुले में शौच करने वालों पर होगी सर्जिकल स्ट्राइक |
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स्कूल के मास्टरों से अपील की जाएगी कि वो खुले में शौच करने वालों पर नजर रखें, और मौका देखते ही उनका लोटा छीनकर वहां से निकल लें. ऐसे लोगों से निपटने के लिए शहर और गांव के आवारा कुत्तों की टोलियां बनाई जाएंगी, ताकि जहां खुले में शौच करते हुए लोग दिखें उनके पीछे इन कुत्तों को दौड़ा दिया जाए.
खबर ये भी है कि सरकार नोटबंदी से सबक लेकर इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रही है. किसी तरह की अफरातफरी से बचने के लिए कुछ नियम कायदे पहले ही बना दिये गये हैं. मसलन-
- नियम लागू होने के बाद हर परिवार को शौचालय बनवाने के लिए हफ्ते भर का समय दिया जाएगा. इस दौरान लोगों को कुछ छूट रहेगी. जैसे हर घर से रोजाना एक ही शख्स खुले में शौच में जा सकता है.
- खुले में शौच में बैठने का अधिकतम टाइम 10 मिनट ही होगा. इस दौरान सिर्फ शौच करना होगा, किसी तरह की बात सोचने की कोई इजाज़त नहीं होगी.
- मानवीय आधार पर दस्त और कब्ज़ वालों को थोड़ी राहत मिल सकती है. उनकी समय सीमा दिन में दो बार हो सकती है.
- महिलाएं परदे का इंतज़ाम करके जा सकती हैं. लेकिन उन्हें अपनी सुरक्षा की गारंटी खुद देनी होगी.
- एक साथ ग्रुप में जाने की इजाज़त किसी को नहीं होगी.
- अगर खेत के मालिक ने शौच करते वक्त रंगे हाथ पकड़ लिया तो उसका खेत साफ़ करने के साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ेगा.
- सीनियर सिटीज़न दिन में दो बार जा सकते हैं.
- ये सभी छूट सिर्फ एक हफ्ते तक ही दी जाएगी ताकि इस दौरान आप अपने घर में शौचालय का निर्माण कर सकें.
- बच्चों को खुली छूट होगी, लेकिन गंदगी हुई तो उनकी मां इसके लिए ज़िम्मेदार होगी.
बच्चों को खुली छूट होगी, लेकिन गंदगी हुई तो उनकी मां इसके लिए ज़िम्मेदार होगी. |
- जिन इलाकों में शौचालय नहीं हैं, वहां एक हफ्ते के लिए मोबाइल शौचालय भेजे जाएंगे, लेकिन उसके लिए आपको अपना आईडी प्रूफ दिखाना होगा. एक आईडी प्रूफ पर एक बार में एक ही शख्स को सिर्फ 5 मिनट का वक्त मिलेगा. इसका समय सुबह 5 बजे से 10 बजे तक ही रखा जाएगा.
- इस दौरान टायलेट में मोबाइल ले जाना, चैट करना, अंदर ही अंदर गुनगुनाना, और सोशल मीडिया पर पोस्ट अपलोड करने पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी. हां, अगर किसी जागरुक नागरिक को कोई शख्स खुले में शौच करता मिले तो वो उसकी सेल़्फी या फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर सकता है.
- सरकार की तरफ से कुछ 'सोचमित्रों' की तैनाती की जाएगी, जो ना सिर्फ आपको खुले में शौच करने से रोकेंगे, बल्कि देश के निर्माण में आपके इस शौच से किस तरह का नुकसान हो रहा है इसकी जानकारी भी देंगे.
- खुले में और दीवार पर अपनी भड़ास निकालने वाले पुरुषों के लिए खास इंतज़ाम किये गये हैं. सभी दीवारों पर 'गधे के पूत यहां मत मूत', और 'देखो गधे का बच्चा मूत रहा है' जैसे नारों की संख्या बढ़ाई जाएगी.
- इसके बाद भी लोग अगर खुद को हल्का करते हुए रंगे हाथ पकड़े गये, तो उनकी उंगली पर स्याही से निशान लगाने के साथ ही मुंह काला करने और गंजा करने तक की योजना है. बार-बार ऐसी हरकत करने वालों का ना सिर्फ शहर के चौराहों पर फोटो लगेगा, बल्कि उनकी बेइज़्ज़ती करने तक के इंतज़ाम किये गये हैं. इसमें गधे पर बैठाकर घुमाना भी शामिल होगा.
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- रेल लाइन को पूरी तरह शौच मुक्त किया जाएगा वहां जाने की किसी को भी छूट नहीं मिलेगी. ऐसे लोग अपने घर में टायलेट पेपर का इस्तेमाल कर सकते हैं. क्योंकि ऐसे लोगों से निपटने के लिए सरकार जल्द ही पटरियों पर बुलेट ट्रेन चलाने की योजना बना रही है. ट्रेन के ड्राइवरों को निर्देश दिये गये हैं कि वो पहले सीटी मारकर ऐसे लोगों को लाइन से हटाएं.. वरना... फिर आप समझ सकते हैं...
- बड़ी संख्या में बाज़ार में बिकने वाले लोटे और डिब्बे अब सरकार की तरफ से चुनिंदा दुकानों से ही खरीद सकते हैं. क्योंकि अगर लोटे और डिब्बों की बिक्री कम हुई तो खुले में शौचालय जाने वालों की सोच बदलेगी.
महिलाएं परदे का इंतज़ाम कर जा सकती हैं. लेकिन उन्हें अपनी सुरक्षा की गारंटी खुद लेनी होगी |
इस स्ट्राइक के पीछे सरकार का मकसद आपकी लघुशंका को बंद करना नहीं है, बल्कि शौच से जुड़ी आपकी शंकाओं को कम करना है. ताकि गंदगी की वजह से हर साल बीमारियों का आंकड़ा ना बढ़े. सरकार को ये गंभीर कदम इसलिए भी उठाना पड़ा क्योंकि पड़ोसी देशों के लोग भी हमारी सरहद को गंदा कर जाते थे, जिसकी वजह से नासा से भेजी गई तस्वीरों का नज़ारा मनोरम होने के बजाय किसी लैंडफिल सा नजर आने लगा था.
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सरहद पर ऐसे गंदे और मलिच लोगों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिये गये हैं. सरकार की कोशिश है कि देश में जल्द से जल्द शौचालयों की कमी पूरी की जाए, हालांकि 2 अक्टूबर 2014 से सरकार अपने स्वच्छता मिशन के तहत 2 करोड़ से ज़्यादा शौचालय बना चुकी है. यानि अब देश में करीब 54 फीसदी घरों में शौचालय हैं. अगर फिर भी लोगों ने इस मिशन में सरकार का सहयोग नहीं दिया, तो उनके लिए कुछ कठोर नियम हैं. जैसे-
- ऐसे लोगों को तीन बार चेतावनी दी जाएगी लेकिन अगर नहीं माने तो उनके घर का राशन बंद कर दिया जाएगा, क्योंकि 'अगर खाएगा नहीं इंडिया, तो जाएगा भी नहीं इंडिया'.
- एक हफ्ते के लिए हर आदमी के खाने की लिमिट भी तय की जाएगी क्योंकि 'कम खाएगा तो कम जाएगा'.
- इसके अलावा कुंआरे लड़के-लड़कियों का विवाह तभी हो पाएगा जब वो अपने पैन कार्ड और आईडी प्रूफ के साथ इस बात का शपथपत्र देंगे कि वो शादी से पहले अपने घर में शौचालय बवाएंगे नहीं तो उनकी शादी कैंसिल मानी जाएगी. इसके अलावा जिन लोगों की शादियां होने वाली हैं उन्हें अपने इलाके की सिविक एजेंसी के अधिकारी से इस पर अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा.
सरकार ने इस बड़े फैसले को लागू करने के लिए देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही सिविक एजेंसियों, पुलिस और फायर ब्रिगेड को अलर्ट रहने को कहा है. राज्य सरकारों को भी इसके लिए जल्द ही सुर्कुलर जारी किया जाएगा. सरकार ने सभी सियासी पार्टियों से अपील की है, कि वो राष्ट्र निर्माण के इस काम में राजनीति करने की कतई कोशिश ना करें. हालांकि कुछ विपक्षी पार्टियां इसे मानवाधिकारों से जोड़कर बड़े आंदोलन की रणनीतियां भी बनाने में जुट गई हैं. लेकिन आगामी चुनाव को देखते हुए सभी दल इस मुद्दे पर अभी फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं.
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