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Updated: 15 अप्रिल, 2016 01:48 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 66,200 पाउंड (62 लाख रुपये) में खरीदा जा सकता है. ऐसा ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल ईबे का इंग्लैंड पेज कह रहा है. ईबे के इस पेज पर इस्तेमाल किए जा चुके और पुराने सामान को बेचा जाता है. गौरतलब है कि जिस वक्त ईबे पर यह पोस्ट किया गया, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इंग्लैंड के एक हॉस्पिटल में अपना इलाज करा रहे थे.

ऑनलाइन पोर्टल पर नवाज शरीफ को बेचने का कदम उठाने वाले शख्स ने अपने परिचय का खुलासा नहीं करते हुए दावा किया है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अब किसी काम के नहीं हैं और उनकी जरूरत किसी के लिए नहीं है. ईबे सेलर के मुताबिक नवाज शरीफ के खरीदार के लिए कोई शर्त नहीं रखी गई है और उनका खरीदार मांगी गई रकम का भुगतान करके सेंट्रल लंदन से डिलेवरी ले सकता है. बेचने वाले शख्स ने यह भी दावा किया है कि नवाज शरीफ अनुवांशिक तौर पर डिफेक्टिव और भ्रष्ट हैं और वह काम करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि उन्होंने कभी भी काम नहीं किया है. इतना ही नहीं, नवाज शरीफ को बेचने वाले शख्स ने साथ में उनके छोटे भाई और पंजाव प्रांत के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ को मुफ्त में देने का ऑफर भी किया है.

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ईबे पेज पर नवाज शरीफ को खरीदें

अब ये खबर पढ़कर इतना तो साफ है कि यह काम पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति से तंग आकर किसी शख्स ने किया है. उसका मकसद नवाज शरीफ और उनके भाई शाहबाज शऱीफ को बेचने का कतई नहीं है. बल्कि वह दुनिया को संदेश देना चाहता है कि किस तरह पाकिस्तान में लोकतंत्र के नाम पर भ्रष्टाचार और आतंकवाद का खेल चल रहा है.

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गौरतलब है कि हाल ही में पनामा पेपर लीक मामले में नवाज शरीफ के तीनों बच्चों के नाम का खुलासा हुआ है और उसके बाद से पाकिस्तान में लोकतंत्र के इस चेहरे के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है. वहीं कुछ खुफिया सूत्रों के हवाले से पाकिस्तान के अखबारों में साफ लिखा जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई अब नवाज शरीफ को बर्दाश्त नहीं कर रही है लिहाजा वह बहाना खोज रही है कि कैसे उन्हें उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त किया जा सके.

अंग्रेजी हुकूमत से 1947 में मिली आजादी के बाद से लेकर अब तक के राजनीतिक सफर से एक बात साफ है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र के साथ बड़ा खिलवाड़ हो रहा है. कहने के लिए पाकिस्तान में समय-समय पर राजनीतिक दलों ने सरकार बनाई है लेकिन हकीकत यही है कि वहां लोकतंत्र के नाम पर बनने वाली सरकार हमेशा सेना के आला अधिकारियों के साथ किसी न किसी डील के तहत बनती है. पाकिस्तानी सेना देश पर अपना राज कायम रखने के लिए ऐसी सरकारों को जनता पर थोपतें हैं और मकसद निकल जाने पर उन्हें उखाड़ फेंकने से भी गुरेज नहीं करते.

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अब सवाल यह है कि एक बार यदि मान लिया जाए कि पाकिस्तान को नवाज शरीफ की जरूरत नहीं है. ऐसे में उन्हें ईबे के माध्यम से बेचने का यह फैसला करने वाले शख्स को क्यों लगा कि दुनिया में कोई न कोई ऐसे डिफेक्टिव और भ्रष्ट आदमी को खरीदने के लिए तैयार होगा. क्या पूरी दुनिया में कोई ऐसा देश या संस्था है जो नवाज शरीफ को खरीद सकती है. अब बीते कई दशकों के उनके राजनीतिक सफर को देखकर साफ है कि उनके डिफेक्ट और भ्रष्टाचार में पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई को फायदा होता रहा है. लिहाजा, आज अगर वह पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के लिए भी बेकार हो चुके हैं तो कौन भला उनको खरीद सकता है.

बहरहाल, नवाज शरीफ की इस बिक्री के ऑफर को जब पाकिस्तान, धार्मिक जेहाद और आतंकवाद के पैमाने पर देखें तो महज तालिबान और आईएसआईएस ही ऐसे संगठन हैं जो उनको खरीदने में दिलचस्पी दिखा सकते हैं. लेकिन यह उम्मीद तो उन्हेंं भी नहीं है कि वे वहां आकर कोई बड़ा कारनामा करेंगे. ऐसे संगठनों के पास पहले से मसूद अजहर, हाफिज सईद और अबु बक्र अल बगदादी मौजूद हैं और वे समय-समय पर दुनिया भर में आतंकी वारदातों को अंजाम देकर अपने जेहाद के लिए प्रासंगिक बने हुए हैं.

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फिर नवाज को क्या रोल दे पाएंगे आतंकी संगठन. शायद नफासत भरी जिंदगी जीने वाले एक बटन दबाने की मेहनत तो कर ही लेंगे. उनकी जाहिर छवि का फायदा उठाकर आतंकी चाहेंगे कि वे उनकी कमर में बारूद बांधकर बाजार में भेज दें. ताकि वे वहां खुद को उड़ाकर जेहाद के काम आ सकें.

बहरहाल, उम्मीद है कि दुनिया के किसी कोने में कोई न कोई शख्स महज 62 लाख रुपये खर्च कर पाकिस्तान में लोकतंत्र के नाम पर हो रहे इस खिलवाड़ को रोके और वहां कि जनता को निजात दिलाए.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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