सर्जिकल स्ट्राइक पर जितने मुंह हैं उतनी बातें, थैंक यू डेमोक्रेसी
पवन कल्याण, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी जैसे लोगों ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाकर पूरे देश को एक बार फिर इस बात का एहसास करा दिया है कि जो हर परिस्थिति में सरकार की कमियां निकालते हैं ऐसे लोगों का कुछ नहीं हो सकता.
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भारत एक 'लोकतांत्रिक' देश है. इस एक वाक्य में 'लोकतांत्रिक' अपने आप में बहुत भारी चीज है. चूंकि लोकतंत्र है तो व्यक्ति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को हथियार बनाकर देश के खिलाफ, देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ, देश की सेना के खिलाफ, सेना द्वारा लिए जा रहे एक्शन के खिलाफ कुछ भी कह सकता है. मजाल है किसी की जो 'निंदा' करने वाले उस 'निंदक' को कुछ कह दे. अब इसे वक्त का तकाजा कहें या 'दिखास' 'छपास' और 'सुनास' की भूख नेताओं से लेकर आम लोगों तक लोगों में होड़ लगी है अपने को लिबरल दिखाने की.
एयरस्ट्राइक 2 के बाद एक बार फिर एक बड़े वर्ग के सुर देश के विरोध में उठ गए हैं
नेता हमेशा से ही इस देश में महत्वपूर्ण मुकाम पर रहे हैं तो उन्हीं की बात की जाए तो बेहतर है. बात की शुरुआत हम पवन कल्याण से करते हैं. पवन कल्याण पहले हीरो थे अब नेता है. खूब फ़िल्में आती हैं इनकी टीवी पर. इनकी कई फ़िल्में ऐसी हैं जिनमें गुंडों से मुकाबला करते हुए पहले तो इन्होंने धूल उड़ाई. फिर उसी धूल को लात से मारकर गुंडों की तरफ धकेलते हुए इन्होंने गुंडों को उनकी नानी याद दिलाई.
ये अपने आप में विचलित करने वाला है कि पवन कल्याण को दो साल पहले ही पता चल गया था कि युद्ध होने वाला है
कहावत भी है कि नया मुल्ला नमाज ज्यादा पढ़ता है यही हाल इनका भी है. आंध्र प्रदेश के कडपा में एक चुनावी रैली को संबोधित करने हुए पवन कल्याण ने उस वक़्त सब को हैरत में डाल दिया जब उन्होंने कहा कि भाजपा ने दो साल पहले उन्हें बताया था कि लोकसभा चुनाव से पहले युद्ध होगा. पवन यहां पर रुक जाते तब भी ठीक था. मगर इसके बाद उनके अन्दर का लिबरल ऐसा निकला की फिर उसने वापस जाने का नाम ही नहीं लिया.
रैली में पवन ने मुस्लिम तुष्टिकरण वाला खेल खेला और मुस्लिमों से संबोधित होते हुए कहा कि मुसलमानों को देशभक्ति साबित करने की जरूरत नहीं है. भारत में मुसलमानों को समान अधिकार हैं. मैं नहीं जानता कि पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति क्या है, लेकिन भारत मुसलमानों को अपने दिल में रखता है. इसने अजहरुद्दीन को अपनी क्रिकेट टीम का कप्तान और अब्दुल कलाम को देश का राष्ट्रपति बनाया.”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक 2 पर सवाल उठाकर एक बार फिर देश को हैरत में डाल दिया है
भले ही पवन कल्याण को युद्ध होने की बात दो साल पहले पता चल गई हो. मगर बात जब दिल्ली के मुख्यमंत्री की हो तो हमें उन्हें बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियो में केजरीवाल ने पीएम मोदी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी सेना के जवानों पर लाशों की राजनीति कर रहे हैं और उनकी लाशों पर अपनी सीटों की गिनती कर रहे हैं.
Delhi CM, Arvind Kejriwal, on Narendra Modi and BJP using dead Indian soldiers for politics ahead of elections. pic.twitter.com/Ya6uPGD42T
— Ashar Jawad (@AsharJawad) March 1, 2019
दिल्ली विधानसभा में बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि पूरे देश की पीड़ा रखना चाहता हूं. पुलवामा में हमला हुआ, हमारी वायुसेना ने बदला लिया. देश शहीदों के गम में रो रहा था. देश गुस्से में था, अपमानित महसूस कर रहा था. देश ने सख्त संदेश पाकिस्तान को दिया, पर कल दोबारा देश की आत्मा रो पड़ी. पूरा देश सरकार और सेना के साथ एकजुट है. सभी धर्म, जाति और पार्टी के लोग पीएम के साथ हैं पर दुख है कि पीएम अपने बूथ को मजबूत करने में जुटे हैं. देश बदला चाहता है पर पीएम चुनाव प्रचार में हैं. जब देश और जवान नहीं बचेगा तो बूथ कहां से बचेगा.
ईश्वर ही जानें कि आखिर दिल्ली के मुख्यमंत्री की समस्या क्या है ? क्यों इन्हें हर छोटी से लेकर बड़ी और फिर बहुत बड़ी चीज का सबूत चाहिए. मतलब केजरीवाल एक अलग किस्म की परेशानी हैं. इन्हें और इन जैसे लोगों को समझाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है. मगर तब भी इन्हें सही बात बताना बहुत ज़रूरी है.
ऐसे लोगों को समझना होगा कि सरकार अपना काम कर रही है और ये लोग जिस तरह सरकार और प्रधानमंत्री पर तरह तरह के आरोप लगा रहे हैं वो कहीं से भी सही नहीं है. ध्यान रहे कि जब पुलवामा हमला हुआ तब लोगों को शिकायत थी कि सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही है और हाथ पर हाथ धरे बैठी है. अब जब सरकार ने एक्शन लिया तब इन्हें उसपर दिक्कत हो गई और ये शांति, समझौते, सैनिकों और उनके परिवारों की बात करने लग गए.
बात पीएम और उनकी नीतियों के विरोध की हो और ममता बनर्जी का नाम न आए भला ये मुमकिन है ?
बात सर्जिकल स्ट्राइक 2 के आरोपों और प्रत्यारोपों की हो रही है ऐसे में हम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कैसे भूल सकते हैं. एक तरफ जहां भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बरकरार है. तब वहीं ममता बनर्जी ने आतंकी कैंप पर भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाए हैं. ममता बनर्जी ने कहा कि जवानों का जीवन चुनावी राजनीति से ज्यादा कीमती है, लेकिन देश को यह जानने का अधिकार है कि पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना के हवाई हमले के बाद वास्तव में वहां क्या हुआ था. ममता का मानना है कि, "बलों को तथ्यों के साथ सामने आने का मौका दिया जाना चाहिए."
ममता ने राज्य सचिवालय में पत्रकारों से कहा कि, 'हवाई हमलों के बाद, हमें बताया गया कि 300 मौतें हुईं, 350 मौतें हुईं. लेकिन मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट में ऐसी खबरें पढ़ीं जिनमें कहा गया कि कोई इंसान नहीं मारा गया. एक अन्य विदेशी मीडिया रिपोर्ट में केवल एक व्यक्ति के घायल होने की बात कही गई थी. 'हमें यह जानने का अधिकार है, इस देश के लोग यह जानना चाहते हैं कि कितने मारे गए (बालाकोट में) वास्तव में बम कहां गिराया गया था? क्या यह लक्ष्य पर गिरा था?'
अंत में बस इतना ही कि एक ऐसे समय में जब सारा देश अपनी सरकार और उसके फैसले के साथ खड़ा है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इन लोगों की बातें कचोटने वाली हैं. हम पाकिस्तान या किसी भी दुश्मन देश से जंग लड़ लेंगे. मगर बड़ा सवाल ये है कि आखिर कैसे उन लोगों से मोर्चा लिया जाए जो सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों के खिलाफ अनर्गल बातें कर रहे हैं और समय समय पर उसपर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
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