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Updated: 02 दिसम्बर, 2017 12:12 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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चाहे सरकारी मुलाजिम हो या प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला कोई व्यक्ति. प्रायः ये देखा गया है कि मंथ एंड लगभग सभी को कचोटता है. व्यक्ति के जीवन में, ये वो क्षण होता है जब पैसों की तंगी उसे सताती है और वो ऐसी तमाम जगहों पर दबिश देता है जहां उसने बुरे वक़्त में काम आने के लिए 'कुछ' छुपाया हो. इस दिशा में पहला पड़ाव व्यक्ति का पर्स होता है. आज मैं भी आगे आने वाले दिनों में खर्चा चलाने के लिए 'कुछ' ढूंढ रहा था. 'कुछ' तो नहीं मिला मगर मुझे मेरा आधार कार्ड दिखा.

भले ही आप आधार कार्ड में अपनी फोटो देख घबरा जाएं और इसे मायावी मान के नकार दें. मगर विश्वास करिए, आधार कार्ड आपके जीवन में किसी जादू की तरह है. अब इससे सब काम हो जाते हैं. इससे खाता खुलता है, इससे गैस का सिलेंडर मिलता है, इसे मोबाइल नंबर के साथ लिंक करने पर गांव देहात में भी सिग्नल के चार या पांच डंडों का समूह मिलता और सिग्नल पूरा पकड़ता है. इसे जो पैन कार्ड से लिंक किया तो फिर कहना ही क्या पैसे इधर से उधर इतनी सुगमता से ट्रांसफर होते हैं जैसे किसी ने नोटों पर ग्रीस लगा दिया हो. ये जो ट्रांसफर होने के लिए एक बार चलते हैं तो फिर रुकने का नाम नहीं लेते.

आधार कार्ड, मौत, सोशल मीडियाआज आधार कार्ड जरूरत से ज्यादा लोगों की मजबूरी बन गया है

मतलब बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि, यदि आपके पास आधार न हो तो आपका जीवन निराधार है. आपको जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं है. आपका अस्तित्व संदेह के घेरों से घिरा और कुंठा उत्पन्न करने वाला बन जाता है. मैं जब-जब अपने आधार कार्ड को देखता हूं तो मिलता है कि जीवन में रिश्ते-नाते, डिग्री-मार्कशीट, नौकरी-पेस्लिप, बीवी-बच्चे, मां-बाप सब एक तरफ आधार कार्ड एक तरफ. भले ही इसकी फोटो डरावनी है तो क्या मगर बिना इसके मेरे जीवन का कोई महत्त्व नहीं है. कभी कभी मुझे लगता है कि मरने के बाद भी आधार कार्ड मेरे काम आएगा और मेरी स्वर्ग या नरक मे एंट्री का आधार भी मेरा आधार कार्ड होगा.

बात आधार कार्ड और मरने की है तो बीते दिनों घटित हुई ऐसी तमाम खबरें आपको भी याद होंगी. हां वो ख़बरें, जिनमें आपको पता चला होगा कि जब लोगों के पास आधार कार्ड नहीं होता तो उनके इलाके का कंट्रोल वाला उन्हें राशन नहीं देता और दुत्कार के भगा देता है जिसके चलते उनके मासूम बच्चों की मौत हो जाती है. चूंकि अब बात आधार और मौत पर आ गयी है तो जाते जाते आपको एक खबर से अवगत करा दें.

खबर हरियाणा के फरीदाबाद से जुड़ी है और जिससे जुड़ी सामग्री को इंटरनेट पर खूब शेयर किया जा रहा है. शेयर की जाने वाले सामग्री एक स्वर्गाश्रम में लगा बोर्ड है जिसमें लिखा है कि, 'मृतक के लिए आधार कार्ड लाना जरूरी है नहीं तो उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.

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जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. दैनिक जागरण के मुताबिक जब इस बोर्ड की सच्चाई पता करने की कोशिश की गयी तो जो तर्क निकल कर सामने आए वो हैरत में डालने वाले थे. अखबार के मुताबिक जब इस विषय में शमशान प्रबंधन से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि कई बार मृतक के परिवार वाले मरनेवाले के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाते और जानकारी के आभाव में मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने में समस्या होती है. अतः शमशान प्रबंधन ने ये बोर्ड सिर्फ इस लिए लगाया है ताकि लोग सही जानकारी भरें और उन्हें लिखा पढ़ी कम करनी हो. हालांकि सरकार की तरफ से अभी इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि व्यक्ति को उसकी मौत के बाद भी आधार कार्ड की ज़रुरत है या नहीं. 

इस मामले को देखकर बस यही कहा जा सकता है कि ये शायद आधार कार्ड का नेक्स्ट लेवल है. और अब आधार कार्ड न होने के चलते मरने की प्लानिंग करने वाला व्यक्ति भी दो बार सोचेगा. खैर जिस तरह आज आधार कार्ड के नाम पर लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है उसको देखकर एक आम आदमी द्वारा यही माना जा सकता है कि तमाम रिश्ते नातों, नौकरी चाकरी से परे यदि उसके पास आधार नहीं है तो उसका जीवन व्यर्थ है. आधार न होने के चलते व्यक्ति मरने से पहले भी परेशान रहेगा और मरने के बाद भी.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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