चीतों की सिक्योरिटी के लिए कुत्ते! इस व्यवस्था में चीतों की शान बढ़ी या बेइज्जती हुई?
कुनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों और अन्य जानवरों को शिकारियों से बचाने के लिए कुत्तों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि कुत्तों को बाघ की खाल, हड्डियों और अन्य अवैध वन्यजीव उत्पादों का पता लगाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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बाहर गांव नामीबिया से कूनो आए चीते न हुए, मुसीबत हो गए. रोज का एक नया टंटा. हर घंटे का नया ड्रामा... मैटर बहुत क्लियर है. नामीबिया से पीएम मोदी के बर्थडे पर जो कंसाइनमेंट आया उसमें चीते थे. खुले में रहने वाले चीते. बेइंतेहा तेज दौड़ने वाले चीते. दिखने में क्यूट लेकिन हमला कर शिकार करने और अपना पेट भरने वाले चीते लेकिन यहां हिंदुस्तान में आने के बाद उनका वक़्त बदल गया. जज्बात बदल गए, कूनो में जैसा हाल चीतों का है कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारे लोगों और मध्य प्रदेश की सरकार दोनों ने चीतों को भैंस, बकरी, मुर्गी, घोड़े से भी बदतर स्थिति में लाकर रख दिया है. नहीं मतलब अगर चीतों की सुरक्षा कुत्तों के भरोसे हो तो सवाल भी उठेंगे और सरकारी प्लानिंग पर क्वेश्चन मार्क भी लगेगा.
अब कुत्ते, चीतों और अन्य खूंखार जंगली जानवरों की सुरक्षा करेंगे ये बात सुनने में ही अजीब है
दरअसल एमपी के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों की सेफ्टी को ध्यान में रखकर उन्हें ट्रेंड डॉग्स के हवाले लिया जाएगा. फिलहाल इन कुत्तों को हरियाणा के पंचकूला में खास ट्रेनिंग दी जा रही है. कुत्तों की ट्रेनिंग का एक वीडियो भी जंगल में लगी आग की तरह सोशल मीडिया पर बड़ी ही तेजी के साथ शेयर किया जा रहा है. कहा जा रहा कि अन्य जानवरों व शिकारियों से बचाने के उद्देश्य से विशेष प्रशिक्षित कुत्तों को चीतों की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा.
#WATCH | Haryana: German Shepherds getting trained at Indo-Tibetan Border Police Force's (ITBP) National Training Centre for Dogs in Panchkula to be deployed in Madhya Pradesh's Kuno National Park to protect the recently released Namibian cheetahs from poachers. pic.twitter.com/emVv7qgcbW
— ANI (@ANI) September 28, 2022
आगे इस मामले का पूरा पोस्टमार्टम होगा लेकिन उससे पहले हमारे लिए ये जान लेना भी जरूरी है कि वो कुत्ते जो चीतों के 'गार्जियन ऑफ गैलेक्सी' बनेंगे जर्मन शेफर्ड ब्रीड के होंगे जिन्हें पंचकूला स्थित आईटीबीपी के नेशनल डॉग ट्रेनिंग सेंटर पर ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग के विषय में जानकारी ये भी सामने आई है कि स्पेशल सिलेबस के अंतर्गत के दौरान कुत्तों को बाघ की खाल और हड्डियों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. कुत्ते सही से ट्रेनिंग हासिल कर सकें इसके लिए WWF-इंडिया की भी मदद ली जा रही है.
The dogs will be trained to detect tiger skin & bones during the specialized training course. These dogs are being trained by us in collaboration with WWF-India (World Wide Fund for Nature India): IS Duhan, IG, Basic Training Center of Indo-Tibetan Border Police Force (BTC-ITBP) pic.twitter.com/CEMnQWTHH3
— ANI (@ANI) September 28, 2022
खैर सूंघने को लेकर तो कुत्तों के बारे में ये तक मशहूर है कि अगर हवा सही हो तो कुत्ता 20 किलोमीटर दूर तक की गंध सूंघ सकता है लेकिन जो मसला है वो है उनका कुत्तों का सिक्योरिटी गार्ड बनना. अरे भइया मानों न मानों लेकिन ये बात सिर्फ आपके या हमारे लिए नहीं बल्कि निजाम ए कुदरत के भी खिलाफ है. कुत्ता चाहे जर्मन शेफर्ड हो या फिर ग्रेट देन एक चीते के सामने तो वो कुत्ता ही है.
कह सकते हैं कि कितना भी सूखा या कुपोषित चीता हो कल को अगर कोई बात हो जाए तो वो कुत्ते के सामने बीस ही निकलेगा. कुत्ते, चीते की सुरक्षा में हैं इसपर आप और हम लॉजिकल से लेकर इल्लॉजिकल तक कई कई किलोमीटर के तर्क दे सकते हैं लेकिन एक बार, बस एक बार उन चीतों के विषय में सोचिये. क्या सिक्योरिटी के नाम पर इस सरकारी पहल के बाद बेचारे गरीब मजलूम चीतों की भावना आहत नहीं होगी?
बात बहुत सीधी है हमें और हमारी सरकार दोनों को इस बात को समझना होगा कि बाड़े में रखकर, इलेक्ट्रिक फेंसिंग लगाकर, अपने हाथों से जंगली चीतों को खाना परोसकर हम चीतों के साथ एक ऐसा मजाक कर रहे हैं जिसकी मरने के बाद भी बख्शीश नहीं है. यानी ये एक ऐसा मैटर है जिसके लिए कल की डेट में अगर नरक या स्वर्ग के चौकीदार हमें कोड़े भी मारें तो कम है.
अरे भइया अगर चीतों को चीतों की तरह ट्रीट किया जाए तो बुराई क्या है? रही बात उन जंगली चीतों की सिक्योरिटी की तो अगर उनकी इतनी ही फ़िक्र है तो उनकी सेवा में रेंजर लगाए जाएं लेकिन कुत्ते नहीं. खुद सोचिये अगर चीतों जैसे जीव की रक्षा अगर कुत्ते करें तो ये सुनने के साथ साथ देखने में भी अजीब लगेगा.
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