'अलादीन का चिराग' पाने के लिए लंदन से आए 'डाकसाब' ने तो हद कर दी!
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ से ठगी का एक अनोखा मामला सामने आया है जहां लंदन से रिटर्न हुए डॉक्टर को अलादीन का जादुई चिराग (Aladdin Ka Chirag) बेचने के एवज में 2.5 करोड़ रुपए की टोपी पहनाई गयी. फ़िलहाल पुलिस ने ठगों को गिरफ्तार कर चिराग बरामद कर लिया है.
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जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है.
पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) ने रश्मिरथी (Rashmirathi) में 'कर्ण चरित' पर लिखीं. कवि ने इन पंक्तियों को स्वयं कर्ण के मुख से कहलवाया. उपरोक्त पंक्तियां वर्तमान हिंदी साहित्य के अंतर्गत मील का पत्थर हैं जिन्हें लिखकर रामधारी सिंह दिनकर अमर हो गए. मैं औरों का तो नहीं जानता लेकिन इन दो पंक्तियों में जीवन और उसका सार छिपा है. मैं जब भी कभी खाली बैठकर मक्खियां मारता हूं तो टाइम पास के लिए इन पंक्तियों पर जरूर विचार करता हूं. नहीं मतलब सच में! इन पंक्तियों को लिखते हुए बहुत डीप में उतर गए दिनकर. लिखने को तो ये पंक्तियां दिनकर ने 1954 में लिखी थीं लेकिन हमारे देश में, समाज में, दुनिया में ऐसे बहुत से बौद्धिक क्रांतिकारी मौजूद हैं जिनकी बदौलत ये पंक्तियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी पहले थीं. आदमी इसे ख़ुद से कैसे रिलेट करे गर जो क्वेश्चन ये सामने आए तो कहीं दूर जाने की ज़रूरत नहीं है. यूपी (UP) घूमना भर काफ़ी है. यहां एक को खोजा जाए तो ऐसे सैकड़ों मूर्ख मिलेंगे जिनका जब विवेक मरा तो वो नाश से दो-चार हुए. बातें होती रहेंगी और ख़ूब होंगी लेकिन एक ख़बर सुनिए. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) में तांत्रिकों द्वारा ठगी का एक दिलचस्प मामला सामने आया है. जहां दो तांत्रिकों ने लंदन रिटर्न डॉक्टर को अलादीन का चिराग बेचने के नाम पर उस से ढाई करोड़ रुपए ठग लिए. ख़ैर पुलिस ने तत्परता दिखाई है और दोनों फर्जी तांत्रिक धर दबोचे गए हैं.
मेरठ में पुलिस ने ठगी करने वाले तांत्रिकों को तो पकड़ा ही अलादीन का चिराग भी बरामद किया
एक ऐसे वक्त में जब तकनीक हम पर हावी हो, अलादीन का चिराग बेचना तो बड़ी बात है ही मगर उसे खरीदना और उसके लिए ढाई करोड़ देना उससे कहीं ज्यादा बड़ी बात है. तांत्रिकों के हाथों गच्चा खाने के बाद लंदन से वापस आए डॉक्टर ने पुलिस को तहरीर दी थी जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और न सिर्फ आरोपी तांत्रिकों को गिरफ्तार किया बल्कि वो जादुई चिराग भी बरामद किया जो लंदन से हिंदुस्तान और हिंदुस्तान से मेरठ पहुंचे 'डाकसाब" की ज़िंदगी तूफानी करने वाला था.
मैटर कुछ यूं है कि जिन डाकसाब लईक ख़ान को मामू बनाया गया वो फिजिशन हैं. डॉक्टर लईक ने अपनी एफआरएचएस की पढ़ाई लंदन से की है. बात साल 2018 की है. यूपी के बागपत की रहने वाली महिला समीना अपने ऑपरेशन के बाद डॉक्टर लईक के संपर्क में आई. डॉक्टर लईक अक्सर ही महिला के घर उसकी मरहम पट्टी करने के लिए जाते थे. अपनी लिखी तहरीर में डॉक्टर ने पुलिस को बताया कि उसी महिला के घर में उनकी मुलाकात इस्लामुद्दीन से हुई. इस्लाम खुद को एक बहुत बड़ा तांत्रिक बताता था.
अब चूंकि अपने डाकसाब अक्सर ही समीना के घर जाते थे तो जो मुलाकातें फॉर्मल थीं वो इनफॉर्मल हो गईं. इस्लामुद्दीन और उसके एक साथी ने डॉक्टर को अरबपति बनने के सब्ज़ ख्वाब दिखाने शुरू कर दिये जल्द ही डॉक्टर भी ठगों के जाल में फंस गए. डॉक्टर लईक ने बताया है कि महिला के घर पर दोनों व्यक्ति अक्सर चिराग से जिन्न को प्रकट भी करते थे जोकि कोई और नहीं बल्कि ख़ुद इस्लामुद्दीन था. मामले में दिलचस्प बात ये भी है कि इस्लामुद्दीन कोई और नहीं बल्कि इसी समीना का पति है जिसका इलाज करने वो उसके घर जाता था.
पढ़े लिखे डॉक्टर लईक को किस हद तक तांत्रिकों ने मूर्ख बनाया या ये कहें कि डॉक्टर ने किस बेवकूफी का परिचय दिया? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चिराग से जिन्न को जिस इत्र के जरिये तांत्रिक महोदय निकालते थे उस इत्र के लिए 12 हज़ार रुपए डाकसाब हंसी खुशी इसलिए देते थे क्यों कि उन्हें उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल जिन्न इन्हें मालामाल कर देगा. डाकसाब को चिराग लेना था तो बस लेना था. लेने के लिए उन्होंने तांत्रिकों को पैसे इजी ईएमआई पर दिए और जब उन्होंने पैसे कैलकुलेट किये तो उन्हें पता चला कि जो तोता वो पाल रहे हैं वो कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि 2.5 करोड़ का है.
मामले में सबसे क्लास की बात ये है कि जब कभी भी डॉक्टर लईक, तांत्रिकों से चिराग को अपने घर ले जाने की बात करते तो दोनों तांत्रिक उन्हें यह कहकर डरा देते कि अगर उन्होंने अभी चिराग को हाथ लगाया तो उनके साथ बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी. अब चूंकि आदमी के लिए सबसे अच्छी टीचर उसकी ख़ुद की मूर्खताएं होती हैं इसलिए डॉक्टर को भी धीरे धीरे इस बात का एहसास हुआ कि उसका कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि बहुत बड़ा वाला काटा गया है. डाकसाब पुलिस के पास गए और अब नतीजा हमारे सामने है.
सही कहा है बड़े बुजुर्गों ने आदमी दो रोटी कम खाए मगर ईमानदारी का खाए. डॉक्टर साहब दो के बदले चार रोटी खाने चले थे. पेट भी ख़राब हुआ और जगहंसाई हुई सो अलग. अब अगर इस मामले को देखें तो डाकसाब का नाश इसलिए हुआ क्यों कि उनका विवेक मर गया था. गर जो न मरा होता तो कोई उनका इस बेरहमी से न काट पाता. खैर मामले में अच्छी बात ये रही कि डॉक्टर साहब को जल्द ही एहसास हो गया कि उनके साथ ठगी हो रही वरना वो यही कहते अब पछताये होत क्या जब चिड़ियां चुग गई खेत.
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