GPS के इस्तेमाल से चोरी करने वाले चोर को दंडवत प्रणाम रहेगा!
तकनीक (Technology) ने इंसान को जीवन जीना सिखाया जिसका उद्देश्य चोरी नहीं था मगर अब वो भी. मामला नोएडा (Noida) से है जहां पुलिस के हत्थे एक चोर चढ़ा है जिसने न सिर्फ जीपीएस (GPS) की मदद से गाड़ी को चुराया बल्कि उस गाड़ी को 12 बार olx पर बेचा.
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कोई इंटीलेक्चुअल टाइप आदमी गर जो गंभीर होकर मुझसे सवाल कर ले कि तकनीक क्यों आई ? तो उस कंडीशन में मेरा जवाब शायद आध्यात्मिक हो. लेकिन जब कोई साधारण आदमी मुझसे पूछेगा तो मेरा जवाब बस इतना होगा कि, तकनीक इसलिए आई ताकि इंसान का जीवन सुगम और आरामदायक बन सके. एक ऐसे समय में जब सब तरफ भागमभाग और आपाधापी हो, आरामदायक और सुगम जीवन कोतवाल से लेकर चोर तक सभी को आकर्षित करता है. यहां पर हम बहुत सी चीजों या ये कहें कि बहुत से प्रोफेशन को को-रिलेट कर सकते थे मगर कोतवाल और चोर का उदाहरण इसलिए क्यों कि आगे जो हम बताएंगे बिना इनके अधूरा है. तो मामला नोएडा का है और कुछ यूं है कि नोएडा (Noida) में एक वाहन चोर ने चोरी करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया. चोरी के लिए चोर ने जीपीएस (GPS) की मदद ली और एक ही कार को OLX पर 12 बार बेचा. लेकिन चूंकि अपराध और अपराधी बहुत दिन तक बच नहीं सकते इसलिए चोर को पुलिस ने धर दबोचा और जैसे जैसे पुलिस मामले की गहराई में गयी वैसे वैसे उसके होश फाख्ता होते गए.
नोएडा का वो कार चोर जिसने शायद पुलिस को भी हैरत में डाल दिया
जो जानकारी पुलिस ने दी है उसके अनुसार आरोपी मनोत्तम त्यागी उर्फ मनु कार को बेचने के लिए ओएलएक्स पर विज्ञापन डालता था. इसके बाद वह कार बेच देता था. कार की डुप्लीकेट चाबी अपने पास रख लेता था और कार में जीपीएस लगा देता था. कार बेचने के बाद ही वह जीपीएस और डुप्लीकेट चाबी के माध्यम से कार चुरा लेता था. इसके बाद कार को वो फिर से OLX पर विज्ञापन डालकर कार बेच देता था.
इस तरह से उसने एक ही कार को 12 बार बेचा और चुरा लिया. बताया जा रहा है कि पुलिस के हत्थे चढ़ा ये वाहन चोर अभी बीते अगस्त में ही जमानत पर उत्तराखंड जेल से बाहर आया था. दिलचस्प बात ये है कि वहां भी इसे धोखाधड़ी के मामले में ही जेल में डाला गया था. मनु त्यागी के खिलाफ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कई मुकदमे दर्ज हैं. जिनमें हत्या और डकैती के मामले भी शामिल हैं.
आरोपी पकड़ा न जाता मगर बात वही है कभी कभी ज्यादा होशियारी भी घातक साबित होती है इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. मनु त्यागी के खिलाफ एक अन्य व्यक्ति जीतू यादव ने मामला दर्ज कराया. यादव ने पुलिस को बताया कि दो महीने पहले आरोपी मनु ने 2.70 लाख रुपये में एक स्विफ्ट बेची थी, लेकिन कार उनके नाम ट्रांसफर नहीं की थी. इस दौरान उसने इसी कार को बेचने के लिए ओएलएक्स पर विज्ञापन डाल दिया.
फर्जीवाड़े की आशंका पर उसने सेक्टर-24 कोतवाली में मामला दर्ज कराया. इसके बाद पुलिस हरकत में आई और उसने त्यागी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया. पूछताछ में जो कुछ भी त्यागी ने पुलिस को बताया उसको सुनकर पुलिस की रूह फ़ना हो गई.पुलिस ने त्यागी के पास से फर्जी नंबर प्लेट लगी वैगन आर, दो मोबाइल, फर्जी पैन व आधार कार्ड और 10 हजार रुपये नकद बरामद किये.
इस पूरे मामले में मजेदार वो पक्ष है जिसमें हमने तकनीक की बात की. अमूमन हम और आप जीपीएस का इस्तेमाल अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए करते हैं मगर त्यागी का मामला दूसरा था. भाई हमसे दो हाथ आगे हैं उसने 12 बार इसका ऐसा इस्तेमाल किया है जो अपने में नजीर बन गया है.
बहरहाल अब जबकि पुलिस ने इस टेक्नो फ्रेंडली चोर को गिरफ्तार कर दोबारा जेल भेज दिया है. मामले में अच्छी बात ये रही कि इसने हमें एक बड़ा सबक दिया है. अब जब भी भविष्य में आप पुरानी कार खरीदिये या ओएलएक्स से कुछ भी लेंगे तो उसको पूरी तसल्ली होने तक चेक करेंगे. क्या फायदा लेने के देने पड़ जाएं और हम ये कहें कि खाया पीया तो कुछ नहीं. गिलास तोडा सो अलग.
भइया अपनी सावधानी अपने हाथ है. देखिये कहीं कोई मामू बनाकर त्यागी की तरह नौ दो ग्यारह न हो जाए और हम बस किनारे खड़े होकर बगलें झांकें.
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