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Updated: 23 मार्च, 2021 01:38 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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अंग्रेजी में कहावत है Bird Of Same Feather Flock Together लेकिन इस अवस्था के लिए दोंनो बर्ड्स का साथ होना ज़रूरी है. लेकिन तब क्या जब दोनों कई हज़ार किलोमीटर दूर हों? तो भइया मैटर ये है कि चूंकि दोंनो चिड़ियों के पंख एक जैसे हैं तो जाहिर है कमोबेश दोनों की हरकतें भी सेम ही होंगी. और हां जिन चिड़ियों की बात यहां हो रही हैं उनमें एक हैं त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और दूसरे हैं अभी ताजे ताजे उत्तराखंड की कमान संभालने वाले तीरथ सिंह रावत. रावत का सीएम बनना भर था देश की राजनीति जो बीते कुछ दिन से पीएम मोदी, ममता बनर्जी और पश्चिम बंगाल चुनाव के कारण बोझिल थी रंगीन हो गयी है. देश मे बयानों की बहार है और जिसकी जैसी विचारधारा है उसका वैसा समर्थन और विरोध है. बयानों की बंदरबांट देखकर कहा ये भी जा सकता है कि एक जमाने में कुछ सुर्खियां त्रिपुरा वाले सीएम ने बटोरी थीं और तब जो कमी रह गयी थी उसे अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पूरा कर रहे हैं. कहने और सुनने को बातें कई हैं लेकिन उससे पहले ये ज़रूर जान लीजिए उत्तराखंड सीएम तीरथ सिंह रावत उसी स्कूल से पढ़े हैं जहां के त्रिपुरा सीएम हैं.

Tirath SIngh Rawat, Uttarakhand, Chief Minister, Controversial Statement, Statement, Tripura, Biplab Kumar Debउत्तराखंड के सीएम ने फिर ऐसी बात कह दी है जो कई मायनों में बेतुकी है

मतलब खुद सोचिए जैसे ही तिवेन्द्र सिंह रावत के जाने के बाद तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के सीएम की शपथ ली 'Ripped Jeans Controversy हो गई. यूं तो किसी के कपड़े देखकर किसी के संस्कारों का पता नहीं लगाया जा सकता लेकिन रावत जी ने लगाया है तो कुछ सोच समझ कर ही लगाया है. जींस विवाद पर प्रतिक्रियाएं अभी थमी भी नहीं थीं कि 'तीरथ सर' का वो वाला वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्होंने भगवान राम की बात की त्रेता युग की बात की कलयुग का जिक्र किया और बातों बातों में पीएम मोदी को भगवान का दर्जा तो दिया साथ ही ये भी कह दिया कि कुछ सालों बाद पीएम मोदी भगवान राम की ही तरह पूजे जाएंगे.

गर जो भविष्य में पीएम मोदी कभी पूजे गए तो इसकी वजह उनके कर्म होंगे लेकिन जैसे कर्म एक मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत के हैं हमें डाउट है भविष्य में कोई उनका जिक्र भी करेगा. नहीं हमें तीरथ सिंह रावत से कोई दुश्मनी नहीं है और न ही वो हमारी गाय या भैंस खोलकर भागे हैं बात है उनका चौतरफा चुना हुआ (चौतरफा इसलिए क्योंकि उन्हें जनता ने तो चुना ही साथ ही साथ संघ और भाजपा ने भी चुना) होना.

अब 'चुने' गए हैं तो लाजमी है कि जनता की समस्याओं का भी निदान करेंगे मगर तब क्या जब वो समस्या का निवारण करने के बजाए उसे ही ज्ञान देने लग जाएं. असल में हुआ ये है कि तीरथ सिंह रावत ने राशन वितरण को लेकर एक बहुत ही अजीब ओ गरीब बात की है और कहा है कि जिसने 2 पैदा किए उसको 10 किलो राशन मिला, जिसने 20 पैदा किए उसको क्विंटल मिला, अब इसमें दोष किसका, 2 ही पैदा किए तो इसमें कुसूर किसका?

यहां तक तो फिर भी ठीक है जिस बात ने सुर्खियां बटोरीं वो है उनका ये कहना कि जब समय था तो आपने 2 (बच्चे) ही पैदा किए. 20 क्यों नहीं पैदा किए? तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कोरोना संकट के हमने चावल बांटे, जिसके 2 बच्चे थे उसको 10 किलो, जिसके 10 बच्चे थे उसको 50 किलो, लोगों ने ढेर लगा लिया. ऐसा चावल दिया कि लोगों ने खाया नहीं होगा. लोगों ने स्टोर बना लिए और खरीददार ढूंढ लिए. इतना बढ़िया चावल की आज तक खुद खरीदे नहीं होंगे.

तीरथ सिंह रावत ने डंके की चोट पर इस बात को भी स्वीकार किया कि हर घर में पर यूनिट 5 किलो राशन दिया गया. 10 थे तो 50 किलो, 20 थे तो क्विंटल राशन दिया. फिर भी जलन होने लगी कि 2 वालों को 10 किलो और 20 वालों को क्विंटल मिला. इसमें जलन कैसी? जब समय था तो आपने 2 ही पैदा किए 20 क्यों नहीं पैदा किए.

भारत जैसे लोकतंत्र में सवाल पूछना अच्छी बात है. सवाल पूछने से न केवल लोकतंत्र मजबूत होता है. बल्कि ये भी पता चलता है कि भारत सिर्फ कागजों पर ही संविधान पर नहीं चलता. लेकिन सवाल ये है कि तब क्या जब नेता ही सवाल पूछने लगे और ये कह दे कि राशन तो तब ही मिलेगा जब 20 बच्चे होंगे. यकीन मानिए ये डेमोक्रेसी की हत्या है. मामले में सबसे ज्यादा जो बात दुख दे रही है वो ये कि इस तरह की हत्या हर रोज़ हो रही है और इसे और कोई नहीं बल्कि सत्ता पक्ष और उसके वो नुमाइंदे अंजाम दे रहे हैं.

हां वही नुमाइंदे जो चुने गए हैं जिनको हमने तसल्लीबख्श तरीके से चुना है और जिन्हें चुनते वक़्त हमारी ईवीएम हैक भी नहीं हुई थी. हमने शुरुआत में ही त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब का भी जिक्र किया था तो ये बताना हमारा नैतिक दायित्व हो जाता है कि 9 मार्च 2018 को जब बिप्लब कुमार देब वाम का किला ध्वस्त करके त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आए तो देश को यकीन था कि एक लंबे समय बाद त्रिपुरा में परिवर्तन की बयार देखने को मिलेगी. विकास होगा.

Tirath SIngh Rawat, Uttarakhand, Chief Minister, Controversial Statement, Statement, Tripura, Biplab Kumar Debदेश में जब जब बेतुके बयानों का जिक्र होगा तब तब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब का जिक्र होगा

मगर एक बार जब बिप्लब देब ने बयान देना शुरू किया तो त्रिपुरा के लोगों की आंखें खुली और उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि जाने अनजाने क्या और कितना बड़ा ब्लंडर उन लोगों ने कर दिया है. 9 मार्च 2018 से लेकर इस 2021 तक बिप्लब कुमार देब ने जिस हिसाब से बयान दिए हैं करने को तो किया ये भी जा सकता है कि कोई उपन्यास तैयार कर लिया जाए.

लेकिन बड़े बुजुर्गों ने यही कहा है कि मूर्खता की आंच को ज्यादा हवा नहीं देनी चाहिए इसलिए हम भी बस यही कामना करते हुए बिप्लब कुमार देब को उनके हाल पर छोड़ेंगे कि कुर्सी भले ही नरेंद्र मोदी की बदौलत भाग्य से मिली हो मगर सद्बुद्धि उन्हें तब ही मिलेगी जब वो खुद बैठकर अपना आत्मसात करेंगे और खुद इस नतीजे पर पहुचेंगे कि जाने अंजाने क्या ब्लंडर उनसे हुआ है.

ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी की खान में पहले बिप्लब कुमार देब और अब तीरथ सिंह रावत के रूप में दो ही हीरे हैं. पीएम मोदी का अपना दामन हिलाने भर की देर है ऐसे तमाम नायाब रत्न गिरेंगे जिन्हें देखकर मूर्खता भी शर्मसार हो जाए और अपना मुंह छिपा ले. बात पीएम मोदी के कोहिनूरों की हुई है तो चाहे वो बेगुसराय से सांसद गिरिराज सिंह हो या फिर भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा, साक्षी महाराज.

ये तमाम लोग मौके बेमौके ऐसी तमाम बातें कर चुके हैं जिनको देखकर ये कहना भी अतिशयोक्ति नहीं है कि एक ऐसे समय में जब मूर्खता, सफलता जांचने का पैमाना हो, कड़ाई से ज्यादा चम्मच गर्म हैं.

बहरहाल जैसे हालात हैं चूंकि पूर्व में हम एक मुख्यमंत्री के रूप में बिप्लब कुमार देब की बतकही सुन चुके हैं. हमें तीरथ सिंह रावत को सुनकर हैरत में इसलिए भी नहीं आना चाहिए क्योंकि Black is the new white. अंत में हम बस मशहूर शायर 'शौक़ बहराइची' के उस शेर से अपनी बातों को विराम देंगे जिसमें शायर ने कहा था कि

बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था,

हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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