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Updated: 29 दिसम्बर, 2022 04:13 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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अव्वल तो ये गुनाह ही है कि यदि आप जो खाने रेस्त्रां गए हों, आपको वह न परोसकर कुछ और दे दिया जाए. लेकिन, फिर ये सवाल भी उठेगा कि जो आप खाने गए हैं, उसे खाने की जरूरत ही क्या है? वेज बिरयानी को लेकर इंदौर के रेस्त्रां में हुआ हल्ला कई मायनों में दिलचस्प है. खाने वाले शिकायत दर्ज कराई है कि उसकी वेज बिरयानी में हड्डी निकली है. खाने को तो कुछ भी खाया जा सकता है कि लेकिन वेज बिरयानी को तर्कों की कसौटी पर कसें तो इससे ज्यादा कन्फ्यूज डिश कोई नहीं है.

खैर. इंदौर के अल्बा बिस्ट्रो रेस्टोरेंट संचालक पर केस दर्ज हुआ है. कारण हैं धार्मिक भावनाएं. हुआ कुछ यूं कि एक ग्राहक रेस्टुरेंट आया और उसने 'वेज बिरयानी' की डिमांड की. ग्राहक को बिरयानी दी गयी लेकिन ये क्या उसमें तो हड्डी... ग्राहक शुद्ध शाकाहारी था चावलों और सब्जियों के बीच छिपी हड्डियां देखकर उसकी हालत काटो तो खून नहीं वाली थी. बेचारा गया होगा होटल मैनेजमेंट के पास. की होगी शिकायत. लेकिन जैसा कि होता आया है, हमें पूरा यकीन है यहां भी होटल वाले ने सॉरी सर कहकर मामला टरकाने की कोशिश की होगी. कुछ लोग होते हैं जो किसी की सॉरी से पिघल जाते हैं. वहीं दुनिया में कुछ 'सख्त' भाई भी हैं जो नहीं मानते. होटल में 'वेज बिरयानी' जैसा धोखा खाने गया नौजवान भी शायद उसी कैटेगरी का रहा होगा. नहीं माना और जब बात बढ़ गयी तो थाने चला गया और थाने वाले भी ऐसे जिन्होंने मैटर को बहुत सीरियसली लिया और केस दर्ज कर लिया...

Biryani, Indore, Madhya Pradesh, Case, Vegetarian, Non Vegetarian, Non Veg, Satireलोग कुछ कह लें लेकिन उन्हें समझना होगा कि दुनिया में वेज बिरयानी नाम का कोई कॉन्सेप्ट है ही नहीं

तो भइया जो होना था हो चुका. यूं भी होनी को नहीं टाला जा सकता. ग्राहक के भाग्य में हड्डियां और रेस्टुरेंट की किस्मत में केस लिखा होगा. उन्हें मिल गया लेकिन जिस बात पर बात होनी चाहिए. वो है बिरयानी. हमारा मतलब है 'वेज बिरयानी' पहली बात तो ये है कि कोई कुछ कह ले लेकिन लोगों को इस बात को समझना होगा कि घी या रिफाइंड पड़े चावल में सब्जियां,करी पत्ता, हरी धनिया डाल देने से तहरी या खिचड़ी नुमा चीज बिरयानी नहीं हो जाती. नहीं हो सकती.

दूसरी बात ये कि भले ही 'बिरयानी के चावल' ये तीन शब्द इस दुनिया का सबसे सहिष्णु और सेक्युलर शब्द हों. लेकिन उनके साथ सब्जी मिलकर उन्हें वेज बिरयानी का नाम दे देना सिर्फ गुनाह नहीं, गुनाह ए अजीम है. जिसकी बख़्शिश न तो स्वर्ग में है और न ही नरक में.

हो सकता है वेज वालों को वेज बिरयानी के मद्देनजर कही गयी ये बातें बुरी लग जाएं, हो सकता है वो आहत हो जाएं. हमें भला बुरा कहें और मुंह फुला लें लेकिन सच में सेंट्रल एशिया की वादियों से घूमते घूमते हिंदुस्तान और यहां भी इंदौर पहुंची बिरयानी के खोजकर्ता ने शायद ही कभी सोचा होगा कि दुनिया में कोई ऐसा भी होगा जो बिरयानी के गोश्त को सब्जियों से रिप्लेस कर देगा.

चावल में सब्जी डालकर उसकी ऐसी तैसी करने वाले सबसे पहले तो ये जान लें कि वो जो खा रहे हैं वो तहरी है. अब हमारा एक छोटा सा सवाल है. सवाल ये कि आखिर तहरी के लिए किसी रेस्टुरेंट, किसी ईटिंग जॉइंट, किसी फ़ूड कोर्ट में जाने की क्या ही जरूरत. आदमी यूट्यूब का रुख कर ले. भतेरे शेफ हैं भतेरी रेसिपी हैं उनकी. समय के लिहाज से देखा जाए तो बमुश्किल आधे पौन घंटे का कुल प्रोसेस है, बन जाएगा घर पर.

तो भैया सीधी सी बात है. जो चीज घर पर तैयार हो रही है. या हो सकती है और बड़ी ही आसानी से हो सकती है. बाजार में अगर उसकी डिमांड की जाए तो ब्लंडर होगा और उसके अंदर हड्डियां निकलेंगी. फिर विवाद होगा. बात पहले सॉरी पर आएगी फिर विवाद और बढ़ेगा और थाना पुलिस कोर्ट कचहरी होगा.

हम इस मामले में दोष न तो होटल को देंगे। न ही हम ग्राहक और उसकी 'वेज बिरयानी' वाली डिमांड को लेकर किसी तरह की कोई राय बनाएंगे. हां लेकिन हम इतना जरूर कहेंगे कि भविष्य में जब कभी भी इतिहास लिखा जाएगा और बिरयानी का जिक्र होगा तो उसके लिए ये वाजिब रहेगा कि बिरयानी वही चीज कहलाएगी जिसमें मीट हो. वो लोग जो बिरयानी में सब्जी की वकालत करेंगे उनसे तब शायद साफ़ कह दिया जाए कि जिसका आप जिक्र कर रहे हैं वो खिचड़ी हो सकती है, तहरी हो सकती है, यहां तक की फ्राइड राइस हो सकता है लेकिन बिरयानी नहीं है.

जिस तरह फ्यूजन के नाम पर लोग आजकल मोमो का आइस क्रीम रोल बना रहे हैं. उसी तर्ज पर किसी ने बिरयानी से बोटी हटाकर उसमें सब्जियों को तल कर डाला होगा और फिर एक वक़्त वो आया होगा जब ये ट्रेंड बन गया. अंत में हम बस ये कहकर अपनीओ बात को विराम देंगे कि

दुनिया जानती है, मछली जल की रानी है,

जिसमें हो गाजर, मटर, सोयाबीन,और वो आखिर कैसे बिरयानी है?

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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