सिनेमा अगर वाक़ई क्राफ्ट है तो इसके लिए यदि कोई अपना सौ प्रतिशत दे रहा है तो वो है साउथ का सिनेमा. एक ऐसे वक़्त में जब बॉलीवुड फर्जी एक्शन, सस्ते प्यार, रोमांस के नाम पर अश्लीलता से ऊपर नहीं उठ पा रहा हो. साउथ में ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जो न केवल रचनात्मकता की पराकाष्ठा है. बल्कि जो इस बता की भी तस्दीख कर देता है कि साउथ के क्रिएटिव इंडेक्स को पार करने में अभी बॉलीवुड को लम्बा समय लगेगा. ये बातें यूं ही नहीं हैं, जब हम रक्षित शेट्टी की हालिया रिलीज फिल्म 777 Charlie का रुख कर सकते हैं. कुत्ते और इंसान के बीच का बॉन्ड जिस तरह इस फिल्म में दिखाया गया है दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या ऐसा हो सकता है? 10 जून को रिलीज हुई 777 Charlie को बड़ा ऑडियंस बेस मिले इसलिए फिल्म को कन्नड़ के साथ साथ हिंदी, तमिल, तेलुगू और मलयालम में रिलीज किया गया है. फिल्म का कांसेप्ट दर्शकों को पसंद आया है इसलिए चाहे वो रक्षित शेट्टी और डॉग हों या फिर फिल्म की बाकी की कास्ट सबके काम को जमकर सराहा जा रहा है. फिल्म सिर्फ डॉग लवर्स और एंटरटेनमेंट तक सीमित नहीं है, इसके जरिये एक जरूरी मैसेज 'Adopt. Don't Shop' दिया गया है.
भले ही फिल्म ने एक अनछुए पहलू को छुआ हो लेकिन इंसान और जानवरों के रिश्तों को दर्शाती फ़िल्में बॉलीवुड के लिए नयी नहीं हैं. चाहे वो जैकी श्रॉफ स्टारर तेरी मेहरबानियां हो या फिर राजेश खन्ना की हाथी मेरे साथी इंसान जब जब जानवर के साथ पर्दे पर दिखा सिर्फ धमाल ही हुआ. इस बात को समझने के लिए हम रेखा की फिल्म खून भरी मांग से लेकर गोविंदा और चंकी पांडे की फिल्म आंखें तक तमाम फिल्मों का रुख कर सकते हैं.
क्योंकि रक्षित की भी फिल्म कुत्तों पर है....
सिनेमा अगर वाक़ई क्राफ्ट है तो इसके लिए यदि कोई अपना सौ प्रतिशत दे रहा है तो वो है साउथ का सिनेमा. एक ऐसे वक़्त में जब बॉलीवुड फर्जी एक्शन, सस्ते प्यार, रोमांस के नाम पर अश्लीलता से ऊपर नहीं उठ पा रहा हो. साउथ में ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जो न केवल रचनात्मकता की पराकाष्ठा है. बल्कि जो इस बता की भी तस्दीख कर देता है कि साउथ के क्रिएटिव इंडेक्स को पार करने में अभी बॉलीवुड को लम्बा समय लगेगा. ये बातें यूं ही नहीं हैं, जब हम रक्षित शेट्टी की हालिया रिलीज फिल्म 777 Charlie का रुख कर सकते हैं. कुत्ते और इंसान के बीच का बॉन्ड जिस तरह इस फिल्म में दिखाया गया है दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या ऐसा हो सकता है? 10 जून को रिलीज हुई 777 Charlie को बड़ा ऑडियंस बेस मिले इसलिए फिल्म को कन्नड़ के साथ साथ हिंदी, तमिल, तेलुगू और मलयालम में रिलीज किया गया है. फिल्म का कांसेप्ट दर्शकों को पसंद आया है इसलिए चाहे वो रक्षित शेट्टी और डॉग हों या फिर फिल्म की बाकी की कास्ट सबके काम को जमकर सराहा जा रहा है. फिल्म सिर्फ डॉग लवर्स और एंटरटेनमेंट तक सीमित नहीं है, इसके जरिये एक जरूरी मैसेज 'Adopt. Don't Shop' दिया गया है.
भले ही फिल्म ने एक अनछुए पहलू को छुआ हो लेकिन इंसान और जानवरों के रिश्तों को दर्शाती फ़िल्में बॉलीवुड के लिए नयी नहीं हैं. चाहे वो जैकी श्रॉफ स्टारर तेरी मेहरबानियां हो या फिर राजेश खन्ना की हाथी मेरे साथी इंसान जब जब जानवर के साथ पर्दे पर दिखा सिर्फ धमाल ही हुआ. इस बात को समझने के लिए हम रेखा की फिल्म खून भरी मांग से लेकर गोविंदा और चंकी पांडे की फिल्म आंखें तक तमाम फिल्मों का रुख कर सकते हैं.
क्योंकि रक्षित की भी फिल्म कुत्तों पर है. हो सकता है कि सवाल हो कि आखिर इसमें अलग क्या है? जवाब हम ऊपर ही दे चुके हैं. रक्षित ने अपनी इस फिल्म के जरिये एडॉप्शन को प्रोत्साहित किया है और बताया है कि अगर व्यक्ति कुत्ता पाल ही रहा है तो बेहतर ये है कि वो उसे खरीदे नहीं.
क्या है फिल्म की कहानी!
777 चार्ली इंसान और कुत्ते के बीच के बॉन्ड को दर्शाती है. जिक्र अगर फिल्म की कहानी का हो तो फिल्म की कहानी महाभारत के युधिष्ठिर और उनके साथ स्वर्ग गए एक कुत्ते से प्रेरित है. जैसा कि ज्ञात है महाभारत में धर्मराज अपने साथ कुत्ते को भी स्वर्ग ले गए थे, वैसा ही कुछ कुछ हमें इस फिल्म में भी देखने को मिल रहा है.
कहानी में रक्षित का नाम भी धर्म है और कुत्ता उन्हें एहसास दिलाता है कि अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए लोनर बनना. या ये कहें कि एकांत में रहना तो बहुत आसान है. लेकिन बात तो तब है जब व्यक्ति ऐसे किसी के साथ रहता है जिससे वो अपने सारे दुःख और सुखों को बांट सके.
फिल्म में कई ऐसे मूमेंट्स हैं जिन्हें देखकर आप शायद ही अपनी हंसी रोक पाएं वहीं फिल्म में दर्शकों को ऐसे दृश्य भी खूब दिखेंगे जिन्हें देखकर उनकी आंखें नम हो जाएंगी. फिल्म देखने के बाद आप रक्षित और उनके काम की ताऱीफ करते नहीं थकेंगे.
यूं तो फिल्म डॉग लवर्स को ध्यान में रखकर बनाई गयी है लेकिन बावजूद इसके वो शख्स जिसे कुत्ते नहीं पसंद हैं या फिर जिन्हें कुत्तों से कोई मोह/ लगाव नहीं है वो भी फिल्म देख सकते हैं और शायद यही 777 चार्ली की यूएसपी है. बतौर दर्शक हम फिल्म को लंबा कह सकते हैं लेकिन हमारा ये भी दावा है कि इस फिल्म में ऐसा बहुत कुछ है जिसके बाद आप बोर नहीं होंगे.
कैसा है निर्देशन और सिनेमेटोग्राफी / एडिटिंग
777 चार्ली को किरनराज ने लिखा भी है और निर्देशित भी किया है इसलिए चाहे वो फिल्म की स्टोरी हो या फिर डायरेक्शन बतौर निर्देशक किरनराज बधाई के पात्र हैं. निर्देशन के बाद जब हम फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग पर नजर डालते हैं तो जो पहला ख्याल हमारे दिमाग में आता है वो है वाह! शानदार, जबरदस्त, ज़िंदाबाद. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कमाल की है.
साथ ही जब हम फिल्म की एडिटिंग पर नजर डालें तो वहां एडिटिंग टेबल पर हमें अनुभवी लोग दिखते हैं जिन्होंने फिल्म और उसके ट्रीटमेंट से कोई छेड़छाड़ नहीं की है और एडिटिंग के लिहाज से इस फिल्म को टाइम दिया है. फिल्म में शायद ही कोई ऐसा सीन हो जिसके बाद सवाल ये उठे कि यहदि ये सीन फिल्म में है तो क्यों है?
क्या कह रही है जनता
अपनी तरह की अलग फिल्म 777 चार्ली को लेकर फैंस भी खासे उत्साहित हैं. सोशल मीडिया पर लोग रक्षित की शान में जमकर कसीदे पढ़ रहे हैं. वहीं जैसा काम फिल्म में कुत्ते ने किया है लोगो ने हैरत में आकर दांतों तले अंगुली दबा ली है.
सोशल मीडिया पर ऐसे भी लोग है जो कह रहे हैं कि 777 चार्ली फिल्म नहीं बल्कि एक इमोशन है. जिसकी कहानी से लेकर निर्देशन तक सब कुछ अपने आप में बेहतरीन है.
ट्विटर पर फिल्म को लेकर ऐसी प्रतिक्रियाएं भी हैं जिनमें कहा जा रहा है कि ये एक ऐसी फिल्म है जिससे इंसान अपनी सेल्फ डिस्कवरी कर सकता है.
लोग ये भी कह रहे हैं कि अगर आप पेट लवर उसमें भी डॉग लवर हैं तो ये फिल्म आपको हर हाल में देखनी चाहिए.
चाहे ट्विटर हो या फेसबुक लोगों का 777 चार्ली को मास्टर पीस बताना इस बात की पुष्टि कर देता है कि जिस कांसेप्ट और मैसेज के तहत फिल्म बनाई गयी थी वो मकसद कामयाब हुआ.
बात क्योंकि फिल्म की चल रही है तो जाते जाते हमारे लिए भी ये बता देना जरूरी हो जाता है कि रक्षित शेट्टी की इस फिल्म ने कर्नाटक के सीएम के बसवराज बोम्मई की भी आंखों को नम कर दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि बोम्मई खुद डॉग लवर हैं जिनके कुत्ते की मौत अभी पिछले साल ही हुई थी.
माना जा रहा है कि फिल्म देखते हुए बोम्मई को अपने कुत्ते की याद आ गयी जिसके चलते वो रोने लगे. फिल्म देखकर भावुक हुए बोम्मई ने कहा है कि ये एक ऐसी फिल्म है जिसमें कुत्ते के बारे में दिखाया गया है, लेकिन ये फिल्म इंसान और जानवरों के बीच में तालमेल भी दिखाती है.
वाक़ई फिल्म बेहतरीन है और इसमें तमाम ऐसे फैक्टर्स हैं जिनके चलते इसे ऑस्कर में एंट्री देनी चाहिए. फिल्म ने ऑस्कर जीता तो बहुत अच्छी बात वरना इतना तो तय है कि इस फिल्म या इस फिल्म में की गयी एक्टिंग के लिए रक्षित को नेशनल अवार्ड मिल ही जाएगा.
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