कबीर खान के निर्देशन में बनी रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म '83' बॉक्स ऑफिस पर बेअसर साबित हुई है. इतना ही नहीं फिल्म दर्शकों और समीक्षकों द्वारा बेहतरीन समीक्षा मिलने के बावजूद बहुत ज्यादा करामात नहीं दिखा पा रही है. फिल्म का धीमा कलेक्शन इसके मेकर्स को हतोत्साहित करने वाला है. क्योंकि फिल्म के बजट के मुकाबले अभी तक का कलेक्शन बहुत ही कम है. फिल्म का बजट 270 करोड़ रुपए है, जबकि 10वें दिन इसकी कमाई करीब 83 करोड़ रुपए ही बताई जा रही है. इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन दिन-प्रति-दिन लगातार कम होता जा रहा है. वहीं इसके मुकाबले साउथ सिनेमा के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा' ने महज 10 दिन में 200 करोड़ रुपए की कमाई करके रिकॉर्ड कायम कर दिया है. उसका कलेक्शन रिलीज के 15 दिन बाद भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है.
यदि इस स्पोर्ट्स-ड्रामा फिल्म '83' के दिन प्रति दिन कलेक्शन पर नजर डाले तो, फिल्म ने अपने ओपनिंग डे 24 दिसंबर यानी शुक्रवार को 12.64 करोड़ रुपए (हिंदी- 12.13 करोड़, कन्नड- 1 लाख, तमिल- 37 लाख, मलयालम- 1 लाख और तेलुगू 12 लाख), शनिवार को 16.95 करोड़ रुपए (हिंदी- 16.27 करोड़, तमिल- 45 लाख और तेलुगू 13 लाख), रविवार को 17.41 करोड़ रुपए (हिंदी- 16.90 करोड़, तमिल- 45 लाख और तेलुगू 6 लाख) का कलेक्शन हुआ है. इस तरह फिल्म ने पहले वीकेंड पर 47 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया है. बीते 9 दिनों में इसका कलेक्शन करीब 83 करोड़ रुपए हुआ है. पैन इंडिया रिलीज इस फिल्म को साउथ बॉक्स ऑफिस से बहुत ज्यादा फायदा मिलता नहीं दिख रहा है. क्योंकि तमिल, तेलुगू, कन्नड और मलयालम बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का कलेक्शन दो करोड़ रुपए भी नहीं हो पाया है.
फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर असफलता की 5 बड़ी वजहें...
1. 'पुष्पा' और 'स्पाइडरमैन' की...
कबीर खान के निर्देशन में बनी रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म '83' बॉक्स ऑफिस पर बेअसर साबित हुई है. इतना ही नहीं फिल्म दर्शकों और समीक्षकों द्वारा बेहतरीन समीक्षा मिलने के बावजूद बहुत ज्यादा करामात नहीं दिखा पा रही है. फिल्म का धीमा कलेक्शन इसके मेकर्स को हतोत्साहित करने वाला है. क्योंकि फिल्म के बजट के मुकाबले अभी तक का कलेक्शन बहुत ही कम है. फिल्म का बजट 270 करोड़ रुपए है, जबकि 10वें दिन इसकी कमाई करीब 83 करोड़ रुपए ही बताई जा रही है. इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन दिन-प्रति-दिन लगातार कम होता जा रहा है. वहीं इसके मुकाबले साउथ सिनेमा के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा' ने महज 10 दिन में 200 करोड़ रुपए की कमाई करके रिकॉर्ड कायम कर दिया है. उसका कलेक्शन रिलीज के 15 दिन बाद भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है.
यदि इस स्पोर्ट्स-ड्रामा फिल्म '83' के दिन प्रति दिन कलेक्शन पर नजर डाले तो, फिल्म ने अपने ओपनिंग डे 24 दिसंबर यानी शुक्रवार को 12.64 करोड़ रुपए (हिंदी- 12.13 करोड़, कन्नड- 1 लाख, तमिल- 37 लाख, मलयालम- 1 लाख और तेलुगू 12 लाख), शनिवार को 16.95 करोड़ रुपए (हिंदी- 16.27 करोड़, तमिल- 45 लाख और तेलुगू 13 लाख), रविवार को 17.41 करोड़ रुपए (हिंदी- 16.90 करोड़, तमिल- 45 लाख और तेलुगू 6 लाख) का कलेक्शन हुआ है. इस तरह फिल्म ने पहले वीकेंड पर 47 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया है. बीते 9 दिनों में इसका कलेक्शन करीब 83 करोड़ रुपए हुआ है. पैन इंडिया रिलीज इस फिल्म को साउथ बॉक्स ऑफिस से बहुत ज्यादा फायदा मिलता नहीं दिख रहा है. क्योंकि तमिल, तेलुगू, कन्नड और मलयालम बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का कलेक्शन दो करोड़ रुपए भी नहीं हो पाया है.
फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर असफलता की 5 बड़ी वजहें...
1. 'पुष्पा' और 'स्पाइडरमैन' की सुनामी
17 दिसंबर को रिलीज हुई साउथ सिनेमा की पैन इंडिया फिल्म 'पुष्पा: द राइज' और 16 दिसंबर को रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म 'स्पाइडरमैन: नो वे होम' की कमाई की सुनामी के बीच बॉक्स ऑफिस पर कलेक्शन के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए हैं. इन दोनों फिल्मों को जिस तरह से दर्शकों का प्यार मिला, उसने कोरोना प्रोटोकाल के बीच एक नया मुकाम हासिल किया है. महाराष्ट्र में 50 फीसदी क्षमता के साथ सिनेमाघरों के खुलने और देशभर में तमाम पाबंदियों के बीच जिस तरह इन दोनों फिल्मों ने कमाई की है, उसने फिल्म मेकर्स को बहुत बड़ा हौसला दिया. लेकिन 24 दिसंबर को पैन इंडिया स्तर पर रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म '83' का ओपनिंग डे कलेक्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं हुआ. इस फिल्म को क्रिसमिस हॉलीडे और वीकेंड का भी कोई फायदा नहीं हुआ. फिल्म ने पहले वीकेंड 50 करोड़ रुपए से भी कम की कमाई किया, जिसकी सबसे बड़ी वजह 'पुष्पा' और 'स्पाइडरमैन' को माना जा रहा है. क्योंकि फिल्म '83' की अपेक्षा दर्शकों ने इन दोनों फिल्मों को ज्यादा प्राथमिकता दिया है.
2. कोरोना महामारी की पाबंदियां
इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिल्म '83' के निर्माण में इसके मेकर्स ने बहुत मेहनत की है. इसे रीयल लोकेशन पर शूट किया गया है. शूटिंग से पहले साल 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया के प्लेयर्स का किरदार निभाने से पहले फिल्म के कलाकारों ने मैदान में जमकर पसीना बहाया था. ताकि वो लीजेंड क्रिकेटर्स के बॉडी लैंग्वेज को हूबहू कॉपी कर सकें. इस वजह से फिल्म के मेकर्स इसकी सफलता को लेकर निश्चिंत थे. लेकिन कोरोना के चलते एक बार फिर से लोगों में डर का माहौल बन गया है. सरकार और प्रशासन की तरफ से भी पाबंदियां लगना शुरु हो गई हैं. पहले से ही महाराष्ट्र में सिनेमाघर बस 50 फीसदी क्षमता के साथ खुले हैं. वहीं अब दिल्ली में सिनेमाघर बंद कर दिए गए हैं. दर्शकों ने सिनेमा घरों की तरफ रुख करना भी कम कर दिया है. इसका खामियाजा फिल्म '83' को भुगतना पड़ रहा है.
3. बॉलीवुड के खिलाफ नेगेटिविटी
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद बॉलीवुड के खिलाफ बहुत सारे लोगों की राय नकारात्मक हो चुकी है. आरोप है कि बॉलीवुड में कुछ मठाधीश नेपोटिज्म की वजह से अपने खास सितारों को ही तवज्जो देते हैं. बाहर से आने वाली प्रतिभाओं का दमन कर देते हैं. रणवीर सिंह को करण जौहर गैंग का माना जाता है. वो भी फिल्म फर्टिनिटी से ही संबंध रखते हैं. दूसरी तरफ एनसीबी जांच में सामने आए बॉलीवुड ड्रग्स केस में दीपिका पादुकोण का नाम आया था. इसकी वजह से भी उनके खिलाफ कई लोग नाराज हैं. सोशल मीडिया पर तो बॉलीवुड को नेशड़ियों का गैंग तक कहा जाता है. यही वजह है कि फिल्म '83' में रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण का होना उसकी कमाई में बाधक बन गया है. कुछ लोग उनकी वजह से फिल्म का बायकॉट कर रहे हैं. उसकी जगह साउथ सिनेमा और हॉलीवुड को तवज्जों दे रहे हैं.
4. अनुमान से अधिक फिल्म का बजट
ऐसा कई बार होता है कि किसी अच्छी फिल्म का अनुमान से अधिक बजट उसकी सफलता में सबसे बड़ी बाधक बना जाता है. जो फिल्म 83 के साथ हुआ है. इस फिल्म का शुरूआती बजट करीब 200 करोड़ रुपए था, जो बाद में 220 करोड़ तक पहुंच गया. फिल्म पिछले दो साल से बनकर तैयार है, लेकिन कोरोना की वजह से थियेटर में रिलीज नहीं हो पा रही थी. ऐसे में फिल्म का बजट रखे हुए लगातार बढ़ता गया. क्योंकि बैंक लोन पर लगने वाला ब्याज बजट में जुड़ता गया. यदि इस फिल्म को कम बजट में बनाया गया होता, तो बॉक्स ऑफिस कलेक्शन, म्युजिक और डिजिटल-सेटेलाइट राइट्स को मिलाकर फिल्म की लागत निकालना आसान हो जाता. हालही में सुनने आया है कि इस रणवीर सिंह ने अपनी फीस में कटौती करके इस गैप को पाटने की कोशिश की है.
5. अत्यधिक टिकट मूल्य निर्धारण
किसी भी फिल्म के टिकट मूल्य का निर्धारण देश, काल और परिस्थिति को देखकर किया जाता रहा है. हैरानी की बात है कि पुष्पा जैसी हिंदी में डब की गई तेलुगु फिल्म के लिए अभी भी सिंगल स्क्रीन और लो-एंड मल्टीप्लेक्सों की दर्शकों की भीड़ लग रही है. वहीं, महानगरों में विशेष रूप से हाई-एंड मल्टीप्लेक्स में स्पाइडरमैन: नो वे होम जैसी फिल्म का बोलबाला है. लोग कम पैसे खर्च करके पुष्पा देख रहे हैं, तो ज्यादा पैसे खर्च करके स्पाइडरमैन को देख रहे हैं. इनके बीच फिल्म 83 का टिकट मूल्य उसके लिए संकट पैदा कर रहा है. इस फिल्म को सिंगल स्क्रीन में देखने के लिए 300 रुपए तो हाई-एंड मल्टीप्लेक्स में देखने के लिए 1000 रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है. ऐसे में लोग 83 देखने की बजाए राजामौली की फिल्म आरआरआर का इंतजार करना पसंद कर रहे हैं.
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