अपने देश में जेल ब्रेक की घटनाएं बहुत आम हैं. संगीन अपराधों के तहत जेल में बंद तमाम कैदी जेल की दीवारे पार करके भागने में सफल हो जाते हैं. 16 दिसंबर 2007 को तो छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जेल ब्रेक की बहुत बड़ी घटना हुई थी. उस वक्त जेल से 299 कैदी भाग निकले थे, जिसमें से 68 हार्डकोर नक्सली थे. जेल ब्रेक की ऐसी ही कुछ घटनाओं से मिलती-जुलती कहानी पर आधारित एक वेब सीरीज '9 ऑवर्स' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. जैकब वर्गीज और निरंजन कौशिकी के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज की काल्पनिक कहानी मल्लादी वेंकट कृष्ण मूर्ति के तेलुगू उपन्यास 'टोमिडी गैंटालु' पर आधारित है. इसमें तारकरत्ना, अजय, विनोद कुमार, मधु शालिनी, रवि वर्मा और प्रीति असरानी जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं.
वेब सीरीज '9 ऑवर्स' को देसी 'मनी हाइस्ट' के तौर पर देखा जा सकता है. 'मनी हाइस्ट' नेटफ्लिक्स की बेहद चर्चित वेब सीरीज है, जिसमें एक प्रोफेसर के नेतृत्व में एक गैंग बहुत बड़ी बैंक डकैती को अंजाम देता है. डकैती की योजना बनाने से लेकर उसे अंजाम देने तक की प्रक्रिया के दौरान जो प्यार, बदला, नफरत, गाली, वासना, हिंसा और खून दिखता है, वही वेब सीरीज को रोचक बनाता है. ऐसा ही कुछ '9 ऑवर्स' में भी देखने को मिलता है. इसमें भी जेल ब्रेक से लेकर डकैती करने और उसके बाद पैसों की बंदरबांट की कहानी को बेहतरीन तरीके से पिरोया गया है, जो कि दिलचस्पी जगाता है. यही वजह है कि एपिसोड दर एपिसोड रोमांच बनने रहने की वजह से देखते चले जाते हैं. बस एक चीज खटकती है. वो ये है कि सीरीज के एपिसोड की लंबाई बहुत ज्यादा है.
फिल्म की कहानी के केंद्र में बैंक डकैती की घटना है....
अपने देश में जेल ब्रेक की घटनाएं बहुत आम हैं. संगीन अपराधों के तहत जेल में बंद तमाम कैदी जेल की दीवारे पार करके भागने में सफल हो जाते हैं. 16 दिसंबर 2007 को तो छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जेल ब्रेक की बहुत बड़ी घटना हुई थी. उस वक्त जेल से 299 कैदी भाग निकले थे, जिसमें से 68 हार्डकोर नक्सली थे. जेल ब्रेक की ऐसी ही कुछ घटनाओं से मिलती-जुलती कहानी पर आधारित एक वेब सीरीज '9 ऑवर्स' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. जैकब वर्गीज और निरंजन कौशिकी के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज की काल्पनिक कहानी मल्लादी वेंकट कृष्ण मूर्ति के तेलुगू उपन्यास 'टोमिडी गैंटालु' पर आधारित है. इसमें तारकरत्ना, अजय, विनोद कुमार, मधु शालिनी, रवि वर्मा और प्रीति असरानी जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं.
वेब सीरीज '9 ऑवर्स' को देसी 'मनी हाइस्ट' के तौर पर देखा जा सकता है. 'मनी हाइस्ट' नेटफ्लिक्स की बेहद चर्चित वेब सीरीज है, जिसमें एक प्रोफेसर के नेतृत्व में एक गैंग बहुत बड़ी बैंक डकैती को अंजाम देता है. डकैती की योजना बनाने से लेकर उसे अंजाम देने तक की प्रक्रिया के दौरान जो प्यार, बदला, नफरत, गाली, वासना, हिंसा और खून दिखता है, वही वेब सीरीज को रोचक बनाता है. ऐसा ही कुछ '9 ऑवर्स' में भी देखने को मिलता है. इसमें भी जेल ब्रेक से लेकर डकैती करने और उसके बाद पैसों की बंदरबांट की कहानी को बेहतरीन तरीके से पिरोया गया है, जो कि दिलचस्पी जगाता है. यही वजह है कि एपिसोड दर एपिसोड रोमांच बनने रहने की वजह से देखते चले जाते हैं. बस एक चीज खटकती है. वो ये है कि सीरीज के एपिसोड की लंबाई बहुत ज्यादा है.
फिल्म की कहानी के केंद्र में बैंक डकैती की घटना है. बात साल 1985 की है. हैदराबाद सेंट्रल जेल में कैदियों की गणना काम हो रहा है. सारे कैदी एक जगह एकत्रित है. उसी वक्त भगदड़ मच जाती है. कैदी भागने लगते हैं. इसी भगदड़ में तीन कैदी जेल से बाहर निकल जाते हैं. उनकी ही तरह राज्य के अलग-अलग जेलों में कई कैदी जेल से बाहर निकल जाते हैं. किसी को पता नहीं चलता. ये सभी एक जगह मिलते हैं. वहां उनके शहर में अलग-अलग तीन जगहों पर स्थित बैंकों में डकैती के लिए भेजा जाता है. सेंट्रल से भागे तीन कैदियों को डेक्कन इंपीरियल बैंक में भेजा जाता है. वहां के मैनेजर उसी दिन रिटायर होने वाले होते हैं. इधर रिटायरमेंट के फक्शन की तैयारी चल रही होती है, उधर कैदी बैंक पर धावा बोल देते हैं. पिस्तौल की नोक पर सबको बंधक बना लेते हैं.
बैंक मैनेजर से जबरन लॉकर खुलवाकर पैसे निकाल लेते हैं. तभी बैंक के एक कर्मचारी की पत्नी की सूचना मिलने पर पुलिस वाला सर्तक हो जाता है. इंस्पेक्टर प्रताप उसी बैंक के सामने एक पॉर्लर में छापा मारने गया होता है. उसको जैसे ही पता चलता है वो हेडऑफिस सूचना देकर टीम मांगता है. तभी पता चलता है कि शहर में एक नहीं तीन बैंकों में डकैती हुई है. पुलिस टीम आते ही बैंक को चारों तरफ से घेर लिया जाता है. इसे देखकर तीनों कैदी बैंक में बंदी बनाए लोगों की जान की कीमत पर अपने लिए बाहर जाने का रास्ता मांगते हैं. पुलिस को मजबूर करते हैं. आखिरकार पुलिस डर के मारे उनको वैन मुहैया कराती है, ताकि वो उससे भाग सके. लेकिन क्या कैदी बैंक से भाग पाएंगे? क्या वो जेल वापस पहुंच पाएंगे? क्या इंस्पेक्टर प्रताप कुछ कर पाएगा? जानने के लिए वेब सीरीज देखनी चाहिए.
वेब सीरीज '9 ऑवर्स' की शुरूआत बहुत सुस्त होती है, लेकिन जैसे-जैसे एपिसोड आगे बढ़ता है, उसकी रफ्तार बढ़ती चली जाती है. इसकी कहानी भले ही परिचित लगे, लेकिन आगे जिस तरह से ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं, हैरान कर देते हैं. ऐसा लगता है कि हमने जो सोचा वो तो हुआ ही नहीं, ये तो कुछ दूसरा ही हो गया. इस तरह वेब सीरीज चौंकाती हुई आगे बढ़ती चली जाती है. निर्देशक द्वय जैकब वर्गीज और निरंजन कौशिकी ने अपना काम अच्छे से किया है. वो इस वेब सीरीज 'मनी हाइस्ट' के स्तर की तो नहीं बना पाए हैं, लेकिन उनकी कोशिश जरूर दिखती है. मेन स्टोरी कई सब प्लाट्स में भी समानांतर चलती रहती है. जैसे कि बैंक की एक कर्मचारी गिरजा, जिसको उसका एक सहकर्मी लगातार छेड़ता रहता है. उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है. सुगुना जो कि एक वेश्या है, लेकिन डकैती डालने आए एक कैदी से बहुत प्यार करती है. इंस्पेक्टर प्रताप जो अपनी व्यक्तिगत जिंदगी से परेशान है. दोनों पति-पत्नी एक-दूसरे से तलाक लेने जा रहे हैं.
इस तरह बैंक डकैती की मुख्य कहानी के साथ समानांतर चल रही दूसरी कहानियों के जरिए दर्शकों को बांधे रखने की सफल कोशिश की गई है. तारकरत्ना, अजय, विनोद कुमार, मधु शालिनी, रवि वर्मा और प्रीति असरानी ने अपने-अपने किरदारों में बेहतरीन काम किया है. कुल मिलाकर, '9 ऑवर्स' एक अच्छी वेब सीरीज कही जा सकती है. इस वीकेंड यदि आप कोई अच्छी वेब सीरीज देखना चाहते हैं, तो प्रकाश झा के 'आश्रम 3' की तुलना में कुछ नया यहां आपको देखने को मिल सकता है.
वेब सीरीज '9 ऑवर्स' मूलत: एक तेलुगू सीरीज है, जिसे हॉटस्टार ने हिंदी, तमिल, मलयालम और कन्नड़ में भी रिलीज किया है.
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