अरविंद केजरीवाल की 'आम आदमी पार्टी' की स्थापना के बाद 'आम आदमी' जैसे शब्द भले ही राजनीतिक हो चुके हैं, लेकिन एक वक्त था आम आदमी को सिर्फ अदना-सा वोट माना जाता था. वो चुनावों के वक्त सिर्फ राजनीतिक दलों के इस्तेमाल के लिए बना था. आज भी देखें तो आम आदमी वह है, जो पैसों की गर्मी से फैलता और कमी से सिकुड़ता है. जो महंगाई की आहट से कांप जाता है. आम आदमी दुखों का ढेर है. अभावों का दलदल है. मुकम्मल बयान है, उसके चेहरे पर दर्द का गहरा निशान है. लेकिन ये भी सच है कि जब भी इस आम आदमी ने ठाना है, उसकी ताकत देखकर समूचा समाज और देश हैरान रह गया है.
आम आदमी की इसी ताकत को सिनेमा में भी कई बार दिखाया गया है. आपको नसरूद्दीन शाह और अनुपम खेर की फिल्म 'अ वेडनेसडे' जरूर याद होगी. इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक आदमी समूचे सिस्टम को हिला सकता है. डीएम तो छोड़िए पीएम से भी अपनी बातें बनवा सकता है. इसी फिल्म से प्रभावित एक नई फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. इसका नाम 'अ थर्सडे' है, जिसमें यामी गौतम, नेहा धूपिया, डिंपल कपाड़िया और अतुल कुलकर्णी जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. आरएसवीपी और ब्लू मंकी फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म का निर्देशन बेहजाद खंबाटा ने किया है.
A Thursday फिल्म की कहानी
फिल्म 'अ वेडनेसडे' की कहानी का विषय आतंकवाद था, लेकिन फिल्म 'अ थर्सडे' का विषय बलात्कार है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट की माने तो अपने देश में हर 16 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार होता है. हर चार घंटे में एक महिला की तस्करी की जाती है. हर चार मिनट में एक महिला अपने ससुराल वालों के हाथों क्रूरता...
अरविंद केजरीवाल की 'आम आदमी पार्टी' की स्थापना के बाद 'आम आदमी' जैसे शब्द भले ही राजनीतिक हो चुके हैं, लेकिन एक वक्त था आम आदमी को सिर्फ अदना-सा वोट माना जाता था. वो चुनावों के वक्त सिर्फ राजनीतिक दलों के इस्तेमाल के लिए बना था. आज भी देखें तो आम आदमी वह है, जो पैसों की गर्मी से फैलता और कमी से सिकुड़ता है. जो महंगाई की आहट से कांप जाता है. आम आदमी दुखों का ढेर है. अभावों का दलदल है. मुकम्मल बयान है, उसके चेहरे पर दर्द का गहरा निशान है. लेकिन ये भी सच है कि जब भी इस आम आदमी ने ठाना है, उसकी ताकत देखकर समूचा समाज और देश हैरान रह गया है.
आम आदमी की इसी ताकत को सिनेमा में भी कई बार दिखाया गया है. आपको नसरूद्दीन शाह और अनुपम खेर की फिल्म 'अ वेडनेसडे' जरूर याद होगी. इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक आदमी समूचे सिस्टम को हिला सकता है. डीएम तो छोड़िए पीएम से भी अपनी बातें बनवा सकता है. इसी फिल्म से प्रभावित एक नई फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. इसका नाम 'अ थर्सडे' है, जिसमें यामी गौतम, नेहा धूपिया, डिंपल कपाड़िया और अतुल कुलकर्णी जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. आरएसवीपी और ब्लू मंकी फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म का निर्देशन बेहजाद खंबाटा ने किया है.
A Thursday फिल्म की कहानी
फिल्म 'अ वेडनेसडे' की कहानी का विषय आतंकवाद था, लेकिन फिल्म 'अ थर्सडे' का विषय बलात्कार है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट की माने तो अपने देश में हर 16 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार होता है. हर चार घंटे में एक महिला की तस्करी की जाती है. हर चार मिनट में एक महिला अपने ससुराल वालों के हाथों क्रूरता का शिकार होती है. इसमें महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले चौंका देने वाले हैं. क्योंकि देश में पॉस्को एक्ट के लागू होने और बलात्कारियों को फांसी की सजा होने के कानून के बाद भी ये मामले कम नहीं हुए हैं. समाज की इसी विभत्स समस्या को बहुत पुरजोर तरीके से बॉलीवुड एक्ट्रेस यामी गौतम अपने किरदार नैना के जरिए फिल्म 'अ थर्सडे' में उठाती हैं. एक विक्टिम से क्रिमिनल बनने के सफर को उन्होंने जिस तरह जिया है, वो काबिल-ए-तारीफ है.
'अ वेडनेसडे' की कहानी के केंद्र में एक स्कूल टीचर नैना जायसवाल (यामी गौतम) का किरदार है. नैना सबकी प्रिय होती है. मां से लेकर बॉयफ्रेंड तक, हर कोई उसे बहुत चाहता है. यहां तक कि वो जिस प्ले स्कूल को संभालती है, वहां के बच्चे, उनके अभिभावक और कर्मचारी सभी उसे बहुत मानते हैं. लेकिन एक दिन गजब हो जाता है. करीब तीन हफ्ते तक छुट्टी करने के बाद जब नैना प्ले स्कूल ज्वाइन करती है, जो उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा होता है. अपनी योजना के तहत वो स्कूल के 16 बच्चों को अगवा कर लेती है. इसके बाद पुलिस को फोन करके एक सुपरकॉप जावेद खान (अतुल कुलकर्णी) से बातें करनी की मांग करती है. उसी दौरान पुलिस अफसर कैथरीन अल्वारेज़ (नेहा धूपिया) वहां पहुंच कर उससे बात करती है, लेकिन उसका उग्र रूप देखकर जावेद को स्कूल पर आने के लिए बोलती है.
नैना के पास 16 बच्चों के अलावा उसके स्कूल मे़ड सावित्री (कल्याणी मुले) और एक बच्ची का ड्राइवर (बोलोराम दास) भी बंधक होता है. इंस्पेक्टर जावेद खान के आने के बाद नैना उससे पांच करोड़ रुपए की मांग करती है. इसके बदले एक बच्चे को छोड़ने की बात कहती है. पहली मांग पूरी होने के बाद वो दूसरी मांग में सीधे प्रधानमंत्री से बात करने के लिए कहती है. लेकिन जब उसकी बात पीएम से कराई जाती है, तो वो उनके अपने पास बुलाती है और आमने-सामने बात करने को कहती है. इस पर पीएम का स्टाफ भड़क जाता है. उसे मारने के ऑर्डर दे दिए जाते हैं, लेकिन नैना कुछ चीजें ऐसी करती है, जिसकी वजह से पीएम को उसके पास जाना पड़ता है. इसी दौरान जावेद और अल्वारेज को पता चलता है कि नैना के साथ स्कूल के समय में रेप हुआ है. इसके आगे क्या होता है, ये जानने के लिए फिल्म देखनी चाहिए.
A Thursday फिल्म की समीक्षा
इस फिल्म के निर्देशक बेहजाद खंबाटा ने नीरज पांडे के साथ फिल्म 'अ वेडनेसडे' के लिए काम किया था. यही वजह है कि फिल्म के टाइटल और स्टोरी में 'अ वेडनेसडे' का प्रभाव देखा जा सकता है. कई लोगों को लगता है कि ये फिल्म नीरज की फिल्म का सीक्वल है, लेकिन ऐसा नहीं है. बेहजाद खंबाटा ने एक नए विषय के साथ एक बेहतरीन सिनेमा बनाने की कोशिश की है, लेकिन 'अ वेडनेसडे' को मैच नहीं कर पाए हैं. वो अपने दौर की अद्भुत फिल्म थी. उसे देश के एक प्रधानमंत्री ने एक राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए देखा था और याद भी रखा. इसलिए दोनों की तुलना बेमानी है. हां, ये कह सकते हैं कि एक स्वतंत्र फिल्म के रूप में 'अ थर्सडे' हर किसी को प्रभावित करती है. इसमें सबसे बड़ा योगदान अभिनेत्री यामी गौतम का है. अपने दमदार अभिनय के साथ वो हर किसी को हैरान करती है. एक ही वक्त में दो बिल्कुल विपरीत भावनाओं को प्रदर्शन बहुत मुश्किल होता है. लेकिन एक टीचर और एक किडनैपर के किरदार में वो दो अलग-अलग रूपों में नजर आती हैं.
नेहा धूपिया अपने अभिनय के लिए तालियों की हकदार हैं. वास्तविकता में प्रेग्नेंट होते हुए भी उन्होंने अपने किरदार को जिस तरह से जिया है, उसे देखकर लगता है कि वो एक सच्ची अभिनेत्री हैं, जो अपनी कला का सम्मान करती हैं. वह अपनी क्षमता के अनुसार पुलिस वाले की बेहतरीन भूमिका निभाती हैं. सुपरकॉप जावेद खान के किरदार में अतुल कुलकर्णी एक अलग ही रूप में नजर आते हैं. उनको ज्यादातर निगेटिव रोल में देखा गया है. लेकिन इस फिल्म में उनका किरदार ऐसा है, जो अंत में दर्शकों को चौंका देता है. इस रहस्य को उन्होंने बहुत ही बारीकी से संभाला है. इस फिल्म की कहानी एशले माइकल लोबो और बेहज़ाद खंबाटा ने लिखी है. उन्होंने इसके जरिए महिला सशक्तिकरण का एक दुर्लभ नजारा पेश किया है, जिससे करोड़ों महिलाएं प्रेरणा ले सकती हैं. इतना ही नहीं हमारा समाजे सचेत भी हो सकता है. कुल मिलाकर, फिल्म 'अ थर्सडे' एक रोमांचक फिल्म है, जो सामाजिक संदेश देने के साथ ही दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करती है.
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