'यहां से पचास-पचास कोस दूर गांव में, जब बच्चा रात को रोता है, तो मां कहती है बेटे सो जा, सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा'...फिल्म शोले का ये डायलॉग हर किसी की जुबान पर है. इस डायलॉग को बोलने वाले बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार अमजद खान अपने शानदार अभिनय की वजह से हर किसी के जेहन में जिंदा हैं. दमदार आवाज, बेहतरीन अभिनय और कभी ना भूलने वाली शख्सियत, कुछ ऐसे थे रूपहले पर्दे के गब्बर सिंह यानि अमजद खान. 12 नवंबर 1940 को पेशावर, ब्रिटिश इंडिया (पाकिस्तान) में जन्मे अमजद खान का 27 जुलाई 1992 को मुंबई में निधन हो गया था. मायानगरी के इस 'गब्बर' कलाकार की आज पुण्यतिथि है.
फिल्म 'शोले' के पहले अमजद खान को बहुत कम लोग जानते थे. फिल्मी परिवार में पैदा होने के बावजूद उन्होंने सबसे पहले थियेटर से अपनी शुरूआत की थी. बतौर बाल कलाकार उन्होंने 11 साल की उम्र में फिल्म 'नाजनीन' में काम किया था, जो साल 1951 में रिलीज हुई थी. इसके बाद 17 साल की उम्र में फिल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' (1957) में काम किया. इसके बाद फिल्म मेकर के. आसिफ के असिस्टेंट बनकर फिल्म लव एंड गॉड में काम करने लगे. इसी बीच साल 1971 में आसिफ का निधन हो गया, जिसकी वजह से ये फिल्म साल 1986 में रिलीज हो सकती. इसी बीच साल 1973 में उन्होंने फिल्म हिंदुस्तान की कसम में एक छोटा सा रोल भी किया था.
इसके बाद साल 1975 में उनको फिल्म 'शोले' में बतौर विलेन साइन किया गया. इसने अभिनेता अमजद खान को हिंदी सिनेमा का 'गब्बर सिंह' बना दिया. फिल्म 'शोले' में उन्होंने डाकू गब्बर सिंह का रोल निभाया था. इस फिल्म के डायलॉग में अमजद खान ने ऐसी जान फूंकी की आज भी इसके संवाद दर्शकों की पसंद बने हुए हैं. कितने आदमी थे, जो डर गया समझो मर गया और तेरा क्या होगा कालिया जैसे डायलॉग भारतीय सिने इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गए. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र के होने के बाद भी दर्शकों ने अमजद खान के अभिनय को खूब सराहा. फिल्म 'शोले' अमजद खान के करियर की सबसे अहम फिल्म रही है.
आइए...
'यहां से पचास-पचास कोस दूर गांव में, जब बच्चा रात को रोता है, तो मां कहती है बेटे सो जा, सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा'...फिल्म शोले का ये डायलॉग हर किसी की जुबान पर है. इस डायलॉग को बोलने वाले बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार अमजद खान अपने शानदार अभिनय की वजह से हर किसी के जेहन में जिंदा हैं. दमदार आवाज, बेहतरीन अभिनय और कभी ना भूलने वाली शख्सियत, कुछ ऐसे थे रूपहले पर्दे के गब्बर सिंह यानि अमजद खान. 12 नवंबर 1940 को पेशावर, ब्रिटिश इंडिया (पाकिस्तान) में जन्मे अमजद खान का 27 जुलाई 1992 को मुंबई में निधन हो गया था. मायानगरी के इस 'गब्बर' कलाकार की आज पुण्यतिथि है.
फिल्म 'शोले' के पहले अमजद खान को बहुत कम लोग जानते थे. फिल्मी परिवार में पैदा होने के बावजूद उन्होंने सबसे पहले थियेटर से अपनी शुरूआत की थी. बतौर बाल कलाकार उन्होंने 11 साल की उम्र में फिल्म 'नाजनीन' में काम किया था, जो साल 1951 में रिलीज हुई थी. इसके बाद 17 साल की उम्र में फिल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' (1957) में काम किया. इसके बाद फिल्म मेकर के. आसिफ के असिस्टेंट बनकर फिल्म लव एंड गॉड में काम करने लगे. इसी बीच साल 1971 में आसिफ का निधन हो गया, जिसकी वजह से ये फिल्म साल 1986 में रिलीज हो सकती. इसी बीच साल 1973 में उन्होंने फिल्म हिंदुस्तान की कसम में एक छोटा सा रोल भी किया था.
इसके बाद साल 1975 में उनको फिल्म 'शोले' में बतौर विलेन साइन किया गया. इसने अभिनेता अमजद खान को हिंदी सिनेमा का 'गब्बर सिंह' बना दिया. फिल्म 'शोले' में उन्होंने डाकू गब्बर सिंह का रोल निभाया था. इस फिल्म के डायलॉग में अमजद खान ने ऐसी जान फूंकी की आज भी इसके संवाद दर्शकों की पसंद बने हुए हैं. कितने आदमी थे, जो डर गया समझो मर गया और तेरा क्या होगा कालिया जैसे डायलॉग भारतीय सिने इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गए. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र के होने के बाद भी दर्शकों ने अमजद खान के अभिनय को खूब सराहा. फिल्म 'शोले' अमजद खान के करियर की सबसे अहम फिल्म रही है.
आइए जानते हैं फिल्म 'शोले' के गब्बर सिंह के 5 कमसुने किस्से, जिसे आपने शायद ही सुना हो...
किस्सा नंबर 1:- एक खौफनाक हादसा
'शोले', 'परवरिश', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'लावारिस', 'हीरालाल-पन्नालाल', 'सीतापुर की गीता', 'हिम्मतवाला' और 'कालिया' जैसी करीब 130 फिल्मों में काम करने वाले अमजद खान ने अपनी जिंदगी में आई मुश्किलों का डटकर सामना किया, लेकिन एक हादसे ने उनकी किस्मत बदलकर रख दी. इसकी वजह से ही उनका वजन बढ़ने लगा था, जिसके बाद वो कोमा में चले गए और बाद में हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई. दरअसल, बात 1986 की है. अमजद खान फिल्म 'दि ग्रेट गैम्बलर' की शूटिंग के लिए मुंबई से गोवा जा रहे थे. रास्ते में उनकी कार का भीषण एक्सीडेंट हो गया. उनको सीरियस इंजरी हुई. कार की स्टेरिंग उनके अंदर घुस गई. 13 पसलियां टूट गईं. कुछ समय के लिए वे कोमा में चले गए. हालांकि, किस्मत से वे जल्दी रिकवर होने लगे. लेकिन लंबे समय तक व्हील चेयर पर रहने से वजन बढ़ने लगा.
उनकी पत्नी शैला खान ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'उस एक्सीडेंट के बाद सबकुछ रुक गया. दवाईयों और ना चल-फिर पाने की वजह से अमजद का वजन तेजी से बढ़ने लगा. उन्हें मीठा बहुत पसंद था, चाय के शौकीन थे, लेकिन उनका वजन दवाईयों की वजह से बढ़ा. बढ़ते वजन की वजह से अमजद खान की हालत इतनी खराब हो गई कि वो कोमा में भी चले गए. हालांकि वो कुछ वक्त बाद इससे बाहर भी आ गए, लेकिन 1994 में 27 जुलाई की वो रात पूरे परिवार के लिए बुरा सपना साबित हुई. उस दिन अमजद को किसी से मिलना था तो इसलिए वो कपड़े चेंज करने चले गए. तभी बेटा शादाब दौड़ता हुआ मेरे पास आया बोला कि डैडी का शरीर ठंडा पड़ रहा है, उन्हें बहुत पसीने आ रहे हैं. जाकर देखा तो बेहोश थे और कुछ ही मिनटों में वो इस दुनिया से चले गए.' जब अमजद खान की डेथ हुई, तब वे 52 साल के थे.
किस्सा नंबर 2:- अधूरी प्रेम कहानी
बहुत कम लोग जानते हैं कि अमजद खान की एक अधूरी प्रेम कहानी भी है. यह प्रेम कहानी उनकी शादी और बच्चों के जन्म के बाद शुरू हुई थी. रूपहले पर्दे पर जिस तरह खलनायक बनकर अमजद छा रहे थे, उसी तरह एक खलनायिका भी थी जिसका खौफनाक अंदाज लोगों को बहुत पसंद आ रहा था. जी हां, हम बात कर रहे हैं कल्पना अय्यर के बारे में, जिन्हें आपने फिल्म 'सत्ते पे सत्ता', 'हम से बढ़कर कौन’, ‘लाडला’, अंजाम’ और ‘गुंडाराज’ फिल्मों में देखा होगा. अमजद और कल्पना की पहली मुलाकात एक स्टूडियो में हुई थी, जहां दोनों अलग-अलग फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. पहली मुलाकात में ही दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे. कल्पना जानती थीं कि अमजद शादीशुदा हैं. उनकी पत्नी और तीन बच्चे भी हैं. लेकिन कल्पना ने हमेशा उनके परिवार का सम्मान किया, कभी शादी के लिए अमजद पर दबाव नहीं बनाया. दोनों जीवनभर दोस्त और शुभचिंतक बने रहे. अमजद के निधन के बाद कल्पना उनको श्रद्धांजलि देने उनके घर भी गई थी, जबकि लोगों ने उनको रोका था.
किस्सा नंबर 3:- द फैमिली मैन
सिनेमा के खलनायक अमजद खान अपने परिवार से बहुत प्यार करते थे. उनकी पत्नी उनका पहला प्यार थीं. यही वजह है कि कल्पना से प्यार करने के बावजूद उन्होंने कभी पत्नी शैला खान को छोड़ा नहीं, न ही कल्पना से शादी की. शैला और अमजद मुंबई के बांद्रा में एक-दूसरे के पड़ोसी थे. अमजद खान कॉलेज में जब ग्रेजुएशन कर रहे थे, तब शैला 14 साल की उम्र में स्कूल में थी, लेकिन अमजद खान उनके प्यार में पड़ गए थे. दोनों साथ में बैडमिंटन खेला करते थे. खेल-खेल में कई बार शैला उनको भाई बोलती तो वो नाराज हो जाते थे. उन्होंने एक बार शैला से कह ही दिया, 'मुझे भाई मत कहा करो!' इसी बीच अमजद खान शैला के घर पर शादी का प्रपोजल भेज दिया, जिसको उनके दिवंगत पिता लेखक और गीतकार अख्तर-उल-ईमान ने ये कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि वो शादी के लिए अभी बहुत छोटी हैं.
शैला खान के पिता के रिजेक्शन से नाराज अमजद खान ने उनसे कहा था, 'आपने मेरा प्रपोजल रिजेक्ट करा दिया. यदि ये मेरा गांव होता तो मैं आपके परिवार की तीन पीढ़ियों का सफाया कर देता.' इसके बाद शैला के पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए उनको यूपी के अलीगढ़ भेज दिया. वहां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उनका दाखिला करा दिया. लेकिन खतों के जरिए अमजद और शैला एक-दूसरे के संपर्क में बने रहे. शैला ने इस पर खुलासा करते हुए कहा था, 'हर दिन मुझे अमजद का एक लेटर मिलता था और मैं भी उन्हें चिट्ठी लिखती थी.' इसके बाद कई सालों तक दोनों रिलेशन में रहे और परिजनों की रजामंदी के साथ दोनों साल 1972 में शादी के बंधन में बंध गए. उनकी शादी के एक साल बाद साल 1973 में बेटे 'शादाब' का जन्म हुआ. दोनों के तीन बच्चे हैं. अमजद अपने परिवार को जान से ज्यादा मानते थे.
किस्सा नंबर 4:- मददगार और दिलदार
अमजद खान जितने बड़े कलाकार थे, उतने ही दिलदार और अपने सहकर्मियों के लिए मददगार भी थे. वो एक्टर्स गिल्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष भी थे. फिल्म इंडस्ट्री में उनकी काफी इज्जत थी. वह अक्सर अभिनेताओं और निर्देशकों/निर्माताओं के बीच होने वाले विवादों को सुलझाने का काम किया करते थे. ऐसा ही एक विवाद तब हुआ जब मीनाक्षी शेषाद्री को राजकुमार संतोषी की फिल्म दामिनी से चलती शूटिंग से बाहर कर दिया गया था. दरअसल, मीनाक्षी ने राजकुमार संतोषी के प्रपोजल को अस्वीकार कर दिया, जिससे नाराज होकर उन्होंने बीच फिल्म से उनको बाहर कर दिया. यह मामला अमजद खान के पास गया, तो उन्होंने इस मामले को सुलझाया और राजकुमार संतोषी को अपना कठोर निर्णय वापस लेने के लिए मजबूर किया. इसी तरह उन्होंने एक विवाद डिंपल कपाड़िया का भी सुलझाया था. डिंपल ने एक फिल्म साइन की थी, जिसमें उनको मां की भूमिका निभानी थी, लेकिन बाद में वो पीछे हट गईं. इससे नाराज फिल्म प्रोड्यूसर कम्युनिटी ने उनका बहिष्कार कर दिया. मदद के लिए डिंपल अमजद के पास पहुंची, तो उन्होंने एक्टर्स गिल्ड की ओर से हस्तक्षेप किया. दोनों के पक्षों के बीच बातचीत के जरिए मामला सुलझाया.
किस्सा नंबर 5:- अमजद खान की तमन्ना
अमजद खान का फिल्मी करियर 'शोले' से पहले बहुत ही संघर्षों भरा था. उनका सबसे बड़ा गम ये था कि काफी संघर्ष करने के बाद भी उनको काम पर काफी जलील किया गया था. उनके पिता की तबियत अक्सर खराब रहा करती थी, तो वो उन्हें बहुत सारी बातें बताया नहीं करते थे. फिल्म 'शोले' की रिलीज के कुछ हफ्ते पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था. वो शोले नहीं देख पाए थे. अमजद खान की सबसे बड़ी तमन्ना थी की उनके पिताजी उनका सबसे बड़ा काम देखें, जो कि पूरा न हो सका. ये उनका ऐसा गम था, जिसे पूरी जिंदगी लिए जीते रहे थे. 'शोले' में गब्बर सिंह के बाद उन्होंने 'मुकद्दर का सिकंदर' और 'दादा' में भी गजब की भूमिका निभाई थीं. वे एक संपूर्ण अभिनेता थे. उन्होंने चरित्र, हास्य और खल भूमिकाओं को जीवंत किया, जिस कारण उन्हें कई बार फ़िल्मफेयर सहित कई अन्य अवार्ड भी मिले.
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