क्रिएटिव फ्रीडम के नाम पर हिंदू धर्म का मजाक उड़ाना अब बॉलीवुड को भारी पड़ रहा है. एक वक्त था जब हिंदी फिल्मों में हिंदू धर्म प्रतीकों का जमकर माखौल उड़ाया जाता था. तब लोग इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी नहीं देते थे. लेकिन जब से हिंदू समाज के लोग प्रतिक्रिया देने लगे हैं, फिल्म मेकर्स की मुसीबत बढ़ गई है. ऐसी ही मुसीबत का सामना इनदिनों फिल्म 'आदिपुरुष' के मेकर्स कर रहे हैं. इस फिल्म का टीजर जबसे रिलीज किया गया है, तबसे लोग इसका विरोध कर रहे हैं. अब फिल्म के नए पोस्टर लॉन्च के साथ विरोध की धार पहले से तेज हो गई है. नया पोस्टर देखने के बाद लोगों ने एक बार फिर फिल्म के मेकर्स पर हिंदूओं की धर्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है. इससे आहत होकर एक सनातन धर्म प्रचारक ने मुंबई में फिल्म के मेकर्स के खिलाफ केस भी दर्ज करा दिया है. फिल्म को बैन करने की मांग की गई है.
जानकारी के मुताबिक, मुंबई के साकीनाका थाने में फिल्म के निर्देशक ओम राउत और निर्माता भूषण कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 (ए), 298, 500, 34 के तहत केस दर्ज कराया गया है. इस केस को दर्ज कराने वाले सनातन धर्म के प्रचारक संजय दीनानाथ तिवारी का कहना है कि हिंदूओं के पवित्र धर्मग्रंथ 'रामचरितमानस' से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनी पर फिल्म 'आदिपुरुष' बनाई जा रही है. लेकिन फिल्म के पोस्टर में श्रीराम को जिस तरह से दिखाया गया है, रामचरितमानस में वर्णित मर्यादा पुरुषोत्तम से बिल्कुल विपरीत है. पोस्टर में साफ दिख रहा है कि श्रीराम ने जनेऊ नहीं पहनी है. इतना नहीं उनके वस्त्र चमड़े से बने प्रतीत हो रहे हैं. यहां तक कि सीता की मांग में सिंदूर भी नहीं है, जबकि हिंदू धर्म में विवाहित महिला सिंदूर जरूर लगाती है. मेकर्स की तरफ से ऐसा जानबूझकर सनातन धर्म का अपमान करने के लिए किया गया है.
क्रिएटिव फ्रीडम के नाम पर हिंदू धर्म का मजाक उड़ाना अब बॉलीवुड को भारी पड़ रहा है. एक वक्त था जब हिंदी फिल्मों में हिंदू धर्म प्रतीकों का जमकर माखौल उड़ाया जाता था. तब लोग इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी नहीं देते थे. लेकिन जब से हिंदू समाज के लोग प्रतिक्रिया देने लगे हैं, फिल्म मेकर्स की मुसीबत बढ़ गई है. ऐसी ही मुसीबत का सामना इनदिनों फिल्म 'आदिपुरुष' के मेकर्स कर रहे हैं. इस फिल्म का टीजर जबसे रिलीज किया गया है, तबसे लोग इसका विरोध कर रहे हैं. अब फिल्म के नए पोस्टर लॉन्च के साथ विरोध की धार पहले से तेज हो गई है. नया पोस्टर देखने के बाद लोगों ने एक बार फिर फिल्म के मेकर्स पर हिंदूओं की धर्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है. इससे आहत होकर एक सनातन धर्म प्रचारक ने मुंबई में फिल्म के मेकर्स के खिलाफ केस भी दर्ज करा दिया है. फिल्म को बैन करने की मांग की गई है.
जानकारी के मुताबिक, मुंबई के साकीनाका थाने में फिल्म के निर्देशक ओम राउत और निर्माता भूषण कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 (ए), 298, 500, 34 के तहत केस दर्ज कराया गया है. इस केस को दर्ज कराने वाले सनातन धर्म के प्रचारक संजय दीनानाथ तिवारी का कहना है कि हिंदूओं के पवित्र धर्मग्रंथ 'रामचरितमानस' से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनी पर फिल्म 'आदिपुरुष' बनाई जा रही है. लेकिन फिल्म के पोस्टर में श्रीराम को जिस तरह से दिखाया गया है, रामचरितमानस में वर्णित मर्यादा पुरुषोत्तम से बिल्कुल विपरीत है. पोस्टर में साफ दिख रहा है कि श्रीराम ने जनेऊ नहीं पहनी है. इतना नहीं उनके वस्त्र चमड़े से बने प्रतीत हो रहे हैं. यहां तक कि सीता की मांग में सिंदूर भी नहीं है, जबकि हिंदू धर्म में विवाहित महिला सिंदूर जरूर लगाती है. मेकर्स की तरफ से ऐसा जानबूझकर सनातन धर्म का अपमान करने के लिए किया गया है.
इसके साथ ही शिकायतकर्ता की तरफ से ये भी कहा गया है कि यदि फिल्म पर की रिलीज पर बैन नहीं लगाया गया तो कानून व्यवस्था पर खतरा मंडरा सकता है. क्योंकि सनातन धर्म के लोग भगवान श्रीराम का ये अपमान बर्दाश्त नहीं करने वाले हैं. 'आदिपुरुष' 16 जून को देश भर के सिनेमाघरों में पैन इंडिया रिलीज होने वाली है. इसे पहले जनवरी में ही रिलीज किया जाना था, लेकिन टीजर रिलीज के बाद लोगों ने जिस तरह से नकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी, उसे देखकर फिल्म के मेकर्स डर गए थे. इसके बाद वीएफएक्स, स्पेशल इफेक्ट्स के साथ जरूरी बदलाव के लिए फिल्म की रिलीज टाल दी गई, लेकिन श्रीराम नवमी के दिन जब फिल्म पोस्टर रिलीज किया गया, तो लोगों ने एक बार फिर विरोध शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया पर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब सड़क पर पहुंच चुका है. फिल्म पूरी बन चुकी है. ऐसे में मेकर्स की मुसीबत बढ़ने वाली है.
फिल्म 'आदिपुरुष' के नए पोस्टर में श्रीराम (राघव) के किरदार में प्रभास, सीता (जानकी) के किरदार में कृति सैनन, लक्ष्मण (शेष) के किरदार में सनी सिंह और हनुमानजी (बजरंग) के किरदार में देवदत्त नागे नजर आ रहे हैं. फिल्म के मेकर्स का दावा है कि यह फिल्म प्रभु श्रीराम के गुणों को दर्शाती है. धर्म, साहस और बलिदान पर जोर देती है. लेकिन लोगों का कहना है कि इस पोस्टर में दिख रहा एक भी कलाकार अपने किरदार में फिट नजर नहीं आ रहा है. हिंदू धर्मग्रंथों में जिस तरह से श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी का चरित्र चित्रण किया गया है, पोस्टर में उसके उलट पेश किया गया है. इस फिल्म के निर्देशन ओम राउत को 'लोकमान्य: एक युगपुरुष' और 'तानाजी: द अनसंग वॉरियर' जैसी ऐतिहासिक महत्व की फिल्मों के निर्माण के लिए जाना जाता है, लेकिन फिल्म 'आदिपुरुष' लोगों के उम्मीदों पर खरी उतरती नजर नहीं आ रही है.
इस फिल्म के नए पोस्टर की रिलीज के साथ ही मेकर्स को आशा थी कि एडिटिंग के बाद फिल्म दर्शकों को पसंद आएगी. लेकिन ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि नए पोस्टर पर लोगों की नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. लोग इसे कार्टून बता रहे हैं. इतना ही नहीं लोग फिल्म के लीड एक्टर प्रभास से ये कह रहे हैं कि वो अभी भी इस फिल्म को छोड़ दें, क्योंकि ये उनके स्तर की नहीं बन पाई है. फेसबुक पर एक यूजर देवेंद्र ने लिखा है, ''मैं आदिपुरुष के इस पोस्टर से आहत हूं. श्रीराम को जब वनवास हुआ था तो वो तरुण थे. उनकी तरुणाई की बातें गोस्वामी तुलसीदास ने मानस में अलग अलग संदर्भों में की हैं. इस पोस्टर में श्रीराम एक अधेड़ आदमी जैसे दिख रहे हैं. 45 से 50 साल का एक व्यक्ति जो बालों में डाई लगाकर खुद को जवान दिखाने की कोशिश कर रहा हो. क्या फिल्ममेकर को एक भी कलाकार ऐसा नहीं मिला जो राम को राम जैसा प्रस्तुत कर सके. उनको एक राजकुमार जैसा दिखा सके. जब तक अरुण गोविल से बेहतर राम नहीं मिल जातें फिल्म मेकर्स को रामायण जैसे विषय को छूना भी नहीं चाहिए.''
ट्विटर पर स्वाती बेल्लम ने लिखा है, ''यदि कोई चाहे तो मेरी बातों को लिखकर रख ले, मैं यही कहूंगी कि आदिपुरुष भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी डिजास्टर साबित होगी. इसके पोस्टर और टीजर को देखने के बाद ये किसी भी एंगल से रामायण नजर नहीं आता है. इन लोगों ने छह महीने लिए ताकि फिल्म को एडिट करके सुधार कर सके, लेकिन इतने समय बाद यदि ये आउटपुट है, तो इन्हें भगवान राम भी नहीं बचा सकते.'' दिनेश शर्मा का कहना है, ''जो लोग इस तरह की क्रिएटिव फ्रीडम की बात करते हैं वो मंदबुद्धि हैं. पढ़े-लिखे होने के बावजूद उनमें संवेदनहीनता है. नास्तिक होना अलग बात है. लेकिन नास्तिक होने के साथ लोगों की आस्था का उपहास उड़ाना यह पूरी तरह गलत है. जो लोग भी इस तरह का बयान देते हैं, उनसे पूछना चाहिए कि क्या वो सिर्फ हिंदू धर्म के लिए क्रिएटिव फ्रीडम रखते हैं. आप दूसरे धर्म के लिए ऐसा क्रिएटिव फ्रीडम लीजिए आपका जीना दूभर हो जाएगा. इस प्रकार की चीजें बिल्कुल नहीं करना चाहिए. यदि आप तोड़मरोड़ कर चीजों को पेश करेंगे तो यह ठीक नहीं है. इससे बचना चाहिए.''
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.