पिछली हिंदी फिल्म याद नहीं कौन सी देखी थी, और उम्मीद भी नहीं है कि आने वाले महीनों में कोई हिंदी फ़िल्म देखूँगी. ये कोई अच्छी बात नहीं है बल्कि दुःखद है कि मुझ जैसी सिनेमा प्रेमी को एक ढंग की हिंदी फ़िल्म नहीं मिल रही है जिसे देखने के लिए मैं सिनेमा हॉल जाऊँ. और ये मुझ अकेली का नहीं बल्कि और भी सिने-प्रेमियों का हाल होगा, ये भी अच्छी तरह जानती हूँ.
मेरा सिनेमा नहीं देखने जाने का #BoycottBollywoodMovies ट्रेंड से कोई लेना देना नहीं है. मैं नहीं जा रही हूँ क्योंकि बॉलीवुड सिर्फ़ और सिर्फ़ कॉपी करता है हॉलीवुड की. वो भी घटिया और सस्ती कॉपी. Gangubai Kathiawadi शायद लास्ट फ़िल्म थी जिसे देख कर लगा था कि कुछ ठीक हुआ है इस फ़िल्म में. नहीं तो सब की सब बकवास फ़िल्म आयीं हैं, और आती जा रही हैं. आप सोच रहे होंगे कि ये अचानक क्यों लिख रही हूँ तो इसकी वजह है किसी ने आने वाली फ़िल्म आदिपुरुष के ट्रेलर को ले कर मेरी राय माँगी है.
देखिए मैंने हॉलीवुड खँगाल डाला है. ओल्ड क्लासिक से ले कर नई वाली. वो फ़िल्म जिसकी भी रेटिंग IMDb पर 6 से ज़्यादा रही है और 8 से ज़्यादा रेटिंग वाली सीरीज़ देख रखी है. तो जैसे ही कोई बॉलीवुड फ़िल्म रिलीज़ होती है, पहली झलक देख कर पता चल जाता है कि लुक्स किसका कॉपी है, पोस्टर किस फ़िल्म की नक़ल है और कहानी कहाँ से चुराई गयी है. जो बॉलीवुड वालों के लिए क्लासिक है वो हॉलीवुड की कॉपी है. मैं कुछ नाम आपको बता रही हूँ, मिलाकर देखिएगा या आप में शायद कई लोगों को पता भी होगा. अमिताभ बच्चन की 'पा' कॉपी है The Curious Case of Benjamin Button की, अनुराग बासु की बर्फ़ी के तो मोस्ट्ली सीन चार्ली चैप्लीन की अलग अलग फ़िल्म की कॉपी है. आमिर खान की गजनी क्रिस्टोफर नोलन की 2000 में आयी उनकी फिल्म 'मेमेंटो' की नकल है, मुन्ना भाई एमबीबीएस, 'पैच एडम्स' की कॉपी है. लिस्ट बताने बहुत लंबी है. क्योंकि बॉलीवुड सिर्फ़ कॉपी करना जानता है वो भी घटिया कॉपी.