इंसान चाहे कोई भी नाम रख थे लेकिन जैसे ही 'अमिताभ' नाम हमारे सामने आता है उसे सुनकर ज़हन जो इमेज बनाता है वह 70 के दशक में रूपहले पर्दे पर उस सांवले यंग मैन की है जो समाज, व्यवस्था, सत्ता सब पर एंग्री है. पिता हरिवंशराय 'बच्चन' को यह नाम सुमित्रानंदन 'पंत' ने सुझाया. अमिताभ यानी अत्यंत तेज/कांतियुक्त. पहली फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' में एक कवि की भूमिका निभाने वाले अमिताभ की कांति से अछूता कौन बचा. मुहब्बत में 'जलसा' गिफ्ट करने वाले रमेश सिप्पी हों या सेट पर टाईम से ना आने पर टोंक दी जाने वाली रेखा हों. खास दोस्त अमर सिंह हों, या अभी कोरोना ग्रसित होने पर केबीसी बंद करने का विचार करने वाले डायरेक्टर हों या आने वाली दक्षिण भारतीय फिल्म के डायरेक्टर का उन्हें आज ट्वीटर पर बर्थडे विश करते हुए महान बताना हो. सच है न अमिताभ जैसा कोई हुआ है और न ही होगा.
सदी के महानायक अमिताभ का क़द इसलिये नहीं बड़ा कि वे 6 फीट के हैं. बल्कि इसलिये कि वे छोटे-बड़े पर्दे, सोशल मीडिया पर लगातार ऐक्टिव होने के साथ स्वच्छ भारत मिशन, पोलियो अभियान और अब COVID-19 के लिये लोगों को सतर्क कर एक जागरूक नागरिक बल्कि कहना चाहिये एक ब्राण्ड अम्बेसडर की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं.
हां, ब्रांड अम्बेसडर ही क्योंकि सवाल तब भी भनभनाता रहेगा कि 'पिंक' में अपनी भारी भरकम आवाज़ में 'नो मीन्स नो' कहने वाले सर बच्चन हाथरस/बलरामपुर/ निर्भया के वक़्त ट्वीटर लॉग इन करना भूल जाते हैं क्या?
आंख बंद तो कभी बड़ी कर हमेशा एक सा मुस्कुराते अमिताभ के घरेलू संबंध कांग्रेस से होते हैं. (या 'थे' कहना चाहिये?) कभी वे अमर सिंह के लगोंटिया यार हो जाते हैं तो कभी 'छोरा गंगा किनारे वाला' होने के बावजूद मोदी के गुजरात में कुछ...
इंसान चाहे कोई भी नाम रख थे लेकिन जैसे ही 'अमिताभ' नाम हमारे सामने आता है उसे सुनकर ज़हन जो इमेज बनाता है वह 70 के दशक में रूपहले पर्दे पर उस सांवले यंग मैन की है जो समाज, व्यवस्था, सत्ता सब पर एंग्री है. पिता हरिवंशराय 'बच्चन' को यह नाम सुमित्रानंदन 'पंत' ने सुझाया. अमिताभ यानी अत्यंत तेज/कांतियुक्त. पहली फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' में एक कवि की भूमिका निभाने वाले अमिताभ की कांति से अछूता कौन बचा. मुहब्बत में 'जलसा' गिफ्ट करने वाले रमेश सिप्पी हों या सेट पर टाईम से ना आने पर टोंक दी जाने वाली रेखा हों. खास दोस्त अमर सिंह हों, या अभी कोरोना ग्रसित होने पर केबीसी बंद करने का विचार करने वाले डायरेक्टर हों या आने वाली दक्षिण भारतीय फिल्म के डायरेक्टर का उन्हें आज ट्वीटर पर बर्थडे विश करते हुए महान बताना हो. सच है न अमिताभ जैसा कोई हुआ है और न ही होगा.
सदी के महानायक अमिताभ का क़द इसलिये नहीं बड़ा कि वे 6 फीट के हैं. बल्कि इसलिये कि वे छोटे-बड़े पर्दे, सोशल मीडिया पर लगातार ऐक्टिव होने के साथ स्वच्छ भारत मिशन, पोलियो अभियान और अब COVID-19 के लिये लोगों को सतर्क कर एक जागरूक नागरिक बल्कि कहना चाहिये एक ब्राण्ड अम्बेसडर की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं.
हां, ब्रांड अम्बेसडर ही क्योंकि सवाल तब भी भनभनाता रहेगा कि 'पिंक' में अपनी भारी भरकम आवाज़ में 'नो मीन्स नो' कहने वाले सर बच्चन हाथरस/बलरामपुर/ निर्भया के वक़्त ट्वीटर लॉग इन करना भूल जाते हैं क्या?
आंख बंद तो कभी बड़ी कर हमेशा एक सा मुस्कुराते अमिताभ के घरेलू संबंध कांग्रेस से होते हैं. (या 'थे' कहना चाहिये?) कभी वे अमर सिंह के लगोंटिया यार हो जाते हैं तो कभी 'छोरा गंगा किनारे वाला' होने के बावजूद मोदी के गुजरात में कुछ दिन गुजारने की अपील करने लग जाते हैं.
उम्र के 78वें सोपान में भी तेल, साबुन, सर्फ़, शैम्पू, चॉकलेट बेचता सदी का महानायक अपनी ऊर्जा से न्यू कमर्स को चौंकाता तो है लेकिन बर्निंग इश्यूस पर कतरा के निकल जाने की आदत से खुद को रहस्यमयी भी बनाता है. बहरहाल, हमारी तो यही दुआ है वे जीते रहें और ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे.
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