बॉलीवुड में घरेलू हिंसा पर कई फिल्में बन चुकी हैं. 'दमन', 'लज्जा', 'मेहंदी', 'अग्निसाक्षी', 'प्रोवोक्ड' और 'थप्पड़' जैसी फिल्मों के नाम इस फेहरिस्त में शामिल हैं. इन फिल्मों में दिखाया गया है कि कैसे समाज में घर के बाहर और अंदर महिलाओं के साथ अत्याचार किया जाता रहा है. उनको मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. ऐसा करने वाला कोई गैर नहीं बल्कि उनके अपने होते हैं. इनमें पति या ससुराल के लोग शामिल होते हैं. कभी अहम की संतुष्टि के लिए तो कभी छोटी-छोटी बातों पर भी महिलाओं को मारा-पीटा गया है. पहले के दौर में महिलाएं अपने साथ होने वाले अत्याचारों को सह लेती थीं. घुट-घुट कर जिंदगी जीती थीं. लेकिन समय के साथ महिलाओं में जागृति आई है.
महिलाओं ने अपने खिलाफ होने वाले अत्याचारों को सहना बंद कर दिया है. जरूरत पड़ने पर कानून का सहारा लिया है. थाने और कोर्ट तक गई हैं. नरक भरी जिंदगी से आजादी के लिए अपने पति से तलाक तक ले लिया है. समाज होने वाले ये बदलाव सिनेमा में भी देखने को मिले हैं. हर दौर के सिनेमा में घरेलू हिंसा को अलग-अलग रूपों में दिखाया गया है. नए दौर के सिनेमा में महिलाओं को ज्यादा सशक्त दिखाया जाने लगा है. अब फिल्मों में महिलाओं केवल विरोध ही नहीं करती, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपने साथ हुए अत्याचार का बदला भी लेती है. नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई फिल्म 'डार्लिंग्स' में ऐसा दिखा गया है. उसी तरह की एक फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर 19 अक्टूबर को स्ट्रीम होने वाली है.
इस फिल्म का नाम 'अम्मू' है. चारुकेश सेकर के निर्देशन बनी इस फिल्म को स्टोन बेंच फिल्म्स के बैनर तले प्रोड्यूस किया गया है. इसमें ऐश्वर्या लक्ष्मी, नवीन चंद्र और सिम्हा जैसे साउथ...
बॉलीवुड में घरेलू हिंसा पर कई फिल्में बन चुकी हैं. 'दमन', 'लज्जा', 'मेहंदी', 'अग्निसाक्षी', 'प्रोवोक्ड' और 'थप्पड़' जैसी फिल्मों के नाम इस फेहरिस्त में शामिल हैं. इन फिल्मों में दिखाया गया है कि कैसे समाज में घर के बाहर और अंदर महिलाओं के साथ अत्याचार किया जाता रहा है. उनको मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. ऐसा करने वाला कोई गैर नहीं बल्कि उनके अपने होते हैं. इनमें पति या ससुराल के लोग शामिल होते हैं. कभी अहम की संतुष्टि के लिए तो कभी छोटी-छोटी बातों पर भी महिलाओं को मारा-पीटा गया है. पहले के दौर में महिलाएं अपने साथ होने वाले अत्याचारों को सह लेती थीं. घुट-घुट कर जिंदगी जीती थीं. लेकिन समय के साथ महिलाओं में जागृति आई है.
महिलाओं ने अपने खिलाफ होने वाले अत्याचारों को सहना बंद कर दिया है. जरूरत पड़ने पर कानून का सहारा लिया है. थाने और कोर्ट तक गई हैं. नरक भरी जिंदगी से आजादी के लिए अपने पति से तलाक तक ले लिया है. समाज होने वाले ये बदलाव सिनेमा में भी देखने को मिले हैं. हर दौर के सिनेमा में घरेलू हिंसा को अलग-अलग रूपों में दिखाया गया है. नए दौर के सिनेमा में महिलाओं को ज्यादा सशक्त दिखाया जाने लगा है. अब फिल्मों में महिलाओं केवल विरोध ही नहीं करती, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपने साथ हुए अत्याचार का बदला भी लेती है. नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई फिल्म 'डार्लिंग्स' में ऐसा दिखा गया है. उसी तरह की एक फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर 19 अक्टूबर को स्ट्रीम होने वाली है.
इस फिल्म का नाम 'अम्मू' है. चारुकेश सेकर के निर्देशन बनी इस फिल्म को स्टोन बेंच फिल्म्स के बैनर तले प्रोड्यूस किया गया है. इसमें ऐश्वर्या लक्ष्मी, नवीन चंद्र और सिम्हा जैसे साउथ के कलाकार अहम किरदारों में हैं. ये फिल्म मुख्य रूप से तमिल में बनाई गई है, लेकिन इसे तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ के साथ हिंदी भाषा में डब करके भी स्ट्रीम किया जाएगा. फिल्म अम्मू नामक एक महिला के जीवन पर आधारित है, जिसका किरदार अभिनेत्री ऐश्वर्या लक्ष्मी ने निभाया है. अम्मू शादी से पहले सोचती थी कि वो अपने पति के घर जाने के बाद बहुत मजे करेगी. पति से बहुत ज्यादा प्यार और सम्मान मिलेगा. जैसा कि प्रेमी के रूप में वो अभी उसे दे रहा है. लेकिन अम्मू यहां गलत साबित हो गई.
शादी के बाद अम्मू जब अपने ससुराल गई, तो सुहागरात के दिन ही उसके पति ने उसे थप्पड़ मार दिया. इसके बाद मारपीट का ये सिलसिला बदस्तूर जारी रहा. अम्मू ने अपनी मां से जब अपने पति की सच्चाई बताई तो उन्होंने उल्टा उससे ही पूछ लिया कि तुमने कोई गलती तो नहीं की थी. मां की बात से अम्मू बहुत आहत होती है. वो अपने पति को चेतावनी देती है कि यदि उसने उसके साथ हिंसा बंद नहीं की तो वो अपने घर छोड़कर चली जाएगी. लेकिन इसके बावजूद वो मारपीट बंद नहीं करता. अंत में अम्मू हिम्मत जुटाकर उसी पुलिस थाने पहुंच जाती है, जहां उसका पति तैनात होता है. लेकिन पति उस पर दबाव बनाकर उसे वापस भेज देता है. इसके बाद अम्मू उससे बदला लेने का फैसला लेती है.
फिल्म 'अम्मू' के 2 मिनट 10 सेकेंड के इस ट्रेलर में ये दिखाने की कोशिश की गई है कि अब वो वक्त आ गया है, जब घरेलू हिंसा के खिलाफ केवल जागरूक ही नहीं होना है, बल्कि ऐसा करने वालों को मुंहतोड़ जवाब भी देना है. हिंसा करने वाले के साथ हिंसा करना कोई गलत बात नहीं है. जैसे कि आत्मरक्षा में किसी की हत्या हो जाए, तो कोर्ट भी रियायत देती है. वैसे ही ससुराल में किसी भी महिला के साथ मारपीट या गाली गलौज करने वाले को उसी की भाषा में जवाब दिए जाने की जरूरत है. वैसे इसी तर्ज पर आलिया भट्ट और शेफाली शाह की फिल्म डार्लिंग बनाई गई है. इसमें भी आलिया की किरदार अपने पति को सबक सीखाने के लिए उसके साथ वही सलूक करती है. फिल्म को बहुत पसंद किया गया था.
'अम्मू' के लेखक और निर्देशक चारुकेश सेकर ने का फिल्म के बारे में कहना है, ''ये फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है. इसमें अम्मू की कहानी को दिखाया गया है, जो कि घरेलू हिंसा का शिकार होती है और बाद में पति के खिलाफ स्टैंड लेने का फैसला करती है. ये दर्शकों को रोमांचित कर देगी. इस फिल्म के कलाकारों ऐश्वर्या, नवीन और सिम्हा के जबरदस्त प्रदर्शन के बिना हम कुछ नहीं कर पाते. सभी ने अपने किरदारों को स्क्रीन पर जीवंत करने के लिए कड़ी मेहनत की है.'' फिल्म के निर्माता कल्याण सुब्रमण्यम ने कहा, ''पुथम पुधु कलाई के बाद प्राइम वीडियो के साथ यह दूसरा प्रोजेक्ट है. हमने हमेशा ऐसी कहानियां ली हैं, जो आकर्षक है, लेकिन कंटेंट से प्रेरित है. अम्मू दोनों आयामों पर खरी उतरती है.''
फिल्म की लीड एक्ट्रेस ऐश्वर्या लक्ष्मी का कहना है, ''अम्मू महिला सशक्तिकरण की एक बेहतरीन कहानी है. मेरे लिए एक अपमानजनक रिश्ते में उलझी एक महिला की भूमिका निभाना चुनौतीपूर्ण और अपने तरीके से उत्साहित करने वाला था. एक महिला के रूप में अम्मू में बहुत कुछ है. उसमें सबसे महत्वपूर्ण है हमेशा सच बोलना और अपने लिए खड़ा होना. मैं कार्तिक सुब्बाराज, स्टोन बेंच, चारुकेश सेकर, मेरे साथी कलाकारों नवीन और सिम्हा के साथ प्राइम वीडियो की टीम की आभारी हूं, जिनके सहयोग और समर्थन के बिना मैं न तो ये किरदार कर पाती, नही इसके साथ न्याय कर पाती. अम्मू के प्रति दर्शकों की प्रतिक्रिया देखने के लिए मैं बहुत ज्यादा उत्सुक हूं. इसके लिए महज कुछ दिनों का इंतजार है.''
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